लखनऊ। तेजी से बदलते जीवनशैली से उच्च रक्तचाप से ग्रसित होने वाले लोगों में तेजी से इजाफ़ा हुआ है। उच्च रक्तचाप से बचाव के लिए प्रत्येक वर्ष 17 मई को विश्व उच्च रक्तचाप दिवस मनाया जाता है। यह दो प्रकार का होता है। पहला एस्सेनशिअल उच्च रक्तचाप जो मूलतः अनुवांशिक, अधिक उम्र होने पर, अत्यधिक नमक का सेवन तथा लचर एवं लापरवाह जीवनशैली के कारण होता है। दूसरा सेकेंडरी उच्च रक्तचाप जो उच्च रक्तचाप का सीधा कारण चिन्हित हो जाये उस स्थिति को सेकेंडरी उच्च रक्तचाप कहते हैं। यह गुर्दा रोग के मरीजों तथा गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन करने वाली महिलाओं में अधिक देखा जाता है।
पूर्णिया जिले के जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सर्जन डा. सुभाष चंद्र पासवान बताते हैं, ” ख़राब जीवनशैली के कारण धीरे-धीरे किशोर एवं युवक भी इस गंभीर समस्या से पीड़ित हो रहे हैं। इसलिए बिगड़ती जीवनशैली को ठीक करना बहुत जरुरी है। आहार में फ़ास्ट फ़ूड की जगह फलों का सेवन, सुबह जल्दी उठना एवं रात में जल्दी सोना, अवसाद एवं तनाव से बचना एवं नियमित व्यायाम से इस रोग से बचा जा सकता है।”
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यह लक्षण दिखाई दे तो हो जाएं सावधान : उच्च रक्तचाप को शुरूआती लक्षणों से जाना जा सकता है एवं इससे बचा भी जा सकता है
-सर में अत्यधिक दर्द रहना
-लगातार थकावट का अहसास
-सीने में दर्द होना
-सांस लेने में कठिनाई
-दृष्टि में धुंधलापन
-पेशाब में खून आना
-गर्दन,सीने व बांहों में दर्द का लगातार बने रहना
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अधिकतर उच्च रक्तचाप के रोगियों को मालूम भी नहीं रहता की वह इससे ग्रसित हैं तथा इसके लक्षणों को नजरंदाज करते हैं। इसे अनदेखा करने वाले मरीजों को गंभीर बीमारियों जैसे हृदयघात, मस्तिष्कघात, लकवा, ह्रदय रोग,किडनी का काम करना बंद हो जाना जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है।
तनावग्रस्त जीवनशैली उच्च रक्तचाप के प्रमुख कारणों में से एक है। इसके अलावा धूम्रपान करना, मोटापा, अत्यधिक शराब का सेवन, अच्छी नींद का ना लेना, चिंता, अवसाद, भोजन में नमक का अधिक प्रयोग, गंभीर गुर्दा रोग, परिवार में उच्च रक्तचाप का इतिहास एवं थाईराइड की समस्या हाइपरटेंशन का कारण हो सकता है।
सिविल सर्जन डा. उषा किरण वर्मा बताती हैं, ” नियमपूर्वक व्यायाम करना, चिकित्सक द्वारा बताई गयी दवाओं का नियमित सेवन तथा तनाव घटाने हेतु योग क्रिया हाइपरटेंशन को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है की अधिकतर उच्च रक्तचाप के रोगियों को मालूम भी नहीं रहता की वो इससे ग्रसित हैं तथा इसके लक्षणों को नजरंदाज करते हैं। इसे अनदेखा करने वाले मरीजों को गंभीर बिमारियों जैसे हृदयघात, मस्तिष्कघात, लकवा, ह्रदय रोग,किडनी का काम करना बंद हो जाना जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है।