जी का जंजाल न बन जाए मोटापा, एहतियात जरूरी

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मशहूर विज्ञान शोध पत्रिका लॉसेंट ने पिछले साल एक शोध रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें बताया गया कि अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरा ऐसा देश है जहां मोटापा एक महामारी की तरह फैल चुका है। संभव है कि आने वाले कुछ सालों में भारत दुनिया में मोटापे की बीमारी से जूझने वाला सबसे बड़ा देश बन जाएगा।

पिछले दो दशकों के बाद जीवनशैली को जितनी रफ्तार से भारतीयों ने अपनाया है, हमारे शरीर की हालत भी पश्चिमी देशों में रहने वालों की तरह होने लगी है। जीवनशैली की रफ्तार को बनाए रखने के लिए हमने रहन-सहन और खान-पान से बेज़ा समझौता कर लिया है। दैनिक शारीरिक क्रिया-कलापों में आधुनिक सुविधा उपकरणों के आने से शारीरिक क्रियाओं को लेकर ठहराव सा आ गया है। 

विश्व में करीब 4.5 करोड़ बच्चे मोटापे का शिकार  

हालिया ‘ओबेसिटी वर्ल्ड’ पत्रिका में प्रकाशित कुछ आंकड़ों के मुताबिक़ दुनियाभर में करीब 160 करोड़ लोग ऐसे हैं जो अधिक वजन की समस्या से और करीब 40 करोड़ लोग मोटापे की समस्या से ग्रस्त हैं। ये समस्या वयस्कों के अलावा बच्चों में भी देखी जा रही है। वर्तमान में दुनियाभर में करीब 15 करोड़ से ज्यादा बच्चे सामान्य से ज्यादा वजन के हैं जबकि करीब 4.5 करोड़ बच्चे मोटापे से ग्रस्त हैं। हिन्दुस्तान जैसे विकासशील देशों में यह समस्या और ज्यादा देखी जा रही है। जंक फूड खाकर बच्चे भी कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। विश्व जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा सामान्य से ज्यादा वज़न की समस्या का शिकार है।

सामान्य से अधिक वजन हो जाना और मोटापे दोनों में आंशिक फर्क़ है जिसे समझना जरूरी है। सामान्य से अधिक वजन का मतलब हमारे शरीर का BMI यानि बॉडी मास इंडेक्स का 27.8 फीसदी से ज्यादा होना है और जब यह इंडेक्स 30 फीसदी को छू जाए तो इस अवस्था को मोटापा कहा जाता है। एक सामान्य व्यक्ति के शरीर में करीब 30-35 बिलियन यानि करीब 3500 करोड़ वसीय कोशिकाएं होती हैं। शुरुआत में जब एक व्यक्ति का वजन बढ़ता है तो उसकी वसीय कोशिकाएं भी आकार में बढ़ जाती हैं और वजन पर नियंत्रण ना किया जाए तो वसीय कोशिकाएं लगातार बढ़ती रहती हैं।  

वजन बढ़ा तो बीमारियां भी बढ़ेंगी

वजन बढ़ना और मोटापा, शारीरिक असंतुलन के अलावा कई घातक रोग जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मानसिक तनाव, अनिद्रा, पेट की बीमारियां, पित्ताशय, ओस्टिओ-आर्थरायटिस और कई अन्य समस्याओं को बुलावा देता है। महिलाओं में मोटापा होने की संभावनाएं पुरुषों की मुक़ाबले ज्यादा होती हैं। मोटापा घटाने के लिए भोजनशैली में सुधार जरूरी है। कुछ प्राकृतिक चीजें ऐसी हैं जिनके सेवन से वजन नियंत्रित रहता है। प्रकृति के करीब रहकर इंसान किस कदर अपना स्वास्थ्य बेहतर रख सकता है, इसका सटीक उदाहरण ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में देखा जा सकता है। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जि़ले की पातालकोट घाटी के गोंड और भारिया आदिवासियों की बात की जाए या पड़ोसी जि़ले बैतूल के कोरकू जनजाति के लोग, भले ही ये आदिवासी लोग आधुनिक समाज की मुख्यधारा और तथाकथित विकसित होने की दौड़ में ज्यादा पीछे रह गए हों लेकिन इनके स्वास्थ्य और आयुष की तुलना हम विकसित समाज और शहरों में रहने वाले लोगों से करें तो हमें समझ आ जाएगा कि आखिर विकसित और ज्यादा स्वस्थ कौन हैं? पिज्ज़ा कल्चर, जंक फूड और अनियमित जीवन शैली ने मोटापे जैसे रोग लाकर हमारे जीवन को भयावह कर दिया है। क्या वजह है जो आदिवासियों में मोटापा, मधुमेह, उच्च या निम्न रक्तचाप जैसी समस्याएं देखने नहीं मिलती? आदिवासियों का खान-पान, जीवनशैली और वनौषधियां इन सब रोगों को उनके आस-पास तक भटकने नहीं देती। 

