जैविक खाद से कम पैसे में हुआ ज्यादा मुनाफा तो किसान ने यूरिया-डीएपी से की तौबा 

Gyanesh SharmaGyanesh Sharma   30 Nov 2017 10:57 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
जैविक खाद से कम पैसे में हुआ ज्यादा मुनाफा तो किसान ने यूरिया-डीएपी से की तौबा जैविक खाद के प्रयोग से हो रहे मुनाफे से साल दर साल वह खेती का रकवा बढ़ाते जा रहे हैं।

ज्ञानेश शर्मा, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

अतरौली (अलीगढ़)। कुछ किसान महंगी रसायन खाद के बिना ही खेती कर अच्छी पैदावार कर रहे हैं, कुछ किसान ऐसे हैं जो जैविक खाद से अपनी बेहतर खेती कर रहे हैं।

जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर अतरौली तहसील के गाँव नहल के उन्नतशील किसान जगवीर सिंह और उनकी पत्नी मुन्नी देवी का जैविक खाद का प्रयोग सफल रहा। अब जगवीर सिंह रसायन खाद का प्रयोग नहीं करते हैं। जैविक खाद से ही फसल तैयार कर रहे हैं। जैविक खाद के प्रयोग से हो रहे मुनाफे से साल दर साल वह खेती का रकवा बढ़ाते जा रहे हैं।

ये भी पढ़ें - MBA पास युवक ने खेती में लगाया ज्ञान- अदरक और स्वीट कॉर्न की जैविक फसल ने दिलाई पहचान

मैं और मेरे पति मिलकर दो एकड़ की खेती करते हैं। पहले हम रसायन खाद का ही प्रयोग करते थे, लेकिन रासायनिक खेती से ज्यादा मुनाफा नहीं हो पा रहा था।
मुन्नी देवी, गाँव नहल की पूर्व प्रधान व किसान

मुन्नी देवी आगे बताती हैं, “एक दिन अतरौली ब्लॉक में कृषि अधिकारी शशिपाल सिंह ने उन्हें जैविक खाद का प्रयोग करने की सलाह दी। शशिपाल सिंह ने हमें ब्लॉक से सहायता दिलाने को भी कहा। इस पर हम जैविक खाद के लिए तैयार हो गए।

ये भी पढ़ें - बिना जुताई के जैविक खेती करता है ये किसान, हर साल 50 - 60 लाख रुपये का होता है मुनाफा, देखिए वीडियो

पांच साल पहले हमने शशिपाल सिंह और कृषि प्रसार अधिकारी फतेह सिंह वर्मा की मदद से केंचुआ से तैयार होने वाला जैविक खाद तैयार किया। इसके लिए हमें ब्लॉक से केंचुआ और सब्सिडी दी गई। हमने गाय भैंसों का गोबर एकठ्ठा किया। उसे बेड बनवाकर उसमें डाला और केंचुए छोड़े। केंचुए से तैयार की गयी जैविक खाद हमने फसल में डाली थी। उस साल सरसों की फसल में जब इस खाद का प्रयोग किया तो सरसों की पैदावार दोगुनी हुई।’’

ये भी पढ़ें -

बुंदेलखंड में जैविक खेती की अपार संभावनाएं: सोराज सिंह, कृषि निदेशक

इंटरव्यू : जैविक खेती को बढ़ावा देने का मलतब एक और बाजार खड़ा करना नहीं

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

        

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.