Gaon Connection Logo

दिल्ली नहीं,  मध्य प्रदेश के इस छोटे से गाँव के रहने वाले हैं विराट कोहली

विराट कोहली

लखनऊ। भारतीय क्रिकेट टीक के कप्तान और दुनिया के सबसे चहेते खिलाड़ी विराट कोहली के सितारे बुलंदियों पर हैं। महज 10 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में ही दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों में शुमार टीम इंडिया के कप्तान और स्टार बल्लेबाज विराट कोहली आज यानी 5 नवंबर को 30 साल के हो गए।

इंटरनेशनल क्रिकेट में विराट ने 18,665 रन पूरे कर लिए हैं। उनके करियर में 62 शतक, टेस्ट में 6 दोहरे शतक और 85 अर्धशतक शामिल हैं। विराट आने वाले दिनों कई बड़े कीर्तिमान अपने नाम कर सकते हैं। दरअसल, कोहली की कामयाबी का यह सफर आसान नहीं रहा। क्रिकेट के प्रति विराट का जुनून उनकी सफलता का राज है।

विराट के दादा विभाजन के वक्त कटनी आ गए थे

वैसे तो सभी जानते हैं कि विराट का घर दिल्ली में है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि, विराट दिल्ली के नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के एक छोटे से क्षेत्र कटनी के रहने वाले हैं।

विराट के दादा विभाजन के वक्त कटनी आ गए थे। विराट के पिता प्रेम कोहली भी कटनी के गुलाबचंद स्कूल से पढ़े थे, जहां कुछ समय के लिए विराट ने भी पढ़ाई की। उसके बाद वो सारंगपुर चले गए और फिर दिल्ली शिफ्ट हो गए थे।

आपको बता दें कि विराट के चाचा-चाची आज भी कटनी में ही रहते हैं। साथ ही आपको बता दें कि विराट की चाची वहां की मेयर भी रह चुकी हैं।

विराट के चाचा-चाची और चचेरा भाई।

विराट के चाचा गिरीश कोहली ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि विराट अंतिम बार अपने सौतेले भाई की मौत के समय आए थे उनका पैतृक घर कटनी में है, लेकिन अब वो बिक चुका है।

अपनी मां के साथ विराट कोहली।

अब, विराट कोहली का नाम विश्व के महान बल्लेबाजों में है। वो क्रिकेट में जल्द ही काफी उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं। विराट कोहली दुनिया में सबसे ज्यादा इनकम पाने वाले क्रिकेटर हैं। साथ ही विज्ञापन और बिजनेस वेनचर उनकी कमाई के साधन हैं। इन्हीं कारणों से विराट अमीर क्रिकेटर में से एक हैं।

ये भी पढ़ें:-

विराट कोहली के इस फैसले की आप तारीफ किए बिना नहीं रह पाएंगेे, जानिए क्या है फैसला

जीतने के लिये आहत करने वाली बातें कहनी होती है : कोहली

स्पोर्ट्स से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

More Posts

मलेशिया में प्रवासी भारतीय सम्मेलन में किसानों की भागीदारी का क्या मायने हैं?  

प्रवासी भारतीयों के संगठन ‘गोपियो’ (ग्लोबल आर्गेनाइजेशन ऑफ़ पीपल ऑफ़ इंडियन ओरिजिन) के मंच पर जहाँ देश के आर्थिक विकास...

छत्तीसगढ़: बदलने लगी नक्सली इलाकों की तस्वीर, खाली पड़े बीएसएफ कैंप में चलने लगे हैं हॉस्टल और स्कूल

कभी नक्सलवाद के लिए बदनाम छत्तीसगढ़ में इन दिनों आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलने लगी है; क्योंकि अब उन्हें...