शौचालय बनाने के नाम पर करोड़ों की धांधली

Swati ShuklaSwati Shukla   17 Feb 2016 5:30 AM GMT

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शौचालय बनाने के नाम पर करोड़ों की धांधलीgaon connection, गाँव कनेक्शन, स्वच्छ भारत निर्मल अभियान

लखनऊ ग्रामीण इलाकों में शौचालय बनाने के नाम पर सरकारी पैसों की जमकर बंदरबांट की गई है। सरकरी पैसे की लूट रोकने के लिए केन्द्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने बेहद सख्त आदेश जारी किए हैं।

नए सरकारी फरमान के मुताबिक़ सरकारी पैसे से बने शौचालय की फोटो हर हाल में मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी, जिसके बाद ही बाक़ी के पैसे मिलेंगे। अब तक राज्य स्वच्छता मंत्रालय शौचालय बनाने के लिए 12 हज़ार रुपए देता था, लेकिन नए आदेश के बाद शौचालय बनाने के लिए अब दो किश्तों में रकम जारी की जाएगी। पहली किश्त में 6 हज़ार रुपए दिए जाएंगे और शौचालय तैयार होने के बाद बाक़ी के 6 हज़ार रुपए की पेमेंट होगी। 

सरकार वर्ष 1999 से ही जनता के लिए शौचालय बनवा रही है लेकिन आज भी करोड़ों लोग खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं। लाखों शौचालय ऐसे हैं जो बने तो हैं लेकिन इस्तेमाल के लायक नहीं।

शौचालय निर्माण की कागजी रिपोर्ट को केन्द्र मानने को तैयार नहीं, इस वजह से केन्द्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने शौचालय की फोटो सरकारी वेबसाइट पर अपलोड करने के नियम को ज़रूरी कर दिया है। कई जिलों में पैसा खर्च होने और फोटो अपलोड करने के आंकड़ों में बड़ा अंतर देखने को मिला है। पंचायती राज अधिकारी उदयवीर सिंह यादव के मुताबिक़ शौचालय बनाने का काम लगातार हो रहा है, पहले लोग पैसा लेते थे पर शौचालय नहीं बनाते थे अब शौचालय बना कर फोटो अपलोड करनी होगी तभी बाकी का पैसा मिलेगा। गरीबी रेखा के नीचे आने वाले परिवार, विधवा, दिव्यांग और बीपीएल कार्ड धारकों को शौचालय के लिए सरकारी पैसे अलॉट किए जाते हैं।

स्वच्छ भारत निर्मल अभियान के तहत अब तक उत्तर प्रदेश में 20 लाख शौचालय बनाए गए हैं। इस साल अब तक 5 लाख शौचालय बनाए जा चुके हैं। फोटो अपलोड करते समय किस गाँव में शौचालय बना, लाभार्थी का नाम, पत्नी का नाम और किस साल शौचालय बना है इसकी भी सूचना देनी होगी। केन्द्र सरकार ने दो अक्टूबर 2019 तक देश को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इसी क्रम में शौचालय निर्माण और जागरुकता गतिविधियों के लिए काफी पैसा दिया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने इसके लिए सालाना लक्ष्य भी तय किया है।

बाराबंकी जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर मसौली ब्लॉक के ग्राम पंचायत बड़ागांव में 8 गांव आते हैं। गाँव कनेक्शन की पड़ताल के दौरान करमुल्ला, शाहपुर, कलौरिया और रामदीन पुरवा के किसी भी घर में शौचालय नहीं मिला। 7,000 की आबादी वाली ग्राम पंचायत के दूसरे गाँव में शौचालय बने तो थे लेकिन उनमें से ज्यादातर टूटे हुए मिले। शाहपुर गांव की तबस्सुम (21 वर्ष) बताती हैं कि गांव में 11 घर हैं लेकिन किसी के यहां भी शौचालय नहीं है, गर्मी हो या बारिश लोगों को खुले में ही शौच जाना पड़ता है। ग्राम पंचायत की प्रधान मालती देवी (40 साल) बताती हैं कि निर्मल स्वच्छ अभियान के तहत 50 हजार रुपए आए थे, जिससे सभी गाँवों में शौचालय बनाए गए। वहीं, देवा ब्लॉक के भवानीपुर गाँव में भी लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। गांव के राम गोपाल यादव (45 साल) बताते हैं कि गाँव में 3,000 लोग रहते हैं लेकिन किसी भी घर में शौचालय नहीं है। पिछले दिनों ब्लॉक में एक मीटिंग के दौरान गांव कनेक्शन के पूछने पर कई लोगों ने कहा कि शौचालय के लिए पैसा नहीं मिला। जो पैसा आया वो लोहिया ग्रामों के लिए था। वहीं देवा ब्लॉक के प्रमुख खुशीराम गौतम की मानें तो प्रधान कभी भी मनरेगा के तहत शौचालय बनवा सकते हैं, लेकिन वो ऐसा करना नहीं चाहते हैं।

 

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