सरकारी इंटर कॉलेजों में बच्चे तो हैं पर शिक्षक नहीं

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सरकारी इंटर कॉलेजों में बच्चे तो हैं पर शिक्षक नहींgaonconnection

लखनऊ। सरकारी स्कूलों में भले ही शैक्षिक सत्र की शुरुआत हो गई हो और प्रवेश प्रक्रिया के साथ पठन-पाठन कार्य शुरू हो चुका हो लेकिन पठन-पाठन की प्रक्रिया मात्र एक औपचारिकता बन कर रह गई है। शिक्षकों के मूल्यांकन कार्य में फंसे होने के कारण शैक्षिक सत्र की सही शुरआत नहीं हो सकी है।

परिषदीय स्कूलों और इंटर कॉलेज में शैक्षिक सत्र अप्रैल महीने से शुरू करवाया गया है। इंटर कॉलेजों में शिक्षक मूल्यांकन कार्य पर लगा दिए गए हैं, ऐसे में बच्चों की पढ़ाई लगभग पूरी तरह से ठप है। यह हाल केवल एक शहर के स्कूल-कॉलेजों का नहीं बल्कि प्रदेश के हर जिले का है। वहीं कुछ स्कूल ऐसे हैं जहां नये सत्र में पठन-पाठन कार्य की शुरुआत भी नहीं  हुई है। लखनऊ के क्वीन्स इण्टर कॉलेज में नियुक्त 22 शिक्षकों में से इन दिनों मात्र दो शिक्षक बच्चों का पठन-पाठन करवा रहे हैं। 

कक्षा छह से 12 तक संचालित होने वाले इस कॉलेज में मात्र दो कक्षाएं लगाई जा रही हैं जिसमें कई-कई कक्षाओं के बच्चों को एक साथ बिठाकर पढ़ाया जाता है। कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. आरपी मिश्र का कहना है कि यह बहुत गंभीर बात है, नया सत्र अप्रैल की जगह जुलाई से ही शुरू होना चाहिए था ताकि मूल्यांकन कार्य समाप्त हो जाता। वहीं दूसरी ओर गिरधारी सिंह इण्टर कॉलेज की बात करें तो कॉलेज में नियुक्त 27 शिक्षकों में से मात्र दो शिक्षक बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हैं। 

 कक्षा एक से 12 तक संचालित होने वाले इस कॉलेज में भी दो कक्षों में कई-कई कक्षा के बच्चे एक साथ शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। बाकी शिक्षकों की ड्यूटी मूल्यांकन कार्य में लगी है। शिक्षक इंद्रप्रकाश कहते हैं कि क्या किया जा सकता है जब मूल्यांकन कार्य भी जरूरी है। जिला हरदोई के बेनीगंज स्थित गांधी इण्टर कॉलेज में शैक्षिक सत्र की शुरुआत भी नहीं हुई है जबकि इस स्कूल में 17 शिक्षक नियुक्त हैं लेकिन सभी की ड्यूटी मूल्यांकन कार्य में लगाई गई है। कॉलेज तो खुल रहा है लेकिन केवल कार्यालय में बाबू और चपरासी ही कॉलेज आ रहे हैं। स्कूल के शिक्षक डॉ. किसान चौरसिया कहते हैं कि पढ़ाई तो दूर स्कूल में शिक्षक न होने के कारण प्रवेश प्रक्रिया भी रुकी हुई है, जिसकी शुरुआत मूल्यांकन कार्य समाप्त होने के बाद ही हो सकेगी।

रिपोर्टर - मीनल टिंगल

 

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