जानें एंटी डिप्रेशन दवाओं से जुड़ी भ्रांतियां

कुछ मामलों में तो एंटी डिप्रेशन दवा बहुत जरूरी होती है और वह बहुत तेजी से आराम देती हैं
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लखनऊ। डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है जिसको लेकर अभी भी जागरूकता का अभाव है। ज्यादातर लोगों में यह भ्रांति फैली हुई है कि अवसाद की दवाओं का सेवन करने वाले की दवा कभी छूटती नहीं है, ऐसा नहीं है। अवसाद दूर करने के लिए जो दवाएं दी जाती हैं, वे व्यक्ति के ठीक होने पर छूट जाती हैं। ऐसा उन दवाओं के साथ होता है जो नींद आने के लिए दी जाती हैं, उनका आदी होने पर उन दवाओं को छोड़ना मुश्किल होता है।

मनोचिकित्सक डॉ. अलीम सिद्दीकी का कहना है, ” एंटी डिप्रेशन दवा को लेकर आम जन में बहुत सारी भ्रांतियां फैली हुई हैं। लोगों की सोच है कि ऐसे दवाएं एक बार शुरू हो जाएं तो वे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं और जीवन भर इन्हें खाना पड़ता है। लेकिन ऐसा नहीं है। मरीज के ठीक होने के बाद इन दवाओं को हम लोग बंद करा देते हैं। “

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भारत में है मनोचिकित्सकों की कमी

आज की भागमभाग जिन्दगी, जीवन शैली जैसे अनेक कारणों के चलते भारत में 15 से 20 प्रतिशत लोग अवसाद यानी डिप्रेशन के शिकार हैं, यह अवसाद तीन श्रेणी का होता है माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर। चूंकि देश में मनोचिकित्सक की संख्या करीब 6000 है, ऐसे में अवसाद के मरीजों के अनुपात में चिकित्सक बहुत कम हैं।

 मनोचिकित्सक  डॉ. अलीम सिद्दीकी।

तुरंत दिखाएं डाक्टर को

डॉ. अलीम सिद्दीकी का कहना है, ” अवसाद का शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर से मिलना चाहिए। धीरे-धीरे व्यक्ति में नकारात्मक से सोच जन्म लेने लगती है। पहले-पहल मन न लगना, उदास रहना जैसे लक्षण देरी करने पर डिप्रेशन का रूप ले लेते हैं। अगर हफ्ते 10 दिन तक उदासी बनी रहे तो अपने फिजिशन से मिल लें। इसलिए अवसाद का लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से मिलें।”

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अवसाद के लक्षण

किसी व्यक्ति में उदासीपन, दुखी रहना, थकान, जोड़ों में दर्द, नींद न आना, आत्महत्या के विचार आना जैसे लक्षण 15 दिन या उससे ज्यादा रहें और उसका कामकाज प्रभावित हो तो यह लक्षण अवसाद यानी डिप्रेशन के होते हैं।


मनोवैज्ञानिक डॉ शाजिया सिद्दीकी का कहना है, तनाव को दूर करने के किसी कार्य के प्रति तनाव न लेकर अपना नजरिया बदलें, नींद भरपूर लें साथ ही व्यायाम जरूर करें। हफ्ते में एक दिन खुद को दें तथा परिवार के साथ समय बितायें। इस प्रकार अपने कार्य के साथ तालमेल बनाते हुए आप खुशियों भरा जीवन जी सकते हैं। “

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10 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन को शिकार

भारत में डिप्रेशन के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। यहां 10 करोड़ से ज्यादा लोग इस विकार से पीड़ित हैं। यह संख्या दक्षिणपूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में सबसे ज्यादा है। इस बात का खुलासा डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट में किया गया है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि चीन और भारत डिप्रेशन से बुरी तरह प्रभावित देशों में शामिल हैं। दुनिया भर में डिप्रेशन से प्रभावित लोगों की संख्या करीब 32.2 करोड़ है, जिसका 50 फीसदी सिर्फ इन दो देशों में हैं। 

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