मलेरिया से बचकर रहना है तो अपने आस-पास रखें सफाई

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लखनऊ। मलेरिया मच्छरों से होने वाली ऐसी बीमारी है जो जानलेवा हो सकती है। ये बीमारी बरसात में ज्यादा खतरनाक बन जाती है क्योंकि मच्छर गंदे पानी में ज्यादा पनपते हैं। इससे बचने के लिए साफ सफाई व जागरूकता जरूरी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में हर वर्ष क़रीब 50 करोड़ लोग मलेरिया से पीड़ित होते हैं। जिनमें करीब 27 लाख रोगी जीवित नहीं बच पाते, जिनमें से आधे पांच साल से कम के बच्चे होते हैं। 2013 के आंकड़ों के अनुसार, विश्व में 19 करोड़ 80 लाख से भी ज़्यादा लोगों को मलेरिया हुआ और इस बीमारी ने 5 लाख 84 हज़ार लोगों की जान ली। इनमें से 80 प्रतिशत बच्चे थे, जिनकी उम्र 5 वर्ष से कम थी।

मलेरिया क्यों और कैसे होता है और इसकी रोकथाम के लिए क्या करना चाहिए, इसके बारे में लखनऊ के विवेकानन्द पॉलीक्लीनिक के डॉ पंकज सिंह बताते हैं।

क्या है मलेरिया ?

मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है। ये प्रोटोजोअन सूक्ष्मजीव है, जो प्लाज्मोडियम वाईवैक्स के द्वारा होता है। इस सूक्ष्मजीव का वाहक मच्छर होता है। ये मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। ये इतने छोटे होते हैं कि हम इन्हें देखा नहीं जा सकता।

कैसे फैलता है

किसी संक्रमित मच्छर के काटने से एक व्यक्ति में मलेरिया के सूक्ष्मजीव आ जाते हैं वहीं दूसरी तरफ, एक संक्रमित व्यक्ति को काटने से एक मच्छर में मलेरिया के सूक्ष्मजीव आ जाते हैं। जब यह किसी व्यक्ति को काटता है, तो उसके खून की नली में मलेरिया के सूक्ष्मजीव फैल जाते हैं। ये सूक्ष्मजीव व्यक्ति की कोशिकाओं तक पहुंचते हैं और वहां इनकी गिनती बढ़ती है। ये व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं पर भी हमला करते हैं और उसे खत्म करने लगते हैं, इस तरह मलेरिया फैलता है।

मलेरिया के लक्षण

  • तेज़ बुखार और पसीना आना
  • ठंड और कंपकंपी लगना।
  • सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द
  • जी मचलना, उल्टी होना।
  • दस्त आना।

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बचाव के उपाय

  • मच्छर-दानी लगाकर सोएं और पूरे ढके हुए कपड़े पहनें।
  • घर के अंदर मच्छर मारनेवाली दवा छिड़कें।
  • घर के दरवाज़ों और खिड़कियों पर जाली लगाएं।
  • घर के आस पास सफाई रखें, जहां पानी इकट्ठा हो क्योंकि वहां मच्छर पनपने का खतरा होता है।
  • अगर मलेरिया का इलाज सही समय पर न करवाया जाए, तो शरीर में खून की भारी कमी हो सकती है और इससे जान भी जा सकती है। इसलिए लक्षण दिखते ही इलाज शुरू करवा दें।

दवाओं का छिड़काव

मलेरिया की रोकथाम के लिए 15 दिन में मैलाथियान , डीट (डाई एथाईल मेटा टोलूआमाइड) और डीडीटी रसायनों का छिड़काव करना चाहिए। इससे लार्वा नहीं पनप पाते और बीमारी से बचाव हो सकता है।

मौसम का अचानक बदलना खतरनाक

लखनऊ के डॉ पंकज सिंह बताते हैं, “मौसम जब भी अचानक बदलता है तो मच्छरों की संख्या बढ़ती है। ऐसे में जरा सी लापरवाही के चलते मलेरिया हो सकता है। इसमें सिर में दर्द, बुखार जैसे लक्षण दिखते हैं। मलेरिया के इलाज में दवा नियिमत लें, बीच में इलाज न छोड़ें। दवाओं का पूरा कोर्स करें वरना बाद में और भी ज्यादा दिक्कतें बढ़ जाती हैं।”

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