सोयाबीन के रकबे में कमी मुमकिन, 110 लाख हेक्टेयर में बुआई का अनुमान: सोपा

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सोयाबीन के रकबे में कमी मुमकिन, 110 लाख हेक्टेयर में बुआई का अनुमान: सोपाgaonconnection

इंदौर (भाषा)। देश में सोयाबीन के रकबे में ठहराव के संकेत मिल रहे हैं। प्रसंस्करणकर्ताओं के एक प्रमुख औद्योगिक संगठन का कहना है कि मॉनसून की बारिश के बाद शुरू होने वाले खरीफ सत्र के दौरान करीब 110 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई हो सकती है। पिछले सत्र में भी लगभग इतने ही क्षेत्र में सोयाबीन बोया गया था।

इंदौर के सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने कहा, ''हालांकि, सोयाबीन बुआई की पूरी तस्वीर मॉनसून के आगमन के बाद ही साफ हो सकेगी। लेकिन फिलहाल हमारा अनुमान है कि आसन्न खरीफ सत्र में सोयाबीन का रकबा 110 लाख हेक्टेयर के आस-पास रह सकता है। पिछले सत्र के मुकाबले इसमें इजाफे की अभी कोई उम्मीद नजर नहीं आती।''

उन्होंने बताया कि देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक मध्यप्रदेश में इस बार किसान खरीफ सत्र की बुआई के मामले में सोयाबीन के मुकाबले दलहनों को तरजीह दे सकते हैं। इसकी वजह ये है कि पिछले खरीफ सत्र में सूबे के किसानों को दलहनों के ज्यादा अच्छे भाव मिले थे।

पाठक ने बताया, ''मध्यप्रदेश में पिछले तीन खरीफ सत्रों के दौरान बुआई के बाद पर्याप्त बारिश न होने से या फसल पकते वक्त बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि के कारण सोयाबीन उत्पादक किसानों को खासा नुकसान झेलना पड़ा था। सूबे में सोयाबीन बुआई पर इस कारक का भी असर पड़ सकता है।''

उन्होंने बताया कि खरीफ 2015 में मध्यप्रदेश में 56.13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुआई की गयी थी। पाठक ने हालांकि उम्मीद जतायी कि इस बार मॉनूसन अच्छा रहने पर महाराष्ट्र में सोयाबीन का रकबा बढ़ सकता है। देश के दूसरे सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्य में पिछले खरीफ सत्र के दौरान 35.85 लाख हेक्टेयर में इस तिलहन फसल की बुआई हुई थी।

सोपा के आंकडों के मुताबिक वर्ष 2015 के खरीफ सत्र में देश में 110.65 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया और इस तिलहन की पैदावार 69.29 लाख टन होने का अनुमान है।

 

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