किशोरावस्था के दौरान तेजी से होने वाले हॉर्मोनल परिवर्तन के कारण अक्सर इन्हें चेहरे तथा त्वचा संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दौरान होने वाली प्रमुख समस्याओं में से एक मुहांसे भी है।
मुहांसों से निपटने के लिए किशोर बाजार में उपलब्ध तमाम क्रीम और दवाओं का इस्तमाल करते हैं और जब परिणाम संतोषजनक नहीं मिलते तो एक अलग तरह के मानसिक तनाव में पहुंच जाते हैं। चेहरे पर मुंहासे उन्हें अनाकर्षक या बदसूरत दिखना महसूस कराता है, इनमें विश्वास की कमी आ जाती है और आम तौर पर वे खुद को अपने मित्र मंडली से दूर कर लेते हैं। जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और तनावपूर्ण जीवन शैली भी त्वचा की समस्याओं में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
मुंहासे चेहरे की वसामय ग्रंथियों से सीबम नामक पदार्थ के अधिक उत्पादन के साथ शुरू होता है। सीबम के अधिक उत्पादन से चेहरे के बारीक छिद्रों के बीच मृत कोशिकाओं और चिपचिपे तेल की जमावट हो जाती है जिससे छिद्रों में अवरोध उत्पन्न होता है और इसी वजह से सामान्य रूप से त्वचा में मौजूद बैक्टीरिया के कारण संक्रमण भी होता है। छिद्रों पर तेल और मृत कोशिकाओं के जमाव और बैक्टीरियल संक्रमण होने की वजह से मुहांसे बन जाते हैं।
ये फार्मूले जगजाहिर भी हैं इसलिए इनका जिक्र यहां करने से उनके बौद्धिक संपदा के अधिकारों का हनन जैसी कोई बात नहीं है तो आइये जानते हैं कुछ नुस्खों को..
- चौलाई की भाजी से प्राप्त होने वाले बीजों की चाय बनायी जाए और इस चाय का उपयोग फेसवाश की तरह किया जाना चाहिए। इस चाय को तैयार करने के लिए 3 कप पानी को उबाला जाए और इसमें चौलाई के बीज (2 चम्मच) मिला लिए जाए। बर्तन को ढांककर कुल 3 मिनिट तक इसे उबाला जाए। उबलने के बाद इस पानी में तुलसी के 10 ताजे हरे पत्तों को ऊपर से डाल दिया जाए और अगले 30 मिनट तक फिर से ढंके रखा जाए। रात को सोने से पहले इस पानी को फेसवाश की तरह इस्तमाल किया जाना चाहिए, मुहांसों में अतिशीघ्र आराम मिल जाता है।
- तुलसी की 15-20 ताजी हरी पत्तियों को लेकर एक कप पानी में डाला जाए और 10-15 मिनिट तक धीमी आंच पर रख दिया जाए, काढा बन जाएगा, इस काढ़े के ठंडे होने पर इसे मुहांसों पर दिन में 4 से 5 बार लगाया जाना चाहिए, आराम मिलता है।
- घीग्वार जिसे एलो-वेरा भी कहा जाता है, इसकी ताजी पत्ती की ऊपरी सतह को छीलने से अंदर एक जैल सदृश पदार्थ मिलता है। इस जैल (5 ग्राम) को निकालकर इसमें 1 ग्राम बेसन और चुटकी भर हल्दी मिला ली जाए और मुहांसों पर लगाया जाए तो मुहाँसों बैठ जाते हैं और जल्द ही आराम मिल जाता है।
