लखनऊ। ” भारत में किडनी के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। किडनी कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण स्मोकिंग हैं, लेकिन पर्यावरण प्रदूषण इसकी एक मुख्य वजह है।” यह कहना है नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अम्लेश सेठ का।
भारत में अभी तक 60 साल के बाद लोगों में किडनी कैंसर के मामले देखने को मिलते थे, लेकिन पिछले 10 वर्षों में 40 साल की उम्र के लोगों को भी यह बीमारी होने लगी है। इसका प्रमुख कारण स्मोकिंग, तंबाकू सेवन के साथ-साथ खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका प्रदूषण भी है। अभी तक यह माना जाता था कि बढ़ते वायु प्रदूषण से अस्थमा और फेफड़ों का कैंसर होता है, लेकिन बढ़ते वायु प्रदुषण से झिल्लीदार नेफ्रोपैथी रोग यानी किडनी रोग का खतरा भी बढ़ता है।” प्रो. सेठ ने आगे बताया।
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किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के यूरोओंकोलॉजिस्ट डॉक्टर एचएस पाहवा ने बताया, ” दुनिया भर में कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। भारत की बात करें तो आईसीएमआर के अनुसार इस समय देश में साढ़े 22 लाख कैंसर से पीड़ित लोग हैं, जबकि हर साल करीब 11 लाख नये कैंसर रोगियों को चिन्हित किया जाता है। वहीं अगर इससे होने वाली मौतों की बात करें तो बीते 15 वर्षों में यह संख्या दोगुनी हो गयी है। हर वर्ष कैंसर से ग्रस्त करीब 8 लाख लोग मौत का शिकार हो जाते हैं। किडनी का कैंसर मूत्र संबंधी कैंसरों में तीसरे नम्बर का कैंसर है।”
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एक अध्ययन में यह आगाह किया गया है कि वायु प्रदूषण से मनुष्य में गुर्दे की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है और गुर्दे खराब भी हो सकते हैं। बहुत पहले से ही वायु प्रदूषण को हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर, अस्थमा और सीओपीएस से जोड़ा जाता रहा है। अमेरिका के वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के अनुसंधानकर्ताओं के इस नये अध्ययन के बाद अब इन बीमारियों की सूची में गुर्दा रोग भी शामिल कर लिया गया है।
शोधकर्ताओं ने गुर्दों की बीमारियों में वायु प्रदूषण के प्रभाव का पता लगाने के लिये करीब साढे़ आठ साल तक यह अध्ययन किया। वर्ष 2004 में शुरु किए गए इस अध्ययन में करीब 25 लाख लोगों को शामिल किया गया। अनुसंधानकर्ताओं ने गुर्दा रोग से संबंधित एक कार्यक्रम में अमेरिका के एनवायरनमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी (ईपीए) और नासा द्वारा जुटाये गये वायु गुणवत्ता के स्तरों तुलना की।
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किडनी कैंसर के लक्षण
– पेशाब में खून आना
– भूख न लगना
-अचानक से वजन का होना
-हमेशा थकान लगना
– शरीर के एक हिस्से में दर्द
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किडनी कैंसर से बचाव
– धुम्रपान न करें
– नियमित व्यायाम करें
– वजह घटाएं
– स्वस्थ भोजन करें
– रक्तचाप को नियंत्रित रखें
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रोबोटिक सर्जरी विशेषज्ञ डॉक्टर मल्लिकार्जुन ने बताया, ” बाहर का भोजन, गलत दिनचर्या दूषित भोजन करना, हाईपरटेंशन का इलाज ना कराना तथा बहुत ज्यादा मांस खाना भी कुछ ऐसी आदते हैं जिनकी वजह से किडनी को भारी नुकसान पहुंचता है। प्रदूषण को लेकर जागरुकता का अभाव भी किडनी कैंसर के मरीजों को हर साल बढ़ा रहा है। ऐसे में ऐसी आदतों को जल्द से जल्द बदल देनी चाहिए, जिससे स्वस्थ रह सकें।”
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