महिलाओं को होने वाले कैंसर में सबसे ज़्यादा मामले ओवरेरियन और ब्रेस्ट कैंसर के होते हैं। कैंसर से मौत का सबसे बड़ा कारण होता है सही समय पर इस बीमारी के बारे में पता न चल पाना। वैज्ञानिक इस बीमारी से लोगों की जान बचाने के तरीकों के बारे में लगातार अध्ययन करते रहते हैं। अब वैज्ञानिकों ने ब्रेस्ट और ओवरी के कैंसर से बचने का एक नया तरीका ढूंढा है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि जीन म्यूटेशन की स्क्रीनिंग कराने से इस बीमारी से बचा जा सकता है।
आपने सुना होगा कि किसी के पापा या मम्मी को कैंसर है इसलिए उसके बेटे या बेटी को भी हो गया इसे ही जीन म्यूटेशन कहते हैं। जब परिवार के किसी एक सदस्य से किसी दूसरे सदस्य में जींस के ज़रिए कोई बीमारी पहुंचती है तो वो जेनेटिक बीमारी कही जाती है। लंदन के कैंसर इंस्टीट्यूट की पत्रिका में छपे अध्ययन के मुताबिक अगर 30 साल की उम्र के बाद महिलाएं ओवरी और ब्रेस्ट जीन म्यूटेशन को लेकर स्क्रीनिंग करानी चाहिए। अध्ययन के मुताबिक, कई महिलाओं में जींस के जरिए कैंसर पहुंचता है, इसे जीन म्यूटेशन कहते हैं। इससे बचने का तरीका यही है कि 30 की उम्र पार कर चुकी सभी महिलाओं की ब्रेस्ट और ओवरी स्क्रीनिंग कराई जाए तो जींस में मौजूद कैंसर सेल्स का पता लगाया जा सकता है।
अध्ययन के मुताबिक, ओवरी और ब्रेस्ट में कैंसर पैदा करने वाले दो जीन्स BRCA1 और BRCA2 होते हैं। ये जीन्स जिन महिलाओं के शरीर में होते हैं उनमें ब्रेस्ट कैंसर का ख़तरा 69 से 72 प्रतिशत और ओवरी कैंसर का ख़तरा 17 से 44 प्रतिशत होता है। ऐसा नहीं है कि अगर जींस नहीं हैं तो उनमें ओवरी या ब्रेस्ट का कैंसर नहीं हो सकता, उनमें भी इसका ख़तरा होता है, ब्रेस्ट कैंसर का 12 प्रतिशत और ओवरी कैंसर का 2 प्रतिशत। लंदन की क्वीन मैरी यूनिवसिर्टी में स्त्रीरोग संबंधी कैंसर विशेषज्ञ व शोधकर्ता रंजीत मनचंदा के मुताबिक, हमारे नतीज़े बताते हैं कि इन दो तरह के कैंसर के लिए अगर स्क्रीनिंग की जाए तो काफी हद तक महिलाओं को इस जानलेवा बीमारी से बचाया जा सकता है।
जीन म्यूटेशन की स्क्रीनिंग कराना अभी इतना आसान नहीं हुआ है, दूसरा ये भी ज़रूरी नहीं होता कि इस स्क्रीनिंग के बाद अगर रिज़ल्ट पॉजिटिव आए तो आगे चलकर कैंसर ज़रूर होगा।
डॉ. राकेश तरन, कैंसर स्पेशलिस्ट, सीएचएल हॉस्पिटल, इंदौर
हालांकि इस बारे में इंदौर, मध्य प्रदेश के सीएचएल हॉस्पिटल में कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. राकेश तरन की राय अलग है। डॉ. तरन कहते हैं कि 20 या 30 साल की उम्र में अगर कोई महिला जीन म्यूटेशन की स्क्रीनिंग करा लेती है और उसमें आगे चलकर कैंसर होने के 1 – 2 फीसदी चांस पाए भी जाते हैं तो क्या वो इस टेस्ट का रिज़ल्ट पॉजिटिव आने के बाद सामान्य ज़िंदगी जी पाएगी। डॉ. तरन कहते हैं कि जीन म्यूटेशन की स्क्रीनिंग कराना अभी इतना आसान नहीं हुआ है, दूसरा ये भी ज़रूरी नहीं होता कि इस स्क्रीनिंग के बाद अगर रिज़ल्ट पॉजिटिव आए तो आगे चलकर कैंसर ज़रूर होगा। ऐसे में महिला को पूरी ज़िंदगी कैंसर होने का डर बना रहेगा। डॉ. तरन बताते हैं, ”अगर कैंसर के लक्षणों को पहचान का उसका पहली अवस्था में ही पता लगा लिया जाए तो रोगी के बचने के आसार ज़्यादा होते हैं। इसलिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी यही है कि ब्रेस्ट और ओवरी कैंसर के लक्षणों के बारे में पता कर लिया जाए और महिला इसे लेकर सावधान रहे।”
इससे पहले नेचर ग्रुप पब्लिकेशन के ह्यूमन जेनेटिक्स जर्नल में छपी एक रिपोर्ट में भी ये सामने आया था कि कुछ लड़कियों में 20 साल की उम्र में ही ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण सामने आते हैं। ऐसे में अगर उनके जींस का टेस्ट किया जाए और पता लगाया जाए कि क्या उनके परिवार में कभी किसी को कैंसर हुआ है तो इस बीमारी का काफी शुरुआती अवस्था में ही इलाज़ किया जा सकता है।
नेशनल कैंसर रजिस्ट्री के मुताबिक, भारत में महिलाओं में कैंसर के मामलो में 27 प्रतिशत मामले स्तन कैंसर के होते हैं। हर 28 में से एक महिला को उसकी जिंदगी में एक बार कैंसर का ख़तरा रहता है और हर दो में से एक महिला जिसको स्तन कैंसर होता है, की मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संस्थान की मानें तो 2015 में 88 लाख लोग कैंसर से मरे। इनमें से ब्रेस्ट कैंसर के कारण साढ़े पांच लाख मौते हुईं। वहीं हर साल दुनियाभर में 10 लाख महिलाओं को ओवरी कैंसर होता है, इनमें से हर साल एक लाख से ज्यादा महिलाओं की मौत हो जाती है।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
स्तन का सख़्त होना, स्तन में गांठ, स्तन के निप्पल के आकर या त्वचा में बदलाव, निप्पल का अंदर की तरफ चले जाना, निप्पल से रक्त या तरल पदार्थ का आना, स्तन में दर्द, बाहों के नीचे भी गांठ होना स्तन कैंसर के संकेत हैं। ऐसे लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
ओवेरियन कैंसर के लक्षण
भूख न लगना, पेट में दर्द, गैस, मरोड़, सूजन, डायरिया, कब्ज़ की समस्या, अचानक वज़न बढ़ना या कम हो जाना, माहवारी न होने पर भी रक्तस्राव होना जैसे लक्षणों को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर ऐसा कोई लक्षण दिखता है तो डॉक्टर से उसकी जांच ज़रूर करवाएं।