सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज इंजेक्शन गायब, मरीजों को बाहर से खरीदना पड़ रहा है रैबीज का इंजेक्शन 

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सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज इंजेक्शन गायब, मरीजों को बाहर से खरीदना पड़ रहा है रैबीज का इंजेक्शन सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज के इंजेक्शन ही उपलब्ध नहीं हैं।

अजय मिश्र, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

कन्नौज। तिर्वा कस्बे के मोहल्ला अन्नपूर्णानगर निवासी मो. उमर का आठ वर्षीय पुत्र फैसल अपने दोस्त के साथ घर के निकट खेल रहा था। इस दौरान एक पालतू कुत्ते ने उसे काट लिया। बीच-बचाव में आए फैसल के दोस्त को भी कुत्ते ने काट लिया। उमर अपने पुत्र को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। यहां तैनात डॉक्टर ने कह दिया कि कई दिनों से एंटी रैबीज के इंजेक्शन ही नहीं हैं।

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इस बारे में मो. उमर बताते हैं, ‘‘मैंने बाहर निजी मेडिकल स्टोर से 320 रुपये का इंजेक्शन खरीदा और अपने पुत्र को लगवाया।‘‘ वह आगे बताते हैं कि डॉक्टर ने एक बच्चे को तीन इंजेक्शन लगाने को बताए हैं। यह दो घटनाएं जिला मुख्यालय से करीब 16 किमी. दूर तिर्वा की हैं। इसके अलावा भी कई ऐसे मामले हैं, जिनको इंजेक्शन सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क नहीं मिले और खरीदकर काम चलाना पड़ा।

इसी तरह जिला मुख्यालय से करीब 75 किमी. दूर सौरिख ब्लॉक क्षेत्र के नगला विशुना गाँव निवासी 42 वर्षीय गीता देवी को भी कुत्ते ने काट लिया था। वह अपने पति के साथ सौरिख सरकारी अस्पताल में पहुंचीं, लेकिन यहां भी उन्हें एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं मिल सका। सिर्फ इतना ही नहीं, यही हाल सकरावा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भी रहा। गीता ने यहां भी पता किया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। बाद में वह औरैया जिले के एरवाकटरा में चल रहे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची, यहां डॉक्टर ने उन्हें इंजेक्शन लगाया और सभी इंजेक्शन का कोर्स भी पूरा हुआ।

कन्नौज ही नहीं, अन्य जिलों के कई अस्पतालों में एंटी रैबीज के इंजेक्शन नहीं हैं। हमें जानकारी मिली है कि चुनाव की वजह से अब तक नया टेंडर नहीं हो सका है, जिससे अस्पतालों में इंजेक्शन नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में एक-डेढ़ महीने से समस्या है। मेडिकल कॉलेज में भी यही हाल है।
डॉ. सीपी सिंह, सीएमएस, जिला अस्पताल कन्नौज

सीएचसी सकरावा में तैनात डॉ. अभिषेक दुबे का कहना है कि यहां बिजली की समस्या रहती है। एंटी रैबीज के इंजेक्शन बड़ी फ्रिज में रखे जाते हैं, इसलिए इंजेक्शन नहीं मिल पाते। साथ ही स्टाफ की भी समस्या है। वहीं, जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी. दूर बसे गुरसहायगंज के सीएचसी के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज सचान का कहना है कि एक सप्ताह से उनके यहां एंटी रैबीज के इंजेक्शन नहीं हैं। समस्या पूरे जिले में चल रही है। हालांकि डिमांड उच्चाधिकारियों को भेज दी है।

एंटी रैबीज और एंटी स्नैक के इंजेक्शन नहीं हैं। इनकी सप्लाई यहां नहीं आती है। सरकारी अस्पतालों में ही मिलते हैं।
डॉ. दिलीप सिंह, सीएमएस, राजकीय मेडिकल कॉलेज, तिर्वा-कन्नौज

वहीं तीन दिन पहले जिला मुख्यालय से करीब 28 किमी दूर इंदरगढ़ में स्थित एक मेडिकल स्टोर पर ग्रामीण ने कुत्ता काटने के बाद एंटी रैबीज का इंजेक्शन खरीद कर लगाया।

मेडिकल स्टोर संचालक बताते हैं कि सुविधा सरकारी अस्पताल में मिलने लगी है, इसलिए हमने रखना ही बंद कर दिया। इंदरगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के फार्मासिस्ट डॉ. मनीश बताते हैं कि उनका अस्पताल छोटा है और एक भी बार इंजेक्शन नहीं मिला है। एंटी रैबीज का इंजेक्शन तिर्वा और हसेरन के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मिलते हैं।

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