बाबा राम रहीम को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों में है गुस्सा, जानिए किसने क्या कहा...

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बाबा राम रहीम को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों में है गुस्सा, जानिए किसने क्या कहा...बाबा गुरमीत सिंह राम रहीम

लखनऊ। शुक्रवार को रेप के आरोपी बाबा राम रहीम को हरियाणा के सीबीआई कोर्ट ने 15 साल पुराने मामले में दोषी करार दिया। इसके बाद उनके समर्थकों ने हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में काफी उपद्रव मचाया। लोगों में बाबा राम रहीम और उनके समर्थकों के साथ इस पूरे मामले में सरकार के रवैये को लेकर भी गुस्सा है। साथ ही लोग उन दो साध्वियों की तारीफ भी कर रहे हैं जिन्होंने इतने सालों तक ये लड़ाई लड़ी। फेसबुक पर लोगों ने इसको लेकर काफी पोस्ट किए। उनमें से ये हैं ये चुनिंदा पोस्ट्स:

नैतिकता गयी तेल लेने। चालीस साल की बसाहट का एक शांतिप्रिय शहर पल भर में तहस नहस हो जाता है। 28 लोगों के खून से सनी मेरे इस खूबसूरत शहर की मिट्टी का दर्द क्यों कोई जानें। उन्हें बस जुमले फेंकने आते हैं। अजीबो गरीब तर्क देने आते हैं। वे कुर्सी पर काबिज रह कर भी जवाबदेही से बचना चाहते हैं। प्रश्न गहरे हैं और हमारी बेचैनियां उस से भी ज्यादा गहरी हैं। क्योंकि उन प्रश्नों के उत्तर हमारे पास नहीं हैं।

हमने एक अरसे से एक आदत बना रखी है कि धर्म और संस्कृति से जुड़े सवालों को हम या तो अंधभक्ति से सुलझाना चाहते हैं या राजनेताओं की बिसात पर बिछी शतरंज की चालों के द्वारा। दोनों तरीकों से प्रश्न और उलझते हैं। हम और अकेले हो जाते हैं। संस्कृति के मानवीय मूल्य तक हमारा साथ छोड़ने की हद तक चले गए दिखाई देते हैं और हमारे साथ जो खेल खेला जा रहा होता है उसके नायक या तो व्याभिचारी बाबा होते हैं या भ्रष्ट राजनेता। इन दोनों की मिलीभगत से मेरे प्रिय शहर का जो हाल हुआ उसे मैंने अपनी आँखों से देखा। इन आँखों में अब आंसू भी नहीं हैं। आँखे बस घूर रही हैं अजनबी हो गयी मानवीय संवेदनाओं को। किस के पास इसका उत्तर है ?

देश निर्मोही

आप पूछते हैं कि लोग इतने अंधे कैसे हो सकते हैं,

इस देश का यूपीएससी पास किया हुआ लड़का, और एक एमबीबीएस डॉक्टर अपनी कार में नींबू मिर्च लटकाता है, अपने आस पास देखिये ,हर जिले में एक बाबा मिल जाएगा ,जो लड़का पैदा होने की दवाई देता होगा, कैंसर ठीक करने की दवाई देता होगा, नौकरी लगवाने की जड़ी बूटी देता होगा ,क्या आपमें इतनी हिम्मत है कि उसे वहां से खदेड़ सकें ,शायद नहीं या शायद आप भी उसके ग्राहक हों ,बलात्कारी बाबा के समर्थन में औरतें शायद इसी देश मे उतर सकती हैं ,एक काम कीजिये जरा गौर से देखियेगा कि उसके पास आने वाले लोग कौन है ,जाहिल हैं या पढ़े लिखे है, आपकी कई धारणाएं टूटेंगी।

