जोड़ों के दर्द में योग कारगर

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लखनऊ। सर्दी आते ही जोड़ों का दर्द बढ़ने लगता है। पहले ये सिर्फ बुढ़ापे का मर्ज था लेकिन अब ये हर उम्र की दिक्कत बनता जा रहा है। जोड़ों में दर्द की कई वजहें हो सकती हैं, जिनमें आर्थराइटिस के विभिन्न प्रकार, अधिक मेहनत की वजह से पैदा हुआ खिंचाव, मोच, चोट वगैरह खास हैं। जोड़ों के दर्द के बारे में लखनऊ के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ शुभ मल्होत्रा बता रहे हैं-

महिलाओं में खतरा ज्यादा

शहरों में रहने वाले अस्सी प्रतिशत भारतीयों में विटामिन-डी की कमी पाई गई है, जो हड्डियों की कई समस्याओं के जोड़ों में दर्द का बड़ा कारण है। गलत ढंग से बैठकर देर तक काम करने वाले वयस्क कंधे और गर्दन के जोड़ों में दर्द यानी सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। डॉ मल्होत्रा बताते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं तीन गुना ज्यादा संख्या में जोड़ों के दर्द से परेशान हैं। रजोनिवृत्ति और बच्चेदानी निकलवाने के बाद महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी होने से उनकी हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। विटामिन-डी, कैल्सियम व प्रोटीन की कमी से हड्डियों का घनत्व कम होना महिलाओं में आम बात है। इसे ही हम ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं।

क्यों होता है जोड़ो में दर्द

हमारे शरीर में हर हड्डी के जोड़ वाले सिरे पर कार्टिलेज की परत चढ़ी होती है। यह चिकने, रबर जैसे मुलायम संयोजी ऊतकों का समूह है, जो लचीली गद्दी की तरह काम करता है और जोड़ों को ठीक ढंग से मोड़ने-घुमाने में मदद करता है। कार्टिलेज को स्वस्थ रखने के लिए शरीर इसके ऊपर गाढ़े-चिकने, तैलीय किस्म का एक स्राव निरंतर बनाए रखता है। आहार की गड़बड़ियों की वजह से कार्टिलेज घिसने लगते हैं या इसकी चिकनाई बनाए रखने वाले गाढ़े स्राव की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके कारण जोड़ों में दर्द और सूजन बढ़ जाती है। इस हाल में जोड़ों में दर्द बढ़ जाता है। हाथ, पैर, रीढ़ या जिन जोड़ों पर शरीर का भार ज्यादा होता है, वे इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

सलाह

जोड़ों की किसी भी परेशानी से बचने के लिए जरूरी है शरीर का वजन नियंत्रण में रखा जाए। यदि कार्टिलेज बुरी तरह नष्ट हो गए हैं तो सर्जरी करानी उचित है। वजन नियंत्रण में रहे तो कृत्रिम घुटने 15 से 20 वर्ष तक काम करते हैं। इस लिहाज से घुटना प्रत्यारोपण के लिए सही उम्र 60 से 65 वर्ष है।

योग से होगा फायदा

कई आसन ऐसे हैं, जो जोड़ों को मजबूत बनाते हैं और दर्द में राहत पहुंचाते हैं। किसी योग्य प्रशिक्षक से ये क्रियाएं सीखकर इन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करें। जोड़ों को मजबूती देने वाले आसनों में वीर भद्रासन, सेतु-बंध आसन, त्रिकोणासन, धनुरासन, उष्ट्रासन, मकर अधोश्वानासन, मृगासन, पवन मुक्तासन, मंडूक आसन, सुखासन, वज्रासन, ताड़ासन आदि का अभ्यास करना चाहिए। इसके अलावा पीठ के बल लेट कर पैरों से हवा में साइकिल चलाने जैसा अभ्यास करना भी घुटनों के लिए खास फायदेमंद है।

खान-पान का रखें खास ध्यान

पौष्टिक भोजन जरूरी है, पर गरिष्ठ भोजन से बचें। हरी सब्जियों का भरपूर सेवन करें, शरीर को एंटीऑक्सीडेंट मिल सकेंगे। प्रोटीन की उचित मात्रा के अलावा विटामिन-डी, विटामिन-के और कैल्शियम का भी सेवन करें। भरपूर सलाद खाएं। अंकुरित अनाजों का इस्तेमाल भरपूर करें। जंकफूड अधिक खाने से बचें। वसा वाली चीजें कम और उच्च प्रोटीन वाली चीजों का ज्यादा सेवन करें। सोयाबीन से प्रोटीन प्राप्त करना बेहतर है।

मसालेदार भोजन नुकसानदेह

ज्यादा मसालेदार भोजन और शराब के अत्यधिक सेवन से भी गठिया जैसे रोग बढ़ जाते हैं। इन चीजों की वजह से गुर्दे में मूत्र कम या ज्यादा बनने लगता है। यूरिक अम्ल का स्तर बढ़ जाता है। यूरिक अम्ल के क्रिस्टल जोड़ों में जमा होकर गठिया के दर्द का सबब बनते हैं।

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