समय पर इलाज से ठीक हो सकता है सर्वाइकल कैंसर

Shrinkhala PandeyShrinkhala Pandey   3 Jan 2018 4:34 PM GMT

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समय पर इलाज से ठीक हो सकता है सर्वाइकल कैंसरमहिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का बढ़ रहा खतरा।

सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे बड़ा कैंसर है जिसके प्रति उनमें अभी भी जागरुकता कम है जबकि अगर समय पर इसका पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है।

हाल के आंकड़े बताते हैं कि 15 से 44 वर्ष की आयु में भारतीय महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का दूसरा सबसे आम कारण गर्भाशय-ग्रीवा या सर्वाइकल कैंसर के रूप में उभरा है। अगर समय पर इलाज शुरू हो जाए, तो इस रोग से मुक्ति पाई जा सकती है।

भारत में ग्रीवा कैंसर के लगभग 1,22,000 नए मामले सामने आते हैं, जिसमें लगभग 67,500 महिलाएं होती हैं। कैंसर से संबंधित कुल मौतों का 11.1 प्रतिशत कारण सर्वाइकल कैंसर ही है। यह स्थिति और भी खराब इसलिए हो जाती है कि देश में मात्र 3.1 प्रतिशत महिलाओं की इस हालत के लिए जांच हो पाती है, जिससे बाकी महिलाएं खतरे के साये में ही जीती हैं।

केजीएमयू में रेडियोथैरेपी विभाग की डॉक्टर ऋचा ने बताया, “महिलाएं आज भी अपने निजी अंगों की बीमारी के बारे में खुलकर बात नही करती हैं। सर्वाइकल कैंसर का अगर शुरूआती दौर में पता चल गया तो उसको रेडियोथेरेपी द्वारा इलाज किया जा सकता है, लेकिन जागरूकता न होने की वजह से लोग तीसरे या चौथे स्टेज में ही आते हैं।”

सर्वाइकल कैंसर सर्विक्स की लाइनिंग, यानी यूटरस के निचले हिस्से को प्रभावित करता है। सर्विक्स की लाइनिंग में दो तरह की कोशिकाएं होती हैं- स्क्वैमस या फ्लैट कोशिकाएं और स्तंभ कोशिकाएं। गर्भाशय ग्रीवा के क्षेत्र में जहां एक सेल दूसरे प्रकार की सेल में परिवर्तित होती है, उसे स्क्वेमो-कॉलमर जंक्शन कहा जाता है। यह ऐसा क्षेत्र है, जहां कैंसर के विकास की सबसे अधिक संभावना रहती है। गर्भाशय-ग्रीवा का कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है और समय के साथ पूर्ण विकसित हो जाता है।

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हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर ज्यादातर मानव पैपीलोमा वायरस या एचपीवी के कारण होता है। लगभग सभी ग्रीवा कैंसर एचपीवी में से एक के साथ दीर्घकालिक संक्रमण के कारण होता है।

उन्होंने कहा कि एचपीवी संक्रमण यौन संपर्क या त्वचा संपर्क के माध्यम से फैलता है। कुछ महिलाओं में गर्भाशय-ग्रीवा की कोशिकाओं में एचपीवी संक्रमण लगातार बना रहता है और इस रोग का कारण बनता है। इन परिवर्तनों को नियमित ग्रीवा कैंसर स्क्रीनिंग (पैप परीक्षण) द्वारा पता लगाया जा सकता है। पैप परीक्षण के साथ, गर्भाशय ग्रीवा से कोशिकाओं का एक सतही नमूना नियमित पेल्विक टैस्ट के दौरान एक ब्रश से लिया जाता है और कोशिकाओं के विश्लेषण के लिए एक प्रयोगशाला में भेजा जाता है।

सर्वाइकल कैंसर के कुछ लक्षणों में शामिल है- योनि से असामान्य रूप से खून बहना, रजोनिवृत्ति या यौन संपर्क के बाद योनि से रक्तस्राव, सामान्य से अधिक लंबे समय मासिक धर्म, अन्य असामान्य योनि स्राव, और यौन संसर्ग के दौरान दर्द के बीच रक्तस्राव।

सही समय पर इलाज से सर्वाइकल कैंसर हो सकता है ठीक।

डॉ. अग्रवाल ने आगे बताया, "सर्वाइकल कैंसर को अक्सर टीकाकरण और आधुनिक स्क्रीनिंग तकनीकों से रोका जा सकता है, जो गर्भाशय ग्रीवा में पूर्वकाल परिवर्तन का पता लगाता है। गर्भाशय-ग्रीवा के कैंसर का उपचार कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि कैंसर की अवस्था, अन्य स्वास्थ्य समस्याएं। सर्जरी, विकिरण, कीमोथेरेपी या तीनों को मिलाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।"

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उन्होंने गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर को रोकने के लिए कुछ सुझाव भी दिए :

  • कंडोम के बिना कई व्यक्तियों के साथ यौन संपर्क से बचें।
  • हर तीन वर्ष में एक पेप टेस्ट करवाएं, क्योंकि समय पर पता लगने से इलाज में आसानी होती है।
  • धूम्रपान छोड़ दें, क्योंकि सिगरेट में निकोटीन और अन्य घटकों को रक्त की धारा से गुजरना पड़ता है और यह सब गर्भाशय-ग्रीवा में जमा होता है, जहां वे ग्रीवा कोशिकाओं के विकास में बाधक बनते हैं। धूम्रपान प्रतिरक्षा तंत्र को भी दबा सकता है।
  • फल, सब्जियों और पूर्ण अनाज से समृद्ध स्वस्थ आहार खाएं, मगर
  • मोटापे से दूर रहें।

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