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- चेहरे की त्वचा को साफ पानी से धो लिया जाए और इस पर कपास की मदद से नींबू का रस लगाया जाए तो चेहरे के छिद्रों पर तेल और मृत कोशिकाओं के जमावड़े को हटाया जा सकता है और त्वचा खूबसूरत भी दिखाई देती है। कुछ आदिवासी हर्बल जानकार चेहरे पर गर्म पानी की भाप लेने की सलाह देते हैं। इनके अनुसार एक चौड़े बर्तन में गर्म खौलता पानी डाल दिया जाए और पूरे सिर पर तौलिया डालकर खौलते पानी से निकल रही भाप को चेहरे के संपर्क में लाया जाए जिससे छिद्रों में उपस्थित गंदगी और तेल बाहर निकल आते है। कुछ देर बाद चेहरे पर कपास को हल्का-हल्का रगड़कर चेहरा साफ कर लिया जाए और फिर चेहरे पर नींबू रस लगाया जाए। ऐसा सप्ताह में सिर्फ़ एक बार किया जाना काफी है, मुहांसे ठीक हो जाते है और चेहरे से दाग धब्बे भी मिट जाते हैं।
- ककड़ी को छीलकर रस तैयार कर लिया जाए, रस तैयार करने के लिए मिक्सर-ग्राइंडर का इस्तमाल किया जा सकता है। इस रस को चेहरे पर लगाया जाए तो आराम मिलता है। आदिवासियों के अनुसार इस दौरान यदि ककड़ी का रस प्रतिदिन 3-4 कप पिया जाए तो और भी तेजी से फायदा होता है।
- कच्चे लहसुन को कुचलकर मुहांसों पर लगाने से बैक्टिरियल संक्रमण समाप्त होता है और आराम मिलने लगता है।
- नीम के एंटी-बैक्टिरियल, एंटी-फंगल और एंटी-वायरल गुणों से सारी दुनिया परिचित है और आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार यदि प्रतिदिन 5-10 ताजी हरी कोमल नीम की पत्तियों को चबाया जाए तो त्वचा और खून से जनित तमाम विकारों में बेहद फायदा होता है। लगातार सेवन करते रहने से चेहरे पर ताजगी के साथ-साथ विभिन्न रोगों से लड़ने के लिए रोग-प्रतिरोधकता का भी विकास होता है। चेहरे पर अक्सर होने वाले मुहांसे, ब्लैक हेड्स और दाग-धब्बों का नामोनिशान भी मिट जाता है।
- चेहरे पर साबुन के इस्तेमाल के बजाए बेसन को रगड़ना चाहिए। बेसन लेकर इसमें हल्का सा पानी डालकर पेस्ट तैयार किया जाए और इस पेस्ट को साबुन की तरह चेहरे पर लगाया जाए और धीमे धीमे रगड़ा जाए। बेसन बंद पड़े छिद्रों को खोलने में मदद करता है और चने के एंटी-बैक्टिरियल गुणों की वजह से इन छिद्रों में बसे बैक्टिरिया निष्कि्रय हो जाते हैं।
ध्यान रखने योग्य बातें
मुहांसों को खरोंचना, चुटकी या निचोड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे बैक्टिरियल संक्रमण बढ़ जाता है, चेहरे पर इनके फैलाव की गुंजाइश बढ़ जाती है साथ ही ऐसा करने से चेहरे पर निशान भी बन सकते हैं जिससे आप और बदसूरत दिखने लगेंगे। खान-पान और आपका रहन-सहन आपकी सेहत बनाता या बिगाड़ता है, इन्ही की वजह से आप अक्सर बैक्टीरिया या अन्य सूक्ष्मजीवों से संक्रमित हो जाते हैं। कैफीन (जो कॉफी, सॉफ़्ट ड्रिंक्स आदि में पाया जाता है), अल्कोहल और धूम्रपान को त्यागना जरूरी है साथ ही चॉकलेट, मिठाईयां और ज्यादा नमक लिए जंक फूड आदि त्यागकर आप इन समस्याओं से दूर रह सकते हैं। तो, अपनाइये सामान्य और पौष्ठिक आहार, साफ-सफाई और देसी नुस्खे, मुहांसे छू-मंतर हो जाएंगे, स्वस्थ रहिए- मस्त रहिए।