#स्वयंफेस्टिवल : जब पुलिस ने दूर किया महिलाओं का डर

Ashish DeepAshish Deep   20 Dec 2016 3:38 PM GMT

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#स्वयंफेस्टिवल : जब पुलिस ने दूर किया महिलाओं का डरआगरा में 1090 पर जानकारी देते यूपी पुलिस के प्रतिनिधि।

स्वयं फेस्टविल-दूसरा दिन। जगह-आगरा का विकास खण्ड खंदौली का प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय पैसई

1090 क्या है? जब यूपी पुलिस की प्रतिनिधि अर्चना कटारा ने प्राथमिक विद्यालय के कक्ष में यह सवाल किया तो थोड़ी देर के लिए सन्नाटा पसर गया। सत्र शुरू होने से पहले जो खुसर-पुसर हो रही थी वह भी शांत हो गई। अधिकारियों ने गाँव की महिलाओं से कहा-घबराइए नहीं हम कोई इम्तिहान नहीं ले रहे बल्कि आपको इसके बारे में बताने आए हैं। यह एक ऐसा हथियार है जो आपको संरक्षण और संबल देगा।

1090 वुमेन पावर लाइन है, यह यूपी में छेड़खानी की बढ़ती घटनाओं पर रोकथाम के लिए अखिलेश सरकार ने शुरू किया था। पावर एंजिल बनाए गए जो समय-समय पर लोगों को इसके बारे में जागरूक करते हैं। अगर आप में से भी कोई पावर एंजिल बनना चाहता है तो फार्म भरकर हमें भेज दे। हम उसे प्रशिक्षण देंगे।

अफसरों ने कहा कि जब भी कोई महिला शिकायत करती है तो उसकी पहचान गुप्त रखी जाती है। सिर्फ शिकायत की जांच से संबंधित तथ्य ही जांच अधिकारी को बताए जाते हैं। इसलिए आप लोग जरा भी घबराएं नहीं कभी भी किसी भी प्रकार की शिकायत हो तो तुरंत 1090 डायल करें। हमारी सहयोगी आपकी पूरी मदद करेगी।

स्कूल में बच्चों को ताइक्वांडो का प्रशिक्षण भी दिया गया।

‘टि्वटर सेवा’ से सक्रिय हुई पुलिस

अफसरों ने बताया कि यूपी के 75 जिलों में कुल 122 टि्वटर हैंडल सक्रिय हैं। पुलिस टि्वटर से भी शिकायतें निपटा रही है। यूपी देश में पहला ऐसा राज्य है जहां टि्वटर का इस्तेमाल हर जिले में पुलिस महकमा कर रहा है। इससे पहले बेंगलुरु में यह सेवा चल रही थी। टि्वटर शिकायतों को व्यवस्थित ढंग से निपटाने के लिए टि्वटर पर आधारित सीआरएम (कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेन्ट) प्लेटफार्म है। इस साफ्टवेयर से शिकायतों को सम्बन्धित जिलों में प्रेषित किया जाता है। प्रत्येक शिकायत का एक कोड जनरेट होता है जिसके आधार पर उनको ट्रैक किया जाता है। कम्प्यूटर के एक कमांड से सेकंडों में पता लगाया जा सकता है की किस जिले द्वारा इसे प्रेषित किया गया, कितनी शिकायतों का कितने समय में निस्तारण किया गया।

महिलाओं और युवतियों में अखबार की प्रतियां भी बांटी गईं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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