नई दिल्ली। मधुमेह रोगियों के घाव एक सामान्य और स्वस्थ व्यक्ति की तुलना में जल्दी ठीक नहीं हो पाते हैं, ऐसे में आईआईटी मद्रास के छात्रों द्वारा विकसित पट्टी मददगार साबित हो सकती है।
देश में पिछले पांच वर्षों के दौरान मधुमेह पीड़ितों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, अंतराष्ट्रीय मधुमेह संघ (आईडीएफ) के मुताबिक भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या वर्ष 2011, 2013 और 2015 में क्रमश 61.3 मिलियन, 65. 1 मिलियन और 69. 2 मिलियन थी।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) मधुमेह पीड़ितों की सही संख्या का पता लगाने के लिए ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में ‘आईसीएमआर- आईएनडीआईएबी’ नामक संस्था अध्ययन कर रही है। अब तक इसके तहत 15 राज्यों को कवर किया गया है और मधुमेह की व्याप्तता बिहार में 4.3 % से लेकर चंडीगढ़ में 13.6 % तक है।
आईआईटी मद्रास के छात्रों ने ग्रेफाइन आधारित घटकों का उपयोग करके मधुमेह रोगियों के घाव को भरने के लिए एक सामग्री विकसित की है। मधुमेह रोगियों के घाव एक सामान्य और स्वस्थ व्यक्ति की तुलना में तेजी से ठीक नहीं होते हैं। इससे ऐसे घाव जो नहीं भर सकते है, उनके गंभीर परिणाम हो सकते है। इस तरह के पुराने घावों का उपचार एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहायक प्रोफेसर विग्नेश मुथुविजयन ने कहा, “हम घाव भरने के लिए एक सस्ती पद्धति तैयार करने के लिए रक्त वाहिका में सुधार के वास्ते ग्रेफाइन आधारित सामग्री का लाभ उठाना चाहते थे।”
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि ग्रेफाइन आधारित सामग्री का उपयोग करके घाव भरने की पद्धति विकसित करने की दिशा में यह पहला कदम है। शोधकर्ताओं ने कम ग्रेफेन ऑक्साइड प्राप्त करने के लिए ग्रेफाइन ऑक्साइड पर सूरज की रोशनी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक उत्तल लेंस का उपयोग किया।