सपा के सभी सात, बसपा के दो, भाजपा और कांग्रेस के एक-एक प्रत्याशी विजयी
गाँव कनेक्शन 11 Jun 2016 5:30 AM GMT

लखनऊ (भाषा)। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटों के लिए आज हुए द्विवार्षिक चुनाव में क्रासवोटिंग के बावजूद सभी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को जिताने में कामयाब रहे मगर कांग्रेस उम्मीदवार कपिल सिब्बल को भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार प्रीति महापात्र के मुकाबले थोड़ा संघर्ष करना पडा।
उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने वालों में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी के अमर सिंह, बेनीप्रसाद वर्मा, कुंवर रेवतीरमण सिंह, विशम्भर प्रसाद निषाद, सुखराम यादव, संजय सेठ और सुरेन्द्र नागर शामिल हैं।
बसपा के सतीश मिश्र और अशोक सिद्धार्थ, भाजपा के शिवप्रताप शुक्ल और कांग्रेस के कपिल सिब्बल भी राज्यसभा के लिए चुन लिए गये हैं।
शनिवार के मतदान में खास बात यह रही कि सभी दलों में क्रासवोटिंग हुई, मगर बसपा ने सभी दलों से दूरी बनाये रखते हुए अपने अतिरिक्त वोटों को किसी भी उम्मीदवार के समर्थन में नहीं दिया। हालांकि कांग्रेस उम्मीदवार सिब्बल चुनाव जीतने में तो कामयाब रहे, मगर विधानसभा में 29 सदस्यों वाली पार्टी को सबसे अधिक क्रासवोटिंग की मार झेलनी पड़ी और सिब्बल को प्रथम वरीयता के केवल 25 वोट मिले बावजूद इसके कि आठ सदस्यीय राष्ट्रीय लोकदल ने सपा और कांग्रेस को चार-चार विधायकों के समर्थन का ऐलान पहले ही कर दिया था।
राज्यसभा की 11 सीटों पर हुए चुनाव में 12 प्रत्याशी मैदान में थे। हर प्रत्याशी को जीत के लिए प्रथम वरीयता के 34 वोटों की जरुरत थी। राज्य विधानसभा के 403 सदस्यों में से सपा के 229, बसपा के 80, भाजपा के 41, कांग्रेस के 29, रालोद के आठ विधायक हैं। पीस पार्टी के चार, कौमी एकता दल के दो, राकांपा का एक, इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल का एक, अपना दल का एक और तृणमूल कांग्रेस का एक विधायक है। छह विधायक निर्दलीय हैं।
मतदान में क्रास वोटिंग हुई। सपा के सातवें उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के नौ वोट कम पड़ रहे थे हालांकि वह जीतने में सफल रहे। प्रथम दौर की मतगणना में सपा के केवल तीन प्रत्याशी ही जीत सके।
बसपा ने अपने 12 अतिरिक्त वोट किसी को नहीं देने का फैसला किया ताकि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले किसी पार्टी के साथ होने का दाग उस पर नहीं लगे। बसपा के सतीश मिश्र को 39 और अशोक सिद्धार्थ को 42 मत मिले।
निर्दलीय प्रीति के मैदान में उतरने से ही मतदान की आवश्यकता पड़ी। भाजपा के 16, सपा के बागी और कुछ छोटे दलों के एवं निर्दलीय विधायक प्रीति के प्रस्तावक थे। प्रीति को प्रथम वरीयता के मात्र 18 वोट मिले और वह हार गयीं।
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