बाराबंकी के गाँव में लगी भीषण आग, ग्रामीणों ने खुद जान जोखिम में डालकर लोगों और बच्चों को बचाया

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बाराबंकी के  गाँव में लगी भीषण आग, ग्रामीणों ने खुद जान जोखिम में डालकर लोगों और बच्चों को बचायारविवार दोपहर बाराबंकी के जानकीनगर गाँव में एक स्कूल के पास बनी झोपड़ियों में आग लग गई

गाँव कनेक्शन/स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। बाराबंकी के जानकीनगर गाँव में रविवार दोपहर को भीषण आग लग गई। सूचना देने पर भी दमकल गाड़ियां मौके पर समय पर नहीं पहुंच सकीं। गाँव वाले एक हैंडपंप और नालियों में बहते गंदे पानी को बाल्टी में भरकर आग बुझाने में मजबूर दिखे। इस गाँव की आग समूचे उत्तर प्रदेश के गाँवों की हालत बयां करती है।

शहरों की अपेक्षा गाँवों में आग लगने पर अग्निशमन विभाग और लचर नजर आता है, जिसका भयावह रूप रविवार को बाराबंकी के जानकीनगर गाँव में देखने को मिला। गाँव में रविवार दोपहर 2:15 बजे एक स्कूल के पास लगी भीषण आग ने 12 घरों को अपने चपेट में ले लिया। ग्रामीणों ने 101 नंबर पर अग्निशमन विभाग को सूचना दी, मगर दमकल गाड़ियां दो घंटे बाद मौके पर पहुंची। तब तक गाँव वालों ने आग बुझा ली थी। इस भीषण आग में गाँव के सुंदर लाल, राकेश, प्रकाश, नंदलाल, रामनाथ, मेवालाल, लल्लू और भगत समेत 12 लोगों के घर पूरी तरह जल गए। घर में रखा सामान पूरी तरह जल गया।

अग्निशमन गाड़ी स्टेशन से तभी निकलती है, जब उसे सूचना दी जाती है। सूचना मिलने के मात्र एक मिनट के बाद अग्निशमन गाड़ी स्टेशन छोड़ देती है। स्टेशन छोड़ने के बाद गाड़ी जाम में फंस जाए तभी देर हो जाती है, वरना हम जल्द ही पहुंचने की तैयारी में रहते हैं। हम आग पर काबू पाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
अभय भान पाण्डेय, मुख्य अग्निशमन अधिकारी, लखनऊ

गाँव के भारतीय ग्रामीण विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र मनीष कुमार बताते हैं,” सबसे ज्यादा नुकसान सुंदरलाल और मेवालाल का हुआ। उनके घर में रखा गेहूं, भूसा समेत सारा सामान जलकर खाक हो गया। लोगों ने ट्यूबवेल और एक हैंडपंप के सहारे पानी बॉल्टी में भर-भर कर आग को बुझाने का प्रयास किया।“

जानकीनगर गाँव में झोपड़ियों में आग का इतना भयावह रूप था कि ग्रामीण नालियों का गंदा पानी बाल्टी में भर कर आग बुझाते दिखाई दिए।

जानकीनगर गाँव के प्रधान दीपक कुमार बताते हैं’ ”सूचना देने पर पुलिस आधे घंटे में मौके पर पहुंची, मगर दमकल की दो गाड़ियां दो घंटे बाद पहुंची। तब तक आग बुझ चुकी थी।“ वह आगे बताते हैं’ “ गाँव के लोगों ने पीड़ित ग्रामीणों के लिए तिरपाल बिछाकर सोने और खाने-पीने की व्यवस्था की है।“

वहीं, उन्नाव के मगरवारा निवासी घनश्याम (31 वर्ष) बताते हैं, ‘बीती 23 अप्रैल को उनके खेतों में आग लग गयी थी। सूचना के लगभग आधे घंटे बाद फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके पर पहुंची थी, लेकिन तब तक तेज हवाओं के कारण खेत पूरा जल चुका था।’ वहीं, बीघापुर गाँव में रहने वाले आशीष (28 वर्ष) ने बताते हैं, ‘16 मई को उनके घर मे आग लगी थी। सूचना फायर ब्रिगेड को दी गयी, लेकिन एक घंटे तक वह नहीं पहुंची जिससे पूरा घर जल गया।’

कानपुर देहात के भोगनीपुर तहशील के पुखरायां निवासी संदीप सचान बताते हैं, ‘आग लगने पर फायर बिग्रेड की गाड़ियां लगभग 30 से 45 मिनट पहुंच जाती हैं। ऐसे में इतनी देर में पहुंचने पर सब कुछ जलकर राख हो जाता है।’ वहीं, सुल्तानपुर जिले के लम्भुआ तहसील के राजा उमरी गाँव के निवासी राम राज चौरसिया कहते हैं, ‘फायर बिग्रेड की गाड़ियां लगभग एक से डेढ़ घंटे बाद ही गाँव में पहुंच पाती है।’

राजधानी लखनऊ में बीते साल 26 मार्च गोमतीनगर इलाके में शनिवार शाम सब्ज़ी मण्डी में भीषण आग लग गई थी। सैकड़ों का सामान जलकर खाक हो गया। मण्डी के बिल्कुल बगल में पेट्रोलपंप भी था, जहां आग पहुंच सकती थी लेकिन दमकल कर्मियों ने हादसा और बड़ा होने से रोक लिया लेकिन हर बार स्थिति इतनी जल्दी काबू में नहीं आ पाती।

वहीं, इसी समय में कानपुर के परेड ग्राउंड में लगी भीषण आग में 14 साल की बच्ची की मौत हो गई, तो गोंड़ा के तेलियनपुरवा गाँव में दो साल की मासूम जिंदा जल गई। अकेले बक्शी का तालाब में बीते वर्ष दमकल केंद्र पर 47 मामले आए थे।

60 प्रतिशत आग की घटनाएं मार्च से जून माह में

प्रदेश की राजधानी लखऩऊ का ही उदाहरण लें तो लखऩऊ में केवल 24 दमकल की गाड़ियां हैं और कुल कर्मचारियों की संख्या 313 है। ज़िले की 46 लाख की आबादी के हिसाब से हर साढ़े चौदह हज़ार लोंगों पर केवल एक दमकल कर्मी और लगभग दो लाख लोगों पर एक आग बुझाने वाली गाड़ी है। आंकड़ों पर गौर करें तो साल भर में होने वाली आग की घटनाओं में से 60 प्रतिशत आग की घटनाएं मार्च से जून माह के बीच में होती हैं। वर्ष 2015 में 30 हजार छोटी-बड़ी आग की घटनाओं की सूचना मिली थीं।

क्या होना चाहिए

  • पंचायत स्तर पर आग बुझाने वाला तरल कार्बन डाई ऑक्साइड से भरा सिलेंडर उपलब्ध कराया जाए।
  • घटनाओं की संख्या के आधार पर क्षेत्र चिन्हित कर वहां आबादी के अनुपात में ब्लॉक स्तर पर भी दमकल गाड़ियां मुहैया कराई जाएं।
  • तंग गलियों में दमकल की गाड़ियां नहीं पहुंच पाती, इसका दूसरा उपाय खोजना चाहिए।

        

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