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अकेली रहने वाली महिलाओं को अगर स्तन कैंसर हो जाए जो ठीक होना थोड़ा मुश्किल 

Los Angeles

लॉस एंजिलिस (भाषा)। सामाजिक रूप से अलग-थलग रहने वाली महिलाएं यदि स्तन कैंसर का शिकार हो जाती हैं तो उनके लिए इस बीमारी को मात देना मुश्किल होता है। इन महिलाओं में इस बीमारी के दोबारा उभरने की भी आशंका रहती है। यह दावा एक नए अध्ययन में किया गया है।

एक अध्ययन में पाया गया है कि सामाजिक रूप से अलग-थलग रहने वाली जिन महिलाओं को स्तन कैंसर हुआ था, उनमें इस बीमारी के लौटने या घातक हो जाने की दर ज्यादा थीं जबकि बेहतर सामाजिक संपर्क रखने वाली महिलाओं की स्थिति बेहतर रही।

यह भी पाया गया कि कुछ खास सामाजिक संबंध फायदेमंद थे जबकि अन्य नहीं थे। कुछ रिश्तों से तो किसी खास जाति वर्ग या खास आयु वर्ग के मरीजों को ही लाभ हुआ।

विश्लेषण के लिए अमेरिका के कैंसर परमानेंट डिवीजन ऑफ रिसर्च के शोधकर्ताओं ने स्तन कैंसर की शिकार 9267 महिलाओं से जुड़ी जानकारी का अध्ययन किया। उन्हें यह देखना था कि किसी मरीज की बीमारी का पता चलने के दो साल के भीतर के सामाजिक संबंध से कैसे उनके बचे रहने पर असर पड़ता है।

अध्ययन में शामिल किए गए स्तन कैंसर के कुल मामलों में से 1448 मामलों में कैंसर दोबारा हुआ और 1521 लोगों की मौतें हुईं।

अध्ययन में पाया गया कि सामाजिक रूप से एकजुट महिलाओं की तुलना में अलग-थलग रहने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर दोबारा आने का खतरा 40 प्रतिशत ज्यादा है। अलग-थलग रहने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर के कारण मरने का खतरा 60 प्रतिशत अधिक और किसी भी वजह से मरने का खतरा 70 प्रतिशत अधिक है। यह अध्ययन कैंसर नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया।

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