अंशुल कृष्णा

साक्षी महाराज का भड़काऊ बयान न्यायालय के फैसले का अपमान है

एक तरफ बाबा राम रहीम जैसे इंसान पर आरोप सिद्ध हो गए हैं, और उनके समर्थक देश के कई राज्यों में उपद्रव मचाये हुए हैं,देश की हज़ारों करोड़ की संपत्ति का नुकसान हो चुका है, ऐसे में बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने राम रहीम के पक्ष मे बयान दिया है कि ये भारतीय संस्कृति को बदनाम कराने के लिए बाबा को फंसाया गया है और केवल एक ही महिला का तो आरोप था... ये बयान राम रहीम के भक्तों और समर्थकों को और भड़काने के लिए काफी है, और न्यायालय का अपमान है, कोर्ट के फैसले के बाद एक सांसद का ऐसा बयान निंदनीय है, अब देखना है कि बीजेपी साक्षी महाराज के बयान पर अपना क्या रुख रखती है.... या फिर पार्टी की भी यही राय है।

बिलाल हसन

इनको दाद दीजिए

इतनी सारी गहमा-गहमी के बीच उस महिला की हिम्मत को दाद दीजिए जिसने पिछले 15 साल से अपनी अदालती लड़ाई को जारी रखा। सीबीआई के उस इंस्पेक्टर के हौसले की सराहना कीजिए जिसने भारी दबावों के बावजूद सिर्फ़ एक गुमनाम चिट्ठी की बिना पर सारे सबूत इकट्ठा किए और उस जज को प्रणाम करिए जिसने शांतिपूर्वक सुनवाई पूरी की और विवेकसम्मत फ़ैसला किया। यही लोग और व्यवस्था हमारे लोकतंत्र को बचाए हैं।

शंभूनाथ शुक्ला

यह भी पढ़ें- हरियाणा हिंसा : रेल, बस सेवाएं बहाल, डेरा मुख्यालय छोड़ रहे समर्थक

दोनों साध्वियों ने बेटी होने को बचाया है

निर्भया के लिए रायसीना हिल्स को जंतर मंतर में बदल देने वाली हिन्दुस्तान की बची हुई बेटियाँ नोट करें कि दो साध्वी ने कैसे ये लड़ाई लड़ी होगी, जिसकी जेल यात्रा को प्रधानमंत्री के काफ़िले की शान बख़्शी गई। दोनों साध्वी किस हिम्मत से लड़ीं ? क्या आप जानती हैं कि जब वे अंबाला स्थित सीबीआई कोर्ट में गवाही देने जाती थीं तो कितनी भीड़ घेर लेती थी?

हालत यह हो जाती थी कि अंबाला पुलिस लाइन के भीतर एस पी के आफिस में अस्थायी अदालत लगती थी। चारों तरफ भीड़ का आतंक होता था। जिसके साथ सरकार, उसकी दास पुलिस और नया भारत बनाने वाले नेताओं का समूह होता था, उनके बीच ये दो औरतें कैसे अपना सफ़र पूरा करती होंगी ? क्या उनके साथ सुरक्षा का काफिला आपने देखा? वो एक गनमैन के साथ चुपचाप जाती थी और पंद्रह साल तक यहीं करती रहीं।

बाद में सीबीआई की कोर्ट पंचकुला चली गई। दो में से एक सिरसा की रहने वाली है, वो ढाई सौ किमी का सफ़र तय करके पंचकुला जाती थीं और सिरसा के डेरे से निकल कर गुरमीत सिंह सिरसा ज़िला कोर्ट आकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिये गवाही देता था। तब भी आधी से अधिक गवाहियों में पेश नहीं हुआ। साध्वी का ससुराल डेरा का भक्त है। जब पता चला कि बहू ने गवाही दी तो घर से निकाल दिया।

इनके भाई रंजीत पर बाबा को शक हुआ कि उसी ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा जिस पर कोर्ट ने संज्ञान ले लिया। रंजीत की हत्या हो गई। गुरमीत पर रंजीत की हत्या का आरोप है। इस गुमनाम खत को महान पत्रकार राम चंद्र छत्रपति ने दैनिक पूरा सच में छाप दिया। उनकी हत्या हो गई। राजेंद्र सच्चर, आर एस चीमा, अश्विनी बख़्शी और लेखराज जैसे महान वकीलों ने बिना पैसे के केस लड़ा।