वक्त रहते सचेत होना जरूरी

समय रहते हमारा सचेत होना बेहद जरूरी है। पारंपरिक व्यंजनों, ग्रामीण अंचलों में पकने वाले खाद्य पदार्थों और वनवासियों की जीवनशैली से हमें प्रेरणा लेकर उसी तरह के दैनिक जीवन क्रियाकलापों और भोजन शैली को अपनाना होगा। इन सबसे अलग परिवार के हर बुजुर्ग और समझदार व्यक्ति को तय करना चाहिए कि घर में बच्चों के लिए किस तरह के व्यंजन तैयार किए जाएं। भोजन करते समय टीवी या मोबाइल फोन से दूर रहना जरूरी है। आजकल माता-पिता बच्चों को किसी भी छल के साथ भोजन खिलाने पर आमदा रहते है फिर चाहे बच्चे की जि़द्द पर टीवी चालू कर दिया जाता है या फिर मोबाइल पर गेम्स। क्या ऐसा करके हम अपनी नयी पीढ़ी को धीमा ज़हर नहीं दे रहे? चीज़, मक्खन, घी का सेवन घातक तब है जब हम भोजन को पचा पाने में सक्षम नहीं और यदि हम दौड़ भाग, व्यायाम, योगा, सुबह समय पर उठने और रात समय पर सोना जानते हैं तो दूध के बने उत्पाद घातक नहीं होंगे। भोजन करके तुरंत लेट जाना या सुबह देर से उठना और दिनभर एक ही स्थान पर बैठकर व्यवसाय या नौकरी करना मोटापे के लिए आमंत्रण साबित होता है। संतुलित भोजन, सलाद, फलों का सेवन और नियमित क्रियाकलापों को अपनाकर आप मोटापे से दूर रह सकते हैं। बाज़ार में बिकने वाले कैप्सूल, दवाएं और यंत्र जो अल्प अवधि में वजन और मोटापा कम करने का दावा करते हैं, इनसे दूर रहने की ज़रूरत है और अपनी दिनचर्या को नियंत्रित करके ही आप मोटापे की समस्या से दूर रह सकते हैं। शारीरिक चपलता, मेहनत, आलस से दूर जीवनशैली और पोषक खान-पान की मदद से काफी हद तक इस समस्या से दूर रहा जा सकता है। 

बच्चों को हरी सब्जियों का महत्व बताएं

घर में बच्चों को साग-सब्जियों की अहमियत को जरूर समझाएं, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे मोबाइल, लैपटॉप, टीवी, गेम्स  से अनावश्यक रूप से जुड़ने से रोकें और प्रयास करें कि बच्चे खुले मैदान और बागीचों में खूब खेलें जो न सिर्फ उनके मानसिक बल्कि शारीरिक विकास के लिए भी बेहद जरूरी है। मोबाइल और टीवी पर घंटों बैठकर कोई बच्चा होशियार बन जाएगा, इस भ्रम से दूर रहें, ये बच्चा दुनियाभर की बात जरूर करेगा लेकिन मानसिक और शारीरिक तौर पर दब्बू ही बनेगा। ये सलाह सिर्फ बच्चों के लिए नहीं, हम सबके लिए भी है। आने वाले समय में मैं कोशिश करूंगा की बेहतर खान-पान के अलावा पारंपरिक हर्बल नुस्खों का भी जिक्र करूं जिनकी मदद से आप सब चुस्त और दुरुस्त रहें। 

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