शोहदों से परेशान होकर गाँव में लड़कियां छोड़ रहीं पढ़ाई

Swati ShuklaSwati Shukla   3 Aug 2016 5:30 AM GMT

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हरदोई। 14 वर्ष की हिना परवीन (बदला हुआ नाम) बताती हैं कि, हम स्कूल से लौटते हैं तब रास्ते में गाँव के कुछ लड़के गन्दी बातें करते हैं। कभी थप्पड़ दिखाते हैं, सीटी बजाते हैं, पीछे पीछे घर तक चले आते हैं। हमारे गाँव से दो लड़कियां और आती हैं, उनके साथ ही हम स्कूल आते हैं, अगर वो स्कूल नहीं आती तो हम भी स्कूल आने से डरते हैं। लड़को के डर से हम कभी-कभी स्कूल नहीं जाते है। मेरे गाँव की तीन लड़कियों की पढ़ाई इन लड़कों की  वजह से छुड़वा दी गई है।

हिना आगे बताती हैं ये बातें अगर घर में बताई तो पढ़ाई रोक दी जायेगी। गाँव से स्कूल चार किलोमीटर की दूरी पर है, दो किलोमीटर रास्ता बहुत खराब है, उन रास्ते में साइकिल भी तेजी से नहीं चल सकती है। लड़के बाइक से आते हैं। लड़कों की वजह से हमारे गाँव की लड़कियों को स्कूल छोड़ना पड़ रहा है।

कछौना ब्लॉक के ठाकुरगंज की रहने वाली एक अन्य 14 वर्षीय लड़की बताती है, मेरे गाँव में 8 लड़कियों की पढ़ाई रोक दी गई है, क्योकि गाँव वाले शराब पीकर लोग बदतमीजी करते हैं। इसलिए लड़कियों को आगे पढ़ने से रोका जाता है।

गाँव में लड़कियों पर आज भी रोक टोक लगाई जाती है, गाँवों में छोटी उम्र में ही लड़कियों को घर के कामकाज में लगा दिया जाता है। लड़कियां बाहर दरवाजे पर अपने साथ के लोगों के साथ खेल तक नहीं सकती। लड़कियों को बाहर खेलने भी नहीं दिया जाता। जबकि लड़कों को पूरी छूट दी जाती है। गीता देवी इण्टर कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों को महिला हेल्प लाइन नम्बर 1090 की जानकारी ही नहीं थी। 

जिला मुख्यालय से 40 किलीमीटर दूर पोस्ट बघौली मरेउरा गाँव की रहने वाली इण्टर की छात्रा बताती है कि, मेरे गाँव की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां पर लड़कों कि छेड़खानी की वजह से लड़कियों पर बहुत प्रतिबन्ध लगाये जाते हैं। बाहर किसी काम के लिए निकलने नहीं दिया जाता है। यहां तक कि लड़कियां रोज स्कूल नहीं भेजी जाती हैं।

महिलाओं की सुरक्षा को लेकर यहां पर कोई जागरुकता नहीं है। मेरी बहुत सी सहेलियां हैं, जिनकी पढ़ाई रोक दी गयी है। घर वालों से ज्यादा गाँव वाले बोलते रहते हैं। उनकी बातें सुनकर घर वाले स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं। इससे लड़कियां घर बैठकर प्राइवेट पढ़ाई करती हैं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

 

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