सेहत की रसोई : बनाएं ‘सैदी चाय’ व ‘हरी गौती चाय’

India

सेहत की रसोई यानि बेहतर सेहत आपके बिल्कुल करीब। हमारे बुजुर्गों का हमेशा मानना रहा है कि सेहत दुरुस्ती के सबसे अच्छे उपाय हमारी रसोई में ही होते हैं। इस कॉलम के जरिये हमारा प्रयास है कि आपको आपकी किचन में ही सेहतमंद बने रहने के व्यंजनों से रूबरू करवाया जाए। सेहत की रसोई में इस सप्ताह हमारे मास्टर शेफ भैरव सिंह राजपूत इस बार पाठकों के लिए ला रहे हैं दो बेहतरीन चाय रेसिपी। भैरव इस सप्ताह ‘हरी गौती

चाय’ और बस्तर की ‘सैदी चाय’ तैयार करने की विधि बता रहें हैं और इन रेसिपी के खास गुणों की वकालत करेंगे हमारे अपने हर्बल आचार्य यानि डॉ दीपक आचार्य

बुंदेलखण्ड के ग्रामीणों की हरी गौती चाय

बुंदेलखंड में ग्रामीण लोग इस तरह की चाय बनाते हैं। हल्की सी नींबू की सुंगध लिए इस चाय की चुस्की गजब की ताजगी ले आती है।

आवश्यक सामग्री

  • लेमन ग्रास की तीन पत्तियां
  • दो कप पानी
  • शक्कर स्वादानुसार
  • अदरक थोड़ा सा

विधि

लेमन ग्रास की तीन पत्तियों को हथेली पर मसलकर दो कप पानी में डाल कर उबाला जाए। उबलती चाय में स्वादानुसार शक्कर डाल दिया जाए और तब तक उबाला जाए जब तक कि यह एक कप शेष बचे। जो लोग अदरक का स्वाद पसंद करते हैं, वे एक चुटकी अदरक कुचलकर इसमें डाल सकते हैं। इस तरह तैयार हो जाती है स्वादिष्ट ताज़गी भरी गौती चाय। इस चाय में दूध का उपयोग नहीं होता है।

बस्तर की सैदी या मीठी चाय

शहद होने की वजह से इस चाय को शहदी चाय या सैदी चाय कहा जाता है। बस्तर के दूरस्थ गाँवों में अक्सर इस चाय को तैयार किया जाता है।

आवश्यक सामग्री

  • साधारण चाय पत्ती दो चम्मच
  • शहद दो चम्मच
  • दूध दो चम्मच
  • पानी दो कप
  • अदरक चुटकी भर

विधि  

साधारण चाय पत्ती के साथ दो चम्मच शहद और दूध दो चम्मच डालकार फेंटा जाता है। दूसरी तरफ  एक बर्तन में दो कप पानी को उबाला जाता है। पानी जब उबलने लगे इसमें इस फेंटे हुए मिश्रण को डाल दिया जाता है। यदि आवश्यकता हो तो थोड़ी सी मात्रा अदरक की डाल दी जाती है और इस तरह तैयार हो जाती है सैदी चाय।

क्या कहते हैं हर्बल आचार्य

यह बात कम ही लोग जानते हैं कि चाय का सर्वप्रथम प्रयोग औषधि के तौर पर किया गया था। जड़ी-बूटियों के जानकार समय-समय पर तमाम रोगों के इलाज के लिए चाय की ताजा पत्तियों और इसके बीजों को औषधि के तौर पर इस्तमाल करते आए हैं। जैस-जैसे समय बीता, चाय हमारी जिंदगी का हिस्सा और दिन के शुरुआत में पहला पेय के रूप में हमारे परिवारों के बीच प्रचलित हो गई। खाद्य और पेय पदार्थों को औषधीय गुणों के आधार पर अपने दैनिक जीवन संतुलित मात्रा में लेने से कई रोगों से दूर-दूर तक आपका पाला नहीं पड़ता है। गौती चाय में कमाल के एंटीआक्सीडेंट गुण होते हैं और शरीर के अंदर किसी भी प्रकार के संक्रमण को नियंत्रित करने में गौती चाय काफी असरकारक होती है। मध्य भारत के गोंडवाना क्षेत्र में गौती चाय बनाते समय इसी चाय में संतरे या नींबू के छिलके डाल दिए जाते हैं और कुछ मात्रा नींबू रस की भी डाल दी जाती है और फिर परोसी जाती है खट्टी गौती चाय। सदियों पुराने इस एंटी एजिंग फार्मूले को आदिवासी अपनाते रहे हैं और अब आधुनिक विज्ञान इस पर ठप्पा लगाना शुरू कर रहा है। नई शोधें बताती है कि हरी गौती चाय और नींबू का मिश्रण उम्र के पड़ाव की प्रक्रिया को धीमा कर देता है, यानि आप इस चाय का प्रतिदिन सेवन करें तो अपने यौवन को लंबा खींच सकते हैं। माना जाता है कि यह चाय शरीर में गजब की स्फूर्ति लाती है। 

सैदी चाय में शहद, अदरक और चाय के अपने अपने औषधीय गुण है और जब इनका संगम होता है तो ये गजब का टॉनिक बन जाते हैं। तो अब देरी किस बात की, जाड़े के इस मौसम में इन पारंपरिक चाय को घर पर ही तैयार करें, चाय की चुस्कियों के साथ सेहत की देखभाल भी करें।

Recent Posts



More Posts

popular Posts