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भारत में डीआरएस लागू करना सकारात्मक कदम : तेंदुलकर 

sachin tendulkar

मुंबई (भाषा)। दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने भारत में द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में डीआरएस लागू करने को ‘सकारात्मक कदम’ करार देते हुए कहा कि बीसीसीआई अगर संशोधित समीक्षा प्रणाली से संतुष्ट हैं तो वह इसे स्थायीतौर पर अपना सकता है।

भारतीय क्रिकेट बोर्ड लंबे समय तक निर्णय समीक्षा प्रणाली यानि डीआरएस का विरोध करता रहा लेकिन वह इंग्लैंड के खिलाफ वर्तमान टेस्ट श्रृंखला में ट्रायल के तौर पर इसका उपयोग करने के लिए सहमत हो गया।

तेंदुलकर से पूछा गया कि क्या बीसीसीआई को स्थायी आधार पर डीआरएस को अपनाना चाहिए, उन्होंने कहा, ‘‘यदि बीसीसीआई ने इसका अच्छी तरह से अध्ययन किया और वे इससे (डीआरएस में संशोधन) आश्वस्त हैं तो फिर क्यों नहीं। मुझे लगता है कि यह सकारात्मक कदम है।”

उन्होंने कहा, ‘‘विश्व में हर जगह एक जैसी प्रौद्योगिकी होनी चाहिए क्योंकि मैंने पाया कि दुनिया के किसी हिस्से में स्निकोमीटर तो अन्य हिस्से में हाटस्पाट का उपयोग किया जाता है।”

इसमें एकरुपता नहीं थी। जब आप टेस्ट क्रिकेट खेलते हो तो कुछ चीजें जो दुनिया में हर जगह एक जैसी होनी चाहिए और जब डीआरएस इसका हिस्सा बन गया है, क्रिकेट से जुड़ गया है तो फिर यह विश्वभर में हर जगह एक जैसा होना चाहिए। इसलिए आप जिस मैच में भी खेल रहे हों किसी को यह सवाल करने का मौका नहीं मिलना चाहिए कि क्या होने जा रहा है, क्या स्निकोमीटर उपलब्ध है या हाटस्पाट उपलब्ध है या नहीं। इसका मानकीकरण होना चाहिए।

सचिन तेंदुलकर दिग्गज क्रिकेटर

तेंदुलकर ने कहा कि डीआरएस का संबंध सीधेतौर पर फैसले सही करना है। उन्होंने कहा, ‘‘आपने (राजकोट टेस्ट मैच में) चेतेश्वर पुजारा के फैसले के बाद देखा होगा। कुछ सवाल उठाए गए थे और लोगों ने इस पर बात की कि क्या फैसला दिया जाना चाहिए था। यहां तक कि यदि बल्लेबाज (रेफरल) के लिए नहीं कहता है और अंपायर आउट दे देता है और रीप्ले में दिखता है कि गेंद लेग से बाहर की तरफ जा रही थी तो मुझे लगता कि ऐसे में तीसरे अंपायर का हस्तक्षेप करना गलत नहीं होगा क्योंकि आखिरकार डीआरएस पूरी तरह से फैसले सही करने से जुडा है।”

तेंदुलकर ने कहा, ‘‘ और (जहां तक संभव हो) लगातार सही फैसले। इसलिए आपको सही फैसले हासिल करने के लिए तरीके खोजने होंगे और उन्हें एक टीम के रूप में काम करना चाहिए। सभी तीनों अंपायरों मतलब मैदानी अंपायरों और तीसरे अंपायर को। इस पूरी प्रणाली को फैसले सही करने के लिए लागू किया गया है और यदि सभी फैसले सही होते हैं तो हम अपना लक्ष्य हासिल कर लेंगे।”

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