पूर्वोत्तर राज्यों में पारंपरिक औषधीय प्रथाओं को बढ़ावा देने की पहल को प्रोत्साहित करने के लिए 1,000 नए स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एचडब्ल्यूसी) खोले जाएंगे। इन केंद्रों का उद्देश्य आयुष चिकित्सा पद्धति के सिद्धांतों पर आधारित समग्र स्वास्थ्य मॉडल प्रदान करना है।
आयुष मंत्रालय देश में कुल 12,500 एचडब्ल्यूसी शुरू करेगा। आयुष द्वारा प्रदान की जाने वाली पारंपरिक दवाओं की लोकप्रियता को बढ़ावा देने के लिए, मंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत 100 आयुष औषधालयों की स्थापना की भी घोषणा की।
केंद्रीय आयुष और पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री, सर्बानंद सोनोवाल ने आज गुवाहाटी में आयोजित एक सम्मेलन में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में पारंपरिक औषधीय प्रथाओं को बढ़ावा देने से जुड़ी कई प्रमुख पहलों की घोषणा की।
For the first time, a conference of #AYUSH and Health Ministers of North Eastern States was held in Guwahati.
I express my gratitude to CM Shri @himantabiswa, colleague Shri @MunjaparaDr, Health Ministers and all dignitaries who took part in the groundbreaking conference. pic.twitter.com/SQi6VySd2o
— Sarbananda Sonowal (@sarbanandsonwal) August 28, 2021
केंद्रीय मंत्री ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए घोषणा की कि आयुष औषधीय विशेषज्ञों की शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए, गोलपारा के दुधनोई में एक नए आयुर्वेदिक कॉलेज की स्थापना के लिये एनएएम की मदद के तहत 70 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी।
आयुष मंत्रालय ने गुवाहाटी में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज को उन्नत करने और इसे उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित करने का फैसला किया है। इस संबंध में वित्तीय अनुदान के रूप में 10 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की जाएगी। पूर्वोत्तर के सभी राज्यों से अनुरोध किया गया था कि वे नए आयुष शिक्षण संस्थान खोलने के लिए मंत्रालय को विशिष्ट प्रस्ताव सौंपे।
Today, I have also launched the #AmritMahotsav campaign to be carried out by @moayush across the nation. I urge all citizens to join this series of activities which will be organised from Aug 30 – Sep 5. pic.twitter.com/fqjJiNorRt
— Sarbananda Sonowal (@sarbanandsonwal) August 28, 2021
पूर्वोत्तर में कच्चे माल के अर्ध प्रसंस्करण के लिए एक सुविधा केंद्र खोला जा रहा है। इसके साथ ही, जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के तहत इंफाल, मणिपुर में राष्ट्रीय जैव-संसाधन और सतत विकास संस्थान के सहयोग से पूर्वोत्तर राज्यों में क्षेत्रीय कच्चे औषधि भंडार (आरआरडीआर) की स्थापना की भी परिकल्पना की गई है। ये पहल राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय द्वारा संचालित केंद्रीय क्षेत्र योजना के तहत की जाएगी।
मंत्रालय औषधीय पौधों के संरक्षण, विकास और सतत प्रबंधन पर केंद्रीय क्षेत्र योजना लागू कर रहा है। इस योजना में मूल्यवर्धन, शुष्क भंडारण और विपणन बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए संयुक्त वन प्रबंधन समितियों (जेएफएमसी) की मदद करने का प्रावधान है।
पूर्वोत्तर राज्यों की सरकारों, केंद्र सरकार के अधीनस्थ आयुष चिकित्सा सुविधाओं और आयुष कॉलेजों के शिक्षण अस्पतालों को आयुष स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एएचएमआईएस) के तहत लाया जाएगा ताकि विभिन्न रोग प्रबंधन में आयुष की मदद का डिजिटल डेटा बेस विकसित किया जा सके।