Gaon Connection Logo

पुरुषों के गुर्दे में दोबारा पथरी होने की आशंका अधिक

New Delhi

नई दिल्ली (आईएएनएस)। पूरे जीवन में गुर्दे में पथरी होने की आशंका पुरुषों में 13 प्रतिशत और महिलाओं में मात्र सात प्रतिशत होती है। एक बात यह भी है कि 35 से 50 प्रतिशत लोग, जिन्हें पहले गुर्दे में पथरी हो चुकी है, उन्हें आने वाले पांच साल में दोबारा हो सकती है।

सेहत से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया, “पथरी से कोई और समस्या तो नहीं होती, लेकिन इससे दर्द होता है। गुर्दे में होने वाली पथरी आमतौर पर छोटी होती है और पेशाब के साथ निकल जाती है। हां, कुछ पथरियां गुर्दे या पेशाब वाहिनी नली में फंस जाती है और इस वजह से समस्याएं हो सकती हैं।”

अटकी हुई पत्थरी को निकालने के कई तरीके हैं। जिन लोगों को एक बार पथरी होती है, उनमें से आधे लोगों को जीवन में दोबारा पथरी जरूर होती है। दिन में काफी मात्रा में पानी पीना ऐसा होने से रोक सकता है।

पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल राष्ट्रीय अध्यक्ष आईएमए

डॉ. अग्रवाल कहते हैं, “जब कुछ पथरियां गुर्दे या पेशाब वाहिनी नली में फंस जाती हैं, तब दर्द बहुत बढ़ जाता है और मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ सकता है। कई बार पथरी इतनी बड़ी होती है कि यह पेशाब नली को पूरी तरह से बंद कर ही देती है। इससे गुर्दे में संक्रमण या क्षति हो सकती है। एक्स-रे के जरिए इसका पता लगाया जा सकता है और बड़ी पथरी को निकाला जा सकता है।”

डॉ. अग्रवाल की सलाह :

  1. पानी पीने की मात्रा इतनी बढ़ा दें कि दिन में कम से कम दो लीटर पेशाब आए। दिनभर में पानी ज्यादा पीने से दोबारा पत्थरी होने का खतरा आधा रह जाता है और इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता। लेकिन जो लोग पहले से काफी मात्रा में पानी पीते हैं, ऐसे लोगों को और अधिक पानी नहीं पीना चाहिए।
  2. प्रमाणों से पता चला है कि सामान्य पानी की बजाय किसी खास ब्रांड का पानी पीने से पथरी की समस्या पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
  3. अगर ज्यादा पानी पीने से गुर्दे में पथरी होना बंद न हो तो थाइजाइड ड्युरेक्टिक, स्रिटेट या एलोप्युरिनोल दवाओं के जरिए मोनोथेरेपी ली जा सकती है। यह दवाएं उन लोगांे में कैल्शियम जमा होने से बनने वाली पथरी के दोबारा पैदा होना कम कर देते हैं, जिन्हें पहले दो या ज्यादा बार पत्थरी हो चुकी है।
  4. कॉम्बिनेशन थेरेपी मोनोथेरेपी से ज्यादा प्रभावशाली नहीं है। इन सभी दवाओं के दुष्प्रभाव देखे गए थे। थाइजाइड्स से ओर्थोस्टासिस, पाचनतंत्र में गड़बड़ी, मर्दाना कमजोरी, कमजोरी और मांसपेशियों में समस्या आदि होती है। स्रिटेट्स से पाचनतंत्र में समस्या और एलोपूरिनोल से रैश, गंभीर गठिया और ल्यूकोपेनिया हो सकता है।
  5. पीड़ित को कोला और फास्फोरिक एसिड वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए।
  6. फलों के स्वाद वाले साफ्ट ड्रिंक लिए जा सकते हैं, क्योंकि उनमें स्रिटक एसिड होता है।
  7. मरीज को चॉकलेट, चुकंदर, मूंगफली, रेवाचीनी, पालक, स्ट्रॉबेरी, चाय और व्हीट ब्रान का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसमें आहारीय ऑक्सालेट मौजूद होता है।
  8. मरीज को जीवों से मिलने वाले प्रोटीन और प्यूरीन का सेवन कम से कम करना चाहिए और सामान्य आहारीय कैल्शियम लेते रहना चाहिए।

More Posts

मोटे अनाज की MSP पर खरीद के लिए यूपी में रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है, जानिए क्या है इसका तरीका?  

उत्तर प्रदेश सरकार ने मोटे अनाजों की खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिया है। जो किसान भाई बहन मिलेट्स(श्री...

यूपी में दस कीटनाशकों के इस्तेमाल पर लगाई रोक; कहीं आप भी तो नहीं करते हैं इनका इस्तेमाल

बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा देने और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने...

मलेशिया में प्रवासी भारतीय सम्मेलन में किसानों की भागीदारी का क्या मायने हैं?  

प्रवासी भारतीयों के संगठन ‘गोपियो’ (ग्लोबल आर्गेनाइजेशन ऑफ़ पीपल ऑफ़ इंडियन ओरिजिन) के मंच पर जहाँ देश के आर्थिक विकास...