सीबीआई के डीएसपी सतीश डागर ने साध्वियों का मनोबल बढ़ाया और हर दबाव का सामना करते हुए जाँच पूरी की। शुक्रवार रात साढ़े आठ बजे छत्रपति के बेटे अँशुल छत्रपति से बात हुई। फैसला आने तक उनके पास एक गनमैन की सुरक्षा थी। बाद में मीडिया के कहने पर चार पाँच पुलिसकर्मी भेजे गए। अँशुल ने कहा कि एक बार लड़ने का फैसला कर घर से निकले तो हर मोड़ पर अच्छे लोग मिले।

तो आप पूछिये कि आज आपके नेता किसके साथ खड़े हैं? बलात्कारी के साथ या साध्वी के साथ ? आप उनके ट्वीटर हैंडल को रायसीना में बदल दीजिए। सरकार बेटियाँ नहीं बचाती हैं। दोनों साध्वी ने बेटी होने को बचाया है। सत्ता उनकी भ्रूण हत्या नहीं कर सकी। अब इम्तिहान हिन्दुस्तान की बची हुई बेटियों का है कि वे किसके साथ हैं, बलात्कारी के या साध्वियों के ?

नोट: सबसे अपील है कि शांति बनाएँ रखें । किसी का मज़ाक न उड़ाएँ । किसी को न भड़काएँ। सब अपने हैं ।

रवीश कुमार

सब के सब हिपोक्रेटस हैं

सब के सब हिपोक्रेट्स है, भारतीय राजनीति पतन की किस गर्त में जा गिरी है उसकी मिसाल है ये सीबीआई की विशेष अदालत का गुरमीत सिंह का खिलाफ निर्णय ( साला काहे का बाबा ओर कहा का राम रहीम ) दो कौड़ी के लोगों को सर पर बैठाने का शौक राजनीतिक दलों को होगा हमें नही है।

सारे बड़े नेता मंत्री गुरमीत सिंह को दोषी पाए जाने से दुखी नजर आ रहे हैं, ये नहीं देख रहे की भारत की दो बेटियों को इंसाफ मिला है, मामला यदि उच्च वर्ग का होता तो अब देखिए सभी दलों से कितने नारीवादी नेता केंचुली छोड़ कर बयान देने निकल पड़ते, लेकिन लड़किया गरीब घर की है और दूसरा पक्ष एक प्रभावशाली आदमी का है जो एक बड़े वोटबैंक का मालिक हैं, इसलिए फैसले के स्वागत करने में ही किसी के मुँह से बोल नही फुट रहे हैं, सुषमा स्वराज की ममता अब मजे से चादर तान के सो रही है, पाकिस्तान कोई लड़की आएगी तो जाग जाएगी, केस बलात्कार का है जिसमें ये सिद्ध हुआ है कि गुरमीत सिंह बलात्कारी है, लेकिन इस बात पर कोई कान धरने को तैयार नहीं है।

हमारे प्रधानमंत्री 6 घण्टे बाद बोलते हैं कि हिंसा बड़ी तकलीफ देह हैं, अरे तो रोक लेते 56 इंच हो हरियाणा में तो तुम्हारी ही सरकार थी 4 दिनों से 144 लगा रखी थी, लाखों लोग कैसे शहर के अंदर आ गए, कोर्ट 2 दिनों से लगातार लताड़ लगा रही थी कि इन्हें रोको, तब क्यों नहीं सुनी आज आपको हिंसा तकलीफ देह लग रही हैं

आज देश की इज्ज़त में चार चांद लग गए है ऑस्ट्रेलिया अपने नागरिकों को एडवाजरी जारी कर रहा है कि भारत में संभल कर यात्रा करे यहां की सरकार अपनी सबसे बेसिक ड्यूटी लॉ एंड ऑर्डर भी ठीक ढंग से निभा पा रही हैं, आज वाकई आपके छप्पन इंच की हकीकत सामने दिख रही है।

गिरीश मालवीय

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