लिवर ख़राब होने से कई और बीमारियां दे सकती हैं दस्तक

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लखनऊ । खराब जीवनशैली और खानपान का सबसे ज़्यादा असर लिवर पर पड़ता है। पाचनतंत्र मजबूत न होने पर कई प्रकार की बीमारियां होती हैं, जिनमें पीलिया सबसे ज़्यादा खतरनाक है। यह लिवर की खराबी के कारण होती है। शरीर के अन्य अंगों की तरह लिवर भी एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसका ख़्याल रखना बहुत ही ज़रूरी है। लिवर खराब होने से क्या क्या बीमारियां हो सकती हैं, इसके बारे में बता रहे हैं लखनऊ के डॉ आशुतोष अस्थाना…

लिवर के कार्य

लिवर शरीर की कई गतिविधियों में अहम रोल अदा करता है। यह शुगर, वसा और कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन, स्टोरेज व उत्सर्जन को नियमित व नियंत्रित करके पाचन और मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

लिवर एंजाइम, हार्मोन्स, रक्त प्रोटीन, क्लॉटिंग पैदा करने वाले कारक और प्रतिरक्षा कारकों सहित विभिन्न प्रकार के महत्त्वपूर्ण प्रोटीन पैदा करता है। यह विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का भी काम करता है।

ये अंग होते हैं प्रभावित

  • आंख–  आंखों में कमजोरी या अंधेपन के कई मामलों में विल्संस डिसीज़ जिम्मेदार है। यह बीमारी आनुवांशिक होती है, जिसका कारक प्रोटीन है। इसके अलावा शरीर में काफी कम मात्रा में कॉपर तत्व की ज़रुरत होती है, जिसकी मात्रा अधिक होने पर यह आंख, लिवर व मस्तिष्क में इकट्ठा होने लगता है जिसे शरीर बाहर नहीं निकाल पाता। इससे आंखों में रोशनी का घटना, लिवर की कमज़ोरी और मस्तिष्क से जुड़ी दिक्कतें आती हैं।
  • किडनी– हिपैटो रीनल सिंड्रोम लिवर की क्रॉनिक डिसीज़ में से एक है। इसके लिए सिरोसिस डिसीज़ जिम्मेदार होती है। सिरोसिस में लिवर कमजोर हो जाता है। इसका सीधा असर किडनी पर होता है और शरीर में विषैले पदार्थों की मात्रा बढ़ने लगती है। लंबे समय तक अनदेखी करने पर किडनी फेल भी हो सकती है।
  • मस्तिष्क –  लिवर फेल होने पर शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। इनमें अमोनिया प्रमुख है। बॉडी से बाहर न निकल पाने के कारण यह ब्लड के साथ शरीर में प्रवाहित होता है और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है। 

इसे हिपैटिक एनसेफैलोपैथी कहते हैं। इसमें मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों के लक्षण जैसे बेहोशी और मरीज़ के कोमा में जाने की आशंका रहती है।

  • कारण

लिवर को कमज़ोर करने में अल्कोहल का अहम रोल होता है। बचपन से शरीर में पोषण की कमी लिवर को कमज़ोर करती है। हेपेटाइटिस ए व बी से भी लिवर में सूजन आ जाती है। इसके अलावा लिवर में कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड का इकट्ठा हो जाना, लिवर में खून का प्रवाह बाधित होना और डाइट में अधिक मात्रा में विटामिन-ए लेना प्रमुख कारण हैं।

  • लक्षण

आंखों के नीचे काले घेरे, यूरिन का गहरा रंग, आंखों व त्वचा में पीलापन, पेट में सूजन, पाचनतंत्र की खराबी, उल्टी, खाने का स्वाद न मिलने जैसे लक्षण लिवर का कमजोर होना बताते हैं।

  • बचाव

स्वस्थ लिवर के लिए अपने खानपान का खास ध्यान रखें। खाने में ताजे फल और सब्जियां शामिल करें। वसायुक्त पदार्थ पाचन को धीमा करते हैं इसलिए ऐेसे पदार्थों से दूरी बनाएं। दिनभर में कम से कम 10 गिलास पानी पीएं।

  • ट्रांसप्लांट 

लिवर ट्रांसप्लांट सर्जिकल प्रक्रिया है। अधिकांशत: स्वस्थ लिवर मृत व्यक्ति से प्राप्त किया जाता है, लेकिन कई बार जीवित व्यक्ति भी लिवर दान करते हैं। कई मामलों में पूरा लिवर न बदलकर कुछ हिस्सा ही बदला जाता है। ट्रांसप्लांट उन मरीजों में किया जाता है, जिनका लिवर फेल हो चुका होता है।

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