सदियों से मनुष्यों का पारस्परिक संबंध अपने आसपास के पेड़ पौधों और तमाम वनस्पतियों से लगातार बना रहा है। पारंपरिक हर्बल जानकारों के अनुसार इन्हीं वनस्पतियों में उन तमाम रोगों को ठीक कर देने की क्षमता है जो आमतौर पर हम सभी के जीवन में देखे जाते हैं।
आधुनिक विज्ञान भी परंपरागत औषधीय विज्ञान और उससे जुड़ी जानकारियों को गंभीरता से ले रहा है।
चाहे कंद मूलों की बात हो या सब्जियों, फलों या मसालों की बात, हर पौधे या उसके अंग के विशेष औषधीय गुण जरूर हैं। ज्यादातर रोगों के निदान के उपाय हमारी रसोई में ही उपलब्ध रहते हैं।
आपकी रसोई में दो खास मसाले हैं जिनका इस्तेमाल कर आप अनेक तरह के रोगों में खुद को दुरस्त कर सकते हैं।
आपकी रसोई में रखा जीरा बतौर मसाला सैकड़ों सालों से इस्तेमाल में लाया जा रहा है। जीरे के अनेक औषधीय गुण होते हैं। जीरे का तीखापन और इसका वाष्पशील सुगन्धित तेल एसिडिटी की समस्या में काफी कारगर साबित होता है। आधा चम्मच जीरा चबाने से हाइपर एसिडिटी की समस्या में आराम मिलता है। जिन्हें कई सालों से एसिडिटी की समस्या है उन्हें पारंपरिक हर्बल जानकार एक नुस्खा सुझाते हैं जिसके अनुसार लगातार दो दिनों तक जब भी कुछ खाया या पिया जाए, उसके तुरंत बाद आधा चम्मच कच्चा जीरा चबा लेना चाहिए। ऐसा करने से सिर्फ 2 दिन के भीतर ही पुरानी से पुरानी एसिडिटी छूमंतर हो जाती है।
जीरे की तरह काली मिर्च भी आपकी रसोई का एक अहम हिस्सा है जिसे वनवासी हर्बल जानकार थाइराइड ठीक करने के लिए एक बेहतरीन उपाय मानते हैं। काली मिर्च के सात साबुत दानों को कुचल कर आधा कप पानी में डालकर रोज सुबह पी लेने से थायराइड की समस्या में आराम मिलता है। ऐसा 15 दिनों तक लगातार किया जाना चाहिए।
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इस तरह के पारंपरिक हर्बल नुस्खों को समय-समय पर आधुनिक विज्ञान भी प्रमाणित करता रहा है। जितने आसान ये नुस्खे हैं उससे ज्यादा इनके प्रभाव भी हैं। ये ऐसा ज्ञान है जिसे सदियों से परंपरागत तौर से अपनाया जाता रहा है और जिसके सकारात्मक परिणाम भी खूब देखे गए हैं।
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