न्यायलय के आदेश के बाद छात्रावास को अवैध रूप से रह रहे छात्रों से मिली निजात
गाँव कनेक्शन 22 May 2017 5:13 PM GMT

ओपी सिंह परिहार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
इलाहाबाद। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुल 20 छात्रावासों में 40 साल से अवैध रूप से रह रहे कुछ छात्रों का कब्जा था, जिससे नए छात्रों को छात्रावासों में जगह नहीं मिल पा रही थी। इसके मद्देनजर प्रशासन ने छात्रावासों को खाली कराने की कार्रवाई शुरू की।
छात्रावास के कमरे खाली न करने की वजह से छात्रावास शुल्क जमा करने के बावजूद छात्र डेलीगेसी में रहने को मजबूर थे। ऐसे ही एक छात्र की याचिका पर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने विश्वविद्यालय के सभी छात्रावासों को खाली कराने का फैसला सुनाते हुए जिला प्रशासन को 30 मई से पहले सभी छात्रावास खाली कराकर सूचित करने का निर्देश जारी किया था।
जिसके विरोध स्वरूप छात्रवासों में अवैध रूप से रहे कुछ छात्रों ने शहर के कई हिस्सों में आगजनी की घटना को अंजाम दिया, जिसमें विश्वविद्यालय कर्मचारियों के वाहन समेत विश्वविद्यालय के करोड़ों रुपए की सम्पत्ति आग के हवाले कर दी गई। हिन्दू हॉस्टल में रहने वाले छात्र अभिनव सिंह (26 वर्ष) ने बताया, “मुख्य परीक्षा के बाद आगामी कक्षाओं में प्रवेश के लिए तैयारी करनी होती है। प्रशासन के इस फैसले से हम लोग की तैयारी प्रभावित हो रही है।”
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एक माह बाद मिली सफलता
लगभग एक माह तक छात्र और प्रशासन के बीच चले शह-मात के खेल के बाद प्रशासन छात्रावास को खाली कराने की व्यवस्था मुस्तैद कर पाया। विश्वविद्यालय के बदनाम छात्रावास हिन्दू हॉस्टल और मुस्लिम छात्रावास को खाली कराने के लिए रविवार का दिन चुना गया। बड़ी संख्या में सुरक्षा-व्यवस्था लेकर पहुंचे विश्वविद्यालय के चीफ प्राक्टर डॉ. रामसेवक दुबे ने बताया, “27 मई तक सभी छात्रावास खाली कराकर मरम्मत और रंगाई-पुताई का काम शुरू करा दिया जाएगा।
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20 छात्रावासों में तीन महिला छात्रावास भी शामिल
विश्वविद्यालय और ट्रस्ट को मिलाकर कुल 20 छात्रावास हैं। सभी में अवैध रूप से कुछ छात्र रहते थे। इनमें तीन महिला छात्रावास शामिल है। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि छात्रवासों में अवैध रूप से रहने वाले छात्र ही विश्वविद्यालय में अराजकता का माहौल फैलाते थे, जिनसे अब निजात मिलने की उम्मीद है। मुस्लिम छात्रावास में रहने वाले छात्र शमीम (29 वर्ष) ने बताया, “कुछ लोगों की वजह से हम सभी लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।”
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