सहकारी विभाग की गलत नीतियों से ‘एग्री जंक्शन’ पर लगेंगे ताले

Arvind ShukklaArvind Shukkla   19 July 2016 5:30 AM GMT

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बाराबंकी/ लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की महत्वाकांक्षी एग्रीजंक्शन योजना को सहकारिता विभाग पतीला लगा रहा है। सहकारिता विभाग ने एग्री जंक्शन दुकानों को इफको और कृभको खाद की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगा दिया है। यानि ये दुकानें अब सरकारी डीएपी और यूरिया नहीं बेच सकेंगी।

बाराबंकी के बंकी ब्लॉक के रघई गदिया में अखिलेश वर्मा (25 वर्ष) ने एग्री जंक्शन के तहत खाद और बीज की दुकान खोली थीं, जिसमें लाइसेंस देते समय ही इफको और कृभको की खाद बेचने की अनुमति मिली थी। उन्होंने दो महीने काम भी किया लेकिन 14 जुलाई से उन्हें खाद नहीं मिल रही है। कृषि में परास्नातक डिग्री प्राप्त अखिलेश बताते हैं, “पिछले दिनों फतेहपुर आए मुख्यमंत्री ने दो युवाओं को एग्री जंक्शन के चेक दिए थे। हमें भी कई महीनों से ठीक से खाद मिल रही थी, लेकिन पिछले हफ्ते से रोक लगा दी गई। चार लाख रुपय में ये दुकान खुली है, जिसमें साढ़े तीन लाख का लोन लिया है। 10 हजार रुपये की महीने की किस्त आती है। अगर खाद नहीं मिली तो हम लोग बर्बाद हो जाएंगे।”

                                                

बीज और खाद की दुकानों पर बैठने वाले गैर जानकारों को रोकने और कृषि से शिक्षित युवाओं को रोजगार के मौके देने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रशिक्षित कृषि उद्दमी स्वावलंबन योजना के तहत एग्री जंक्शन (वन स्टॉफ शॉप) खोलने की शुरूआत की थी। योजना शुरू करते वक्त तर्क ये भी था कि अगर खेती के जानकार ही दवा और खाद बेचेंगे तो किसानों को फायदा होगा। इसके तहत प्रदेश में कृषि से बीएसएसी व एमएससी पास एक हजार युवाओं को 45 हजार रुपये प्रति व्यक्ति की सब्सिडी देकर केंद्र खुलवाए थे, लेकिन अब वो बंद होने की कगार पर हैं। अखिलेश वर्मा बताते हैं, “जिला कृषि विभाग से शिकायत की, जिसके बाद कहा गया कि ऊपर से आदेश आया है, खाद नहीं मिलेगी।”

छह जुलाई को आयुक्त और निबंधन सहकारिता विभाग किशऩ सिंह अटोरिया ने आदेश जारी कर कहा है, “एग्री जंक्शन निजी खाद दुकानें हैं इन पर खाद बिकने से सहकारी संस्थाओं द्वारा किए जा रहे व्यवसाय पर असर पड़ रहा है इसलिए इऩ्हें इफको और कृभको के रासायनिक उरर्वको की आपूति नहीं की जा सकती। साथ ही पूर्व में की गई सहमति को भी वापस लिया जाए।” इस बारे में बात करने पर सोमवार (18/07/2016) तक रहे कृषि उत्पादन आयुक्त प्रवीर कुमार ने कहा, “सरकारी एजेंसियों की खाद बेचने का अधिकार सहकारी को ही है, एग्री जंक्शन मामले को चेक करवाता हूं।”

                                                 

एग्री जंक्शन ही नहीं दो साल पहले सैकड़ों लोग सहकारिता विभाग की बदलती नीतियों का शिकार हो चुके हैं। दो साल पहले जहां सहकारी समितियां नहीं है वहां किसानों को आसानी से उरर्वक उपलब्ध कराने के लिए पीसीएफ ने 5-5 हजार रुपये लेकर लाइसेंस दिए थे। लेकिन अब उन्हें भी खाद बेचने नहीं दी जा रही है। सुल्तानपुर जिले के लंभुवा में ऐसी ही एजेंसी लेने वाले सुशील सिंह बताते हैं, “ मुख्यमंत्री का जो सपना था, “अधिकारियों ने कमीशनबाजी के चक्कर में उसकी मिट्टी पलीत कर दी। सहकारी विभाग वाले न जाने क्या चाहते हैं। पहले हमें लाइसेंस दिया फिर कहा कि इससे सहकारी समितियों को घाटा हो रहा है तो खाद दिलानी बंद कर दी। हमसे कहा गया कि विभाग अपना काम खुद करेगा लेकिन न तो नई समितियां खोली गईं और ना ही उन पर बिक्री हो रही है। बस हम लोगों का काम बंद कर दिया गया।” वो सवाल करते हैं, “अगर सहकारिता विभाग को अपने ही हाथों काम करना है तो 6-6 हजार रुपये लेकर जिले में नए लाइसेंस क्यों बनवाए जा रहे हैं ?”

 

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