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सेहत की रसोई: ज्वार का रोटला व लहसुन की चटनी

Patalkot

सेहत की रसोई यानी बेहतर सेहत आपके बिल्कुल करीब। हमारे बुजुर्गों का हमेशा मानना रहा है कि सेहत दुरुस्ती के सबसे अच्छे उपाय हमारी रसोई में ही होते हैं। इस कॉलम के जरिये हमारा प्रयास है कि आपको आपकी किचन में ही सेहतमंद बने रहने के व्यंजन से रूबरू करवाया जाए। सेहत की रसोई में इस सप्ताह हमारे मास्टरशेफ भैरव सिंह राजपूत पाठकों के लिए ला रहे हैं एक बेहतरीन रेसिपी। भैरव इस सप्ताह ज्वार का रोटला और लहसुन की चटनी को तैयार करने की विधि बता रहें हैं और इस रेसिपी के खास गुणों की वकालत करेंगे हमारे अपने हर्बल आचार्य यानी डॉ. दीपक आचार्य-

आवश्यक सामग्री

  • 200 ग्राम ज्वार का आटा
  • 20 ग्राम तिल के बीज
  • स्वादानुसार नमक
  • थोड़ा सा घी
  • आवश्यकतानुसार गर्म पानी

विधि

एक बर्तन में ज्वार के आटे की बताई मात्रा ली जाए और इसमें स्वादानुसार नमक डालकर अच्छी तरह मिक्स कर दिया जाए। आटे के बीच एक गहराई बनाकर आहिस्ता-आहिस्ता गर्म पानी डालिए और आटे को हाथों से गूंथना शुरु किया जाए और नर्म होने तक इसे दबाते और मसलते हुए आटे का गूंथ तैयार कर लें। रोटी बनाने की प्रक्रिया की तरह इसे भी बेलन और पटे पर लोई बनाकर रोटी के आकार का चपटा 7-8 इंच के व्यास रोटला (रोटी से अपेक्षाकृत बड़ा और मोटा) बनाया जाए। रोटला बन जाने के बाद इस पर थोड़ी सी मात्रा में तिल के दाने डाल दिए जाएं। अब तवे पर रोटला सेंका जाए। रोटला के पकते समय ऊपरी भाग पर हल्का सा पानी छिड़क दें ताकि इसपर कालापन या धब्बे ना बनें। कुछ देर बाद इसे पलटकर दूसरे हिस्से की सिकाई करें। जब दोनो सिरे पक जाएं और हल्के भूरे रंग के धब्बे दिखायी दें तो इस पर थोड़ा घी डालकर लहसुन की चटनी के साथ परोस दें।

लहसुन की चटनी

100 ग्राम लहसुन का पेस्ट लेकर एक बर्तन में थोड़े से घी के साथ मिलाकर भून लिया जाए, इस पर लाल मिर्च का पाउडर भी डाल दिया और स्वादानुसार नमक मिलाकर कुछ देर मध्यम आंच पर भून लें, और हो गयी तैयार लहसुन की चटनी।

क्या कहते हैं हर्बल आचार्य

ज्वार एक देसी अनाज है जिसकी खेती भारत के अनेक राज्यों में की जाती है। इसके कोमल भुट्टों को भूनकर भी खाया जाता है। वैसे ज्वार बहुत ही पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है और इसमें अनेक पोषक तत्व भी पाए जाते है। आदिवासी ज्वार की रोटी बड़े चाव से खाते हैं। ज्वार की रोटी को प्रतिदिन छाछ में डुबोकर खाने से अधिक प्यास लगना बंद हो जाती है। ऊंची पहाड़ों पर चढाई से पहले आदिवासी अक्सर ज्वार की रोटी और छाछ का सेवन करते हैं।

पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार मानते हैं कि ज्वार के आटे को पानी में मिलाकर रात में गाढ़ा उबाल लिया जाए और अंधेरी जगह में रख दिया जाए, सुबह इसमें जीरा और छाछ मिलाकर पीने से पेट की जलन कम होती है और एसीडिटी में काफी फ़ायदा होता है। ज्वार बेहद खास अनाज है। भैरव लहसुन की चटनी की बात भी कर रहे हैं। लहसुन के औषधीय गुणों पर तो दुनियाभर के वैज्ञानिक शोध किए जा रहें हैं और तो और पूरी वैज्ञानिक जमात हृदय रोगों में लहसुन के कारगर होने पर ज्यादा काम कर रही है। तमाम आधुनिक शोधों की रपट के अनुसार, वे लोग जो ताजी लहसुन की कलियों का सेवन प्रतिदिन सुबह करते हैं, उनके LDL कोलेस्ट्राल का स्तर कम हो जाता है जबकि HDL कोलेस्ट्राल के स्तर को कोई नुकसान नहीं होता है। तो अब देरी किस बात की, फटाफट इस रेसिपी को तैयार करें और मजे से खाएं और सेहत भी बनाएं।

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