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सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रही ग्रामीण खेल प्रतिभाएं

केन्द्र सरकार

सुरेन्द्र कुमार

मलिहाबाद/लखनऊ। सरकार की युवाओं के प्रति बढ़ती उपेक्षापूर्ण नीति के चलते गांवों की खेल प्रतिभाएं पिछड़ने लगी हैं। कुछ योजनाएं जो संचालित की गयीं थी, उनमे भी बजट की कमी आ रही है। इसके अतिरिक्त केन्द्र सरकार द्वारा खेलों के प्रति युवाओं को जागरूक करने के लिए संचालित की जा रही पंचायत युवा और खेल अभियान योजना को समाप्त ही कर दिया गया है। इस प्रकार दम तोड़ रही व बन्द की गयी योजनाओं से गांवों की खेल प्रतिभाओं को भारी आघात लगा है।

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जानकार बताते हैं कि वर्ष 1952 में प्रदेश सरकार ने युवा कल्याण विभाग की स्थापना कर ग्रामीण खेलकूदों को बढ़ावा देने के लिए युवक मंगल दलों व महिला मंगल दलों का गठन कर उन्हें सांस्कृतिक व खेल कार्यक्रम आयोजन हेतु प्रोत्साहन स्वरूप कुछ धनराशि देने की व्यवस्था की थी। इसी के साथ ही शासनादेश के माध्यम से प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम एक एकड़ भूमि खेल मैदान के रूप में सुरक्षित रखने के आदेश जारी हुए थे। लेकिन अनेक गांवों में चकबन्दी के दौरान खेल मैदान के लिए भूमि का आरक्षण किया गया। प्रोत्साहन के स्वरूप दलों को मिलने वाली सहायता धीरे-धीरे नगण्य हो गयी। जिन ग्राम पंचायतों में एक एकड़ भूमि खेल मैदान के लिए आरक्षित की गयी थी। उस भूमि पर लोगों ने अवैध कब्जे कर कहीं मकान बना लिए तो कहीं उस पर कृषि कार्य करने लगे।

बन्द हुयी पायका योजना से निराश हुए गांवों के खिलाड़ी

वहीं वर्ष 2008 में केन्द्र सरकार भी गांवों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए आगे आयी। सरकार ने पायका योजना चलाकर इस विकास खण्ड की 67 ग्राम पंचायतों में से 16 ग्राम पंचायतों में यह योजना संचालित की। इसमें मनरेगा के तहत खेल मैदानों का समतलीकरण कराया गया। करीब सवा लाख रुपयों की धनराशि से खेल उपकरण खरीदकर खेल मैदानों में स्थापित कराये गए। लेकिन मार्च 2014 में यह योजना बन्द कर दी गयी। जिससे मैदानों पर स्थापित उपकरण भी धीरे-धीरे गायब हो गए। पूर्व मे मामूली तौर पर ही सरकारी प्रोत्साहन मिलने से इस विकास खण्ड की खेल प्रतिभाएं उभरी थीं। जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताओं में दो दर्जन से अधिक खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर मेडल प्राप्त किए थे। इतना ही नहीं यहां के ग्राम मुजासा की तीन बालिकाओं ने राज्य स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त कर मेडल हासिल किए। आज गांवों की खेल प्रतिभाएं संसाधनों व दिशा निर्देशों के अभाव में निखरने में असमर्थ हैं।

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