आम सिगरेट के बराबर खतरनाक होती है ई-सिगरेट

#E-cigarettes

लखनऊ। अगर आप ई-सिगरेट को सुरक्षित मानते हैं तो आप गलत हैं, क्योंकि एक अध्ययन में पता चला है कि ई- सिगरेट में वही विषाक्त रासायनिक पदार्थ होते हैं जो तम्बाकू के धुएं में पाए जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कई उपभोक्ता इसे जलने वाली सिगरेट के बजाय ज्यादा सुरक्षित विकल्प के रूप में मानते हैं जो कि गलत राय है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर    साभार: इंटरनेट

पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो. राजेंद्र प्रसाद का कहना है, ” सिगरेट कोई भी हो वह नुकसानदायक होती है। यह बात अलग है कि ई-सिगरेट आम सिगरेट से कम नुकसान करती है, लेकिन उसमें भी निकोटीन होती है जो सेहत के लिए खतरनाक है। युवाओं में इसका चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है। “

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट लम्बी ट्यूब जैसी होती है। इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के उपकरण पुनः उपयोग योग्य होते हैं, जिनके भागों को बदला और फिर से भरा जा सकता है। अनेक डिस्पोजेबल इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट भी विकसित किये गये हैं। एक इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट, ई-सिगरेट या वाष्पीकृत सिगरेट एक बैटरी चालित उपकरण है जो निकोटीन या गैर-निकोटीन के वाष्पीकृत होने वाले घोल की सांस के साथ सेवन की जाने वाली खुराक प्रदान करता है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर   साभार: इंटरनेट

हेलिस-सेखसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ, मुंबई के निदेशक डॉ. पीसी गुप्ता का कहना है, ” बेशक राज्यों को ई-सिगरेट की बिक्री पर रोक लगाने के लिए जारी सरकार का परामर्श उनके अधिकार क्षेत्र में आता है लेकिन अगर छोटे विक्रेताओं के जरिए इनकी बिक्री हो रही है तो उसकी जांच करना बहुत मुश्किल है। समय-समय पर विक्रेताओं पर नजर रखने के लिए सरकार को एक विशेष तंत्र बनाने की जरुरत है।”

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वालन्टरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया (वीएचएआई) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी भावना बी मुखोपाध्याय का कहना है, ” ई-सिगरेट निकोटीन देने का एक आकर्षक तरीका है। वे इसे कम नुकसान पहुंचाने वाले उत्पाद के रूप में बताते हैं जो कि सच्चाई से अलग है। ये तंबाकू उत्पादन, वितरण पर मौजूदा राष्ट्रीय कानून के दायरे में नहीं आते और इनका इस्तेमाल स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा करता है जो कि पारंपरिक सिगरेटों के बराबर ही खतरनाक है।” 

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