सेहत की रसोईः जाने कैसे बनाएं सौंफ-नीम का शरबत

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सौंफ-नीम का शर्बत 

सेहत की रसोई यानि बेहतर सेहत आपके बिल्कुल करीब। हमारे बुजुर्गों का हमेशा मानना रहा है कि सेहत दुरुस्ती के सबसे अच्छे उपाय हमारी रसोई में ही होते हैं। इस कॉलम के जरिए हमारा प्रयास है कि आपको आपकी किचन में ही सेहतमंद बने रहने के व्यंजन से रूबरू करवाया जाए। सेहत की रसोई में आज हमारे मास्टर शेफ भैरव सिंह राजपूत इस बार पाठकों के लिए ला रहे हैं एक बेहतरीन रेसिपी। भैरव इस बार सौंफ और नीम का शर्बत तैयार करने की विधि बता रहें हैं और इस रेसिपी के औषधीय गुणों की वकालत करेंगे हमारे अपने हर्बल आचार्य यानि डॉ. दीपक आचार्य-

आवश्यक साम्रगी

  • 10 नीम की ताजी हरी पत्तियां
  • 100 ग्राम सौंफ 
  • 100 ग्राम तल मिसरी या मिश्री 
  • 500 मिली पानी

 विधि

करीब 200 मिली साफ पीने का पानी लिया जाए और इसमें सौंफ के दानों को डुबोकर रख दिया जाए। एक घंटे बाद इस सारे मिश्रण (सौंफ युक्त पानी) को मिक्सर में डाल दिया जाए। इसी मिश्रण में नीम की साफ धुली हुई पत्तियों, तल मिसरी डालकर मिक्सर चला दिया जाए ताकि महीन पेस्ट तैयार हो जाए और बाद में 300 मिली पीने का साफ पानी डालकर इसे अच्छी तरह मिक्स कर दिया जाए। इस तरह तैयार हो जाता है सौंफ नीम का शर्बत। इस शर्बत को रेफ्रिजरेट कर दिया जाए, बर्फ की एक या दो क्यूब्स डालकर इस ठंडे पेय को परोसा जाए। इसके खास गुणों के बारे में आपको बता रहे हैं हर्बल आचार्य।

 क्या कहते हैं हर्बल आचार्य

नीम आदिवासियों के दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। डाँग गुजरात के आदिवासियों के अनुसार नीम के गुलाबी कोमल पत्तों को चबाकर रस चूसने से मधुमेह रोग मे आराम मिलता है। कुछ दो बरस पहले न्यूजीलैंड के माओरी आदिवासियों से चर्चा में मुझे जानने मिला कि ये आदिवासी नीम की पत्तियों के रस में दालचीनी का चूर्ण मिलाकर मधुमेह के रोगियों को देते हैं और उसके परिणाम भी काफी चौंकाने वाले हैं। चैत्र नवरात्रि के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में लोग माता की भक्ति के साथ-साथ साल भर निरोगी रहने व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए नीम के ताजे कोमल पत्तों के रस (1 गिलास) का सेवन प्रतिदिन पूरे चैत्र मास के दौरान करते हैं।

इस रेसिपी में सौंफ भी एक मुख्य अंग है। भोजन संपन्न होने के बाद खाना पचाने के तौर पर ली जाने वाली सौंफ गजब के औषधीय गुणों वाली होती है। सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, फास्फोरस, आयरन और पोटेशियम जैसे कई अहम तत्व पाए जाते हैं। आदिवासियों का मानना है कि सौंफ के निरन्तर उपयोग से आंखों की रौशनी बढ़ती है और मोतियाबिन्द की शिकायत नहीं होती। डाँग गुजरात के अनुसार सौंफ के नित सेवन से शरीर पर चर्बी नही चढ़ती और कोलेस्ट्राल भी काफी हद तक काबू किया जा सकता है और इस बात की प्रमाणिकता आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है।

 

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