Gaon Connection Logo

शर्मनाक…ओलंपिक में पदक जीतकर देश लौटे खिलाड़ियों को सम्मान के लिए धरना देना पड़ा

protest

नई दिल्ली। भारत में खेलों और खिलाड़ियों को लेकर यह आमचलन है कि किसी को विदेशी मंच पर पदक जीतने पर सिर आंखों पर बैठा लिया जाता है तो कुछ को न पहचान मिलती है और न ईनाम। एक सच ये भी है कि भारत में क्रिकेट को छोड़कर किसी भी खेल को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती। क्रिकेट टीम अगर कहीं से जीतकर आती है तो उसकी स्वागत के लिए सैकड़ों की भीड़ होती है। बोर्ड के अधिकारी भी अगवानी करते हैं।

ये पहला मौका नहीं है जब किसी विशेष प्रकार के खिलाड़ियों के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार किया गया हो, ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। भारत के 46 खिलाड़ियों का दल सरकार के रवैये और अनदेखी से नाराज होकर दिल्ली एयरपोर्ट पर ही धरने पर बैठ गया। दरअसल डेफ ओलंपिक से लौटे करीब चार दर्जन खिलाड़ियों का दल इस्तांबुल से लौटने के बाद एयरपोर्ट पर ही धरने पर बैठ गया।

ये भी पढ़ें- भारतीय महिला एथलीट को विदेश में लेना पड़ा था उधार, इस खिलाड़ी ने खेल मंत्री को दी नसीहत

भारतीय खिलाड़ियों ने तुर्की में संपन्न हुए बधिर ओलंपिक खेलों में एक स्वर्ण सहित पांच पदक जीते हैं लेकिन 46 सदस्यीय खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ के भारतीय दल के स्वागत के लिए न यहां खेल संघ के अधिकारी मौजूद थे और न ही केंद्रीय खेल मंत्रालय की ओर से कोई प्रतिनिधि यहां मौजूद था। इसके अलावा मीडिया को भी इसकी कोई जानकारी नहीं थी। सरकार और मंत्रालय की इस बेरूखी से नाराज भारतीय दल ने विरोधस्वरूप हवाईअ ड्डे पर ही अपना विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और हवाईअड्डे से जाने से भी इंकार कर दिया। वहीं खिलाड़ी खेल मंत्री विजय गोयल से भी इस मुद्दे पर बात नहीं कर सके।

अखिल भारतीय बधिर परिषद के प्रोजेक्ट अधिकारी केतन शाह ने एक चैनल से कहा कि हम ओलंपिक और पैरालंपिक खिलाडिय़ों की सफलता का जश्न मनाते हैं लेकिन बधिर खिलाडिय़ों को अपने अच्छे प्रदर्शन के बाद भी पहचान नहीं मिलती है। हमने इन खेलों में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है लेकिन हमें कोई सम्मान नहीं मिला।

उन्होंने कहा कि हमने खेल मंत्री विजय गोयल और भारतीय खेल प्राधिकरण(साई) के महानिदेशक से भी बात करने का प्रयास किया लेकिन किसी ने हमारी बात नहीं सुनी। हमने उन्हें 25 जुलाई को ईमेल कर जानकारी दी थी कि हमारा दल एक अगस्त को वापिस आ रहा है लेकिन हमें किसी ने कोई जवाब नहीं दिया।

ये भी पढ़ें- क्रिकेट का दूसरा पक्ष : प्रदर्शन सचिन, कोहली से बेहतर, लेकिन सुविधाएं तीसरे दर्जे की भी नहीं

हम आने से पहले भी मंत्रालय से संपर्क साधने का प्रयास करते रहे लेकिन किसी ने हमें उत्तर नहीं दिया। नजरअंदाज किए जाने से नाराज और दुखी खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ के सदस्यों ने अपनी सांकेतिक भाषा में कहा कि यहां उनके स्वागत के लिए कोई मौजूद नहीं था और न ही यहां खिलाड़ियों से मिलने के लिए कोई आया।

यह खिलाड़ियों के मनोबल को गिराने वाला है। उल्लेखनीय है कि भारत ने गत वर्ष रियो ओलंपिक में अपना सबसे बड़ा दल उतारा लेकिन उसे केवल एक कांस्य और एक रजत ही मिल सका। लेकिन रियो पैरालंपिक में उसके एथलीटों ने बेहतरीन प्रदर्शन कर स्वर्ण सहित चार पदक जीते थे जिसके बाद इन खिलाडिय़ों को केंद्र और राज्य सरकारों से बड़े ईनाम मिले।

वहीं विश्वकप में फाइनल हारने के बाद भी उनका हौंसला बढ़ाने के लिए महिला क्रिकेटरों का स्वागत किया गया था। लेकिन बधिर ओलंपिक में पांच पदक जीतने पर भी खिलाडिय़ों को सरकार और खेल संघों की बेरूखी का शिकार होना पड़ा जो देश में एकसमान खेल नीति और मंत्रालय के खराब रवैये को दर्शाता है और देश में खेलों की दुर्दशा का भी परिचायक है।

ये भी पढ़ें- भारतीय टीम का ये सुपरस्टार खिलाड़ी करता है खेतों में काम

भारतीय महिला एथलीट को विदेश में लेना पड़ा था उधार

भारतीय पैरा एथलीट कंचनमाला पांडे इस साल होने वाली वर्ल्ड पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई करने वाली भारत की एकमात्र महिला एथलीट हैं। कंचन अब भारत लौट चुकी हैं। लेकिन जर्मनी में आयोजित हुए जिस टूर्नामेंट में कंचनमाला ने विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वॉलिफाई किया उसमें भाग लेने के लिए उन्हें जिन तकलीफों और मुश्किल परिस्थितियों से गुजरना पड़ा वह भारतीय खेल संघों की अपने एथलीटों के प्रति दिखाए जाने वाले लापरवाह रवैये की पोल खोलता है।

ये भी पढ़ें- अब नजरें नहीं झुकातीं, फुटबॉल पर मारती हैं किक

ये भी पढ़ें- पढ़िए खेल की दुनिया में कैसे चमका 500 रुपए महीने कमाने वाले गरीब की बेटी का किस्मत का सितारा

More Posts