शिक्षा की नई नीतिः सिर्फ पांचवीं तक पास करने की गारंटी

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शिक्षा की नई नीतिः सिर्फ पांचवीं तक पास करने की गारंटीgaonconnection

लखनऊ। स्कूलों में अभी तक कक्षा आठ तक के बच्चों को फेल करने पर रोक थी लेकिन अब केंद्र सरकार छात्रों को फेल न करने की नीति कक्षा पांचवीं तक सीमित करने पर विचार कर रही है। 

शनिवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति के मसौदे के प्रमुख बिंदुओं को सार्वजनिक किया है जिसमें छात्रों को फेल न करने की नीति पांचवीं कक्षा तक के लिए सीमित करने, ज्ञान के नए क्षेत्रों की पहचान के लिए एक शिक्षा आयोग का गठन करने, शिक्षा के क्षेत्र में निवेश को बढ़ाकर जीडीपी के कम से कम छह फीसदी करने और शीर्ष विदेशी विश्वविद्यालयों के भारत में प्रवेश को बढ़ावा देने जैसे कदमों का जिक्र किया गया है। 

शहर के कई शिक्षकों व अभिभावकों ने इस बाबत अलग-अलग प्रतिक्रिया जाहिर की। सहायता प्राप्त विद्यालय क्वीन्स इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डाॅ. आरपी मिश्र का कहना है, “अगर छात्रों को फेल न करने की नीति पांचवीं कक्षा तक के लिए सीमित करने की बनती है तो यह बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर होगा। बच्चों और अभिभावकों के मन में यह बात घर कर गई है कि कक्षा आठ तक तो फेल किया ही नहीं जा सकता, इस पर वह पढ़ाई न करने और पास न किये जाने पर भी इस बात की जिद करते हैं कि उनको पास किया जाए। मजबूरीवश पास तो कर दिया जाता है लेकिन उसका नतीजा बच्चों की पढ़ाई की क्षमता को बहुत कमजोर करता है।”

मानव संसाधन मंत्रालय ने भी मसौदे में माना है कि छात्रों को फेल न करने की नीति के मौजूदा प्रावधानों में संशोधन किया जाएगा, क्योंकि इससे छात्रों का शैक्षणिक प्रदर्शन काफी प्रभावित हुआ है। लखनऊ के कालीचरण इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डा. महेन्द्र नाथ राय कहते हैँ, “बहुत अच्छा होगा यदि यह नीति बन जाए और इससे भी अच्छा होगा यदि छात्रों को फेल न करने की नीति को समाप्त कर दिया जाए।

इससे बच्चों में पढ़ाई का महत्व जान सकेंगे और अभिभावक भी बच्चों को पढ़ाने में रुचि लेंगे।” वो आगे बताते हैं, “जब से बच्चे यह जान गये हैं कि उनको कक्षा 8 तक फेल किया ही नहीं जा सकता है तो वह पढ़ने में मन नहीं लगाते हैँ जबकि बच्चों के पढ़ाई की नींव मजबूत होनी चाहिये।” इस बारे में डीआईओएस और बीएसए कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि पहली नीति भी सरकार द्वारा बनायी गयी थी और अब आगे की नीति भी सरकार को ही निर्धारित करनी है। ऐसे में जो फैसला होगा उसको स्कूलों में लागू करवाने के लिए प्रयास करेंगे।

रिपोर्टर - मीनल टिंगल

 

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