कोलकाता। भारत में स्वस्थ्य उपचार कराने में पैसे कितने लग जाये कुछ पता नही चलता। कभी-कभी तो लोग अपनी ज़मीन जायदाद तक बेच देते है। इसी बात पे चिंता जताते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि इलाज कराने में लोगों की जेब खाली ना हो जाये।
डब्ल्यूएचओ यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के नेशनल प्रोफेशनल ऑफिसर डॉ चंद्रकांत लहरिया ने कहा, “भारत में सरकार को ऐसा तंत्र विकसित करने की जररत है जिसमें यह सुनिश्चित हो कि स्वास्थ्य सेवाएं लेते समय लोग गरीब ना बन जाये।” इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आईएपीएसएम) का यहां हाल ही में संपन्न 44वें राष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ लहरिया ने कहा, “इस बात का समर्थन करने के वैश्विक साक्ष्य है कि सरकार के वित्त पोषण में वृद्धि से लोगों के खर्चे में कमी आयी। भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी वित्त पोषण को बढाया जाना चाहिये।”
डब्ल्यूएचओ अधिकारी के अनुसार केंद्र को जन स्वास्थ्य सेवाओं में अहम भूमिका निभानी चाहिये और निवेश बढाना चाहिये। साथ ही बीमारियों के इलाज पर निगरानी भी रखनी चाहिये। उन्होंने कहा कि संतुलित मांग-आपूर्ति से देश को यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) की दिशा में प्रगति करने में मदद मिलेगी। कल संपन्न हुये इस तीन दिवसीय आईएपीएसएम सम्मेलन में देशभर के पीएसएम विभागों में काम करने वाले 800 से ज्यादा डॉक्टरों ने भाग लिया था।