सरकारीकरण के भंवर में फंसी महिला किसान
देवांशु मणि तिवारी 20 July 2016 5:30 AM GMT

रुदौली (फैजाबाद)। कुछ दिनों पहले ही पति ठाकुर प्रसाद ( 52 वर्ष) का देहांत होने के बाद साइदपुर गाँव की सुमिरता देवी ( 47 वर्ष ) पर मानों मुश्किलों का अंबार टूट पड़ा हो।
अब खेती की पूरी जिम्मेदारी उस पर ही है। जिसके लिए जरूरी सस्ते बीजों के लिए वह सरकारीकरण का शिकार हो रही है।
बीजों की सब्सिडी न मिलने से परेशान सुमिरता हर रोज घर का चूल्हा-चौका निपटाकर तहसील निकल पड़ती हैं, ताकि वो जल्द ही अपने पति के नाम पर बनी खतौनी पर अपना नाम दर्ज करा सके। ताकि उसकी खेती की लागत कम हो जाए।
फैजाबाद जिले के रुदौली ब्लॉक के साइदपुर गाँव की सुमिरता बताती हैं, ‘’जब हमने गाँव के पास के कृषि केंद्र से 10 किलो अरहर के बीज लेने के लिए अपनी खतौनी दिखाई तो दुकानदार ने यह कहकर बीज देने से मना कर दिया कि खतौनी पर हमारे पति का नाम है, इसलिए ये बीज हमें नहीं मिल सकता है।’’ ऐसा ही एक और प्रकरण भवनियापुर की कुंती देवी का भी है।
कुंती के पास आधार कार्ड नहीं है। उनको ये पता भी नहीं है कि वह कैसे बनेगा। इसी वजह से वे भी सब्सिडी वाले बीज नहीं ले पा रही हैं। कुंती का कहना है कि वह अब तक कभी गाँव के बाहर तक नहीं गई हैं। उनको ये पता ही नहीं है कि आधार कार्ड किस तरह से बनवाया जाता है।
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