लखनऊ। लिटिल मास्टर नाम से मशहूर पूर्व भारतीय खिलाड़ी सुनील गावस्कर ने क्रिकेट की भाषा से मांकड़ेड शब्द हटाने की सिफारिश करते हुए कहा कि यह पूर्व महान भारतीय खिलाड़ी वीनू मांकड़ को बदनाम करने जैसा है। ‘मांकड़ेड’ शब्द को क्रिकेट में तब इस्तेमाल किया जाता है जब बॉलर गेंद डिलीवरी से पहले नॉन स्ट्राइकर बैट्समैन को रन आउट कर देता है।
दरअसल 1947 में ऑस्ट्रेलिया के भारत दौरे के दौरान एक मैच में मांकड़ ने बिल ब्राउन नाम के ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी को दो बार गेंदबाज के छोर पर रन आउट किया।
हालांकि ब्राउन को कई बार क्रीज से भटकने की चेतावनी देने के बावजूद भी इस कदम के लिए मांकड़ की आलोचना की गई और कहा गया कि यह खेल भावना के खिलाफ है।
यहां तक कि ऑस्ट्रेलियाई स्कीपर डोनाल्ड ब्रैडमैन और ब्राउन ने खुद भारतीय गेंदबाज का बचाव किया था लेकिन सभी की खराब खेलभावना के लिए आलोचना हुई।
अब 70 साल बाद पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर इस टर्म को क्रिकेट से पूरी तरह समाप्त करना चाहते हैं। साथ ही ये भी कहा इस तरह के रनआउट को ‘ब्राउन’ नाम देना चाहिए जिन्होंने असल में पिच पर लापरवाही दिखाई थी।
अंग्रेजी वेबसाइट मिड-डे से बातचीत के दौरान गावस्कर ने कहा कि इस तरह से महान भारतीय क्रिकेटर के नामों को एक गलत दिशा में ले जाया जा रहा है। वह भारत के ऑल टाइम महान क्रिकेटरों में से रहे हैं। हमारे दिग्गजों के नामों को इस तरह खराब नहीं किया जाना चाहिए, हालांकि क्रिकेट की दुनिया में इस तरह का रन ऑउट अभी भी विवादास्पद है।
विवादों में रहा है रन आउट करने का यह तरीका
इससे पहले 2012 में भारत और श्रीलंका के बीच चल रहे वनडे मैच के दौरान भारतीय टीम के गेंदबाज अश्विन ने श्रीलंकाई खिलाड़ी लाहिरू थिरिमाने को कुछ इसी तरह रनआउट करके अपील की थी लेकिन अंपायर ने इसे आउट करार नहीं दिया था।
इसके दो साल बाद 2014 में लंका के ऑफ स्पिनर सेनानायके ने भी इंग्लिश खिलाड़ी जोस बटलर को चेतावनी देने के बाद मांकड़ेड तरीके से रनआउट किया था, हालांकि बाद में मेलबर्न क्रिकेट क्लब ने खुद यह माना था कि मांकड़ेड रनआउट में बैट्समैन की गलती होती है।