एक शहीद जवान की बीवी की फेसबुक पोस्ट - आज भी आपके कपड़ों में आपकी महक आती है...

Anusha MishraAnusha Mishra   11 Sep 2017 6:59 PM GMT

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एक शहीद जवान की बीवी की फेसबुक पोस्ट - आज भी आपके कपड़ों में आपकी महक आती है...संगीता और नैना अक्षय गिरीश

लखनऊ। आर्मी के एक शहीद अफसर अक्षय गिरीश की पत्नी संगीता अक्षय गिरीश का एक पोस्ट इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। उनके पति के शहीद के होने के बाद वह किस तरह ज़िंदगी जी रही हैं और देश के लिए जान देने वाले सैनिकों का परिवार किस दर्द से गुज़रता है, इस बारे में लिखी उनकी पोस्ट को पढ़कर लोगों की आंखों में आंसू हैं।

फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि उनके पति मेजर अक्षय गिरीश के साथ उनकी और उनकी तीन साल की बेटी नैना की ज़िंदगी कितनी ख़ूबसूरत थी। पढ़िए उनकी पूरी पोस्ट:

वह लिखती हैं - यह 2009 की बात है। जब पहली बार उन्होंने मुझे प्रपोज किया था, उनका प्रपोजल वैसा नहीं था जैसा उन्होंने प्लान किया था। मैं एक दोस्त के साथ उनसे चंडीगढ़ में मिलने गई थी। हम शिमला गए लेकिन वहां कफ्र्यू लगा था। जो रेस्त्रां उन्होंने बुक किया था वो जल्दी बंद हो गया था और वह अंगूठी खरीदना भी भूल गए थे। इसलिए वह अपने घुटनों पर बैठ गए और एक लाल पेन ड्राइव जो उनके पास थी, उससे मुझे प्रपोज किया। 2011 में हमने शादी कर ली और मैं पुणे शिफ्ट हो गई। दो साल बाद नैना पैदा हुई।

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अपने काम के चलते उन्हें लंबे समय तक बाहर रहना पड़ता था। क्योंकि मेरी बेटी छोटी थी इसलिए हमारे परिवारों ने कहा कि मुझे बंगलुरू वापस चले आना चाहिए। लेकिन मैं वहीं रुकी रही। मुझे हमारी खुद की बसाई उस दुनिया से प्यार था और मैं उसे नहीं छोड़ना चाहती थी। उनके साथ जिंदगी एक एंडवेचर की तरह थी। 14000 फीट की ऊंचाई पर नैना के साथ उनसे मिलने जाना, स्काई डाइविंग करना, हमने ये सब किया था।

2016 में उनकी पोस्टिंग नगरोटा में हो गई। हम अधिकारियों के मेस में रहते थे क्योंकि हमें घर तब तक नहीं मिला था। 29 नवंबर को हम अचानक सुबह 5.30 बजे गोलियों की आवाज़ सुनकर जागे। कुछ ही समय बाद ग्रेनेड भी दागे जाने लगे। लगभग 5.45 बजे एक जूनियर उनके पास आया और बोला आतंकवादियों ने रेजिमेंट के तोपखाने को कब्जे में ले लिया है, आप कपड़े बदलिए और चलिए। जो आखिरी बात उन्होंने मुझसे कही थी, वह यह थी कि तुम इस बारे में ज़रूर लिखना।

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सभी महिलाओं और बच्चों को एक कमरे में बंद कर दिया गया था। संतरियों को कमरे के बाहर तैनात किया गया था और हम लगातार फायरिंग सुन रहे थे। मैंने अपनी सास को एक मैसेज भेजा और उनसे व अपनी ननद से बात करती रही। लगभग 8.09 बजे उन्होंने हमें ग्रुप में एक मैसेज किया कि वह गोलीबारी के बीच हैं। 8.30 बजे सभी महिलाओं और बच्चों को एक सुरक्षित जगह पर भेज दिया गया। हम अभी भी अपने पयजामा और चप्पलों में थे।

दिन गुज़र रहा था और कोई ख़बर नहीं थी। मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। मैं खुद को नहीं रोक पाई और 11.30 बजे मैंने एक कॉल किया। उनकी टीम के एक सदस्य ने फोन उठाया और कहा - मेजर अक्षय को एक दूसरी जगह भेज दिया गया है। शाम को लगभग 6.15 बजे उनके कमांडिंग ऑफिसर और कुछ दूसरे अधिकारी मुझसे मिलने आए। उन्होंने कहा- मैम हमने अक्षय को खो दिया। सुबह 8.30 बजे वह शहीद हो गए थे। मेरी दुनिया खत्म हो गई थी। मैं दुखी थी। मैं सोच रही थी कि काश मैंने उन्हें मैसेज किया होता। मैं चाहती थी कि मैंने उन्हें गले लगाकर गुडबाय कहा होता। मैं चाहती थी कि काश मैं उन्हें एक आखिरी बार बोल पाती कि मैं उनसे प्यार करती थी। लेकिन हम कभी ये उम्मीद नहीं करते कि हमारे साथ बुरा होगा। मैं एक बच्चे की तरह रो रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे मेरी आत्मा मेरे शरीर से अलग हो रही हो। दो और जवान शहीद हो गए थे लेकिन उन्होंने उन बच्चों, महिलाओं और पुरुषों को बचाया था जो आतंकियों के कब्जे में थे।

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मैं उनकी यूनिफॉर्म, उनके कपड़े और वो बाकी सारी चीजें जो हमने इतने सालों में इकट्ठा की थीं उन्हें ट्रक से लेकर आ गई। मैंने अपने आंसुओं से लड़ने की बहुत कोशिश की। मैंने उनकी रेजीमेंट की जैकेट को नहीं धोया और मुझे जब भी उनकी याद आती थी मैं उसे पहन लेती थी। उसमें आज भी उनकी महक आती है। शुरुआत में नैना को ये समझाना कि क्या हुआ, बहुत मुश्किल था लेकिन अब उसके पापा आसमान में एक सितारा हैं। आज मैंने उन सारे चीजों से जो हमने इकट्ठा की थीं अपनी एक जगह बना ली है। हमने साथ में जो यादें बनाई थीं और चीजें इकट्ठी की थीं उनमें, उनकी तस्वीरों में वो आज भी ज़िंदा हैं। हम अपने आंसुओं में भी मुस्कुराते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि वो भी हमसे यही चाहते थे। जैसा कि कहते हैं, अगर आपको नहीं लगता कि आपकी आत्मा आपसे अलग हो रही है तो वास्तव में आपने किसी से दिल से प्यार नहीं किया। हालांकि यह दर्द देता है लेकिन मैं हमेशा उनसे प्यार करूंगी।

संगीता और नैना अक्षय गिरीश

       

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