तापमान ऐसे ही बढ़ता रहा तो देश का दुग्ध उत्पादन घट जाएगा

Diti BajpaiDiti Bajpai   22 Feb 2017 4:03 PM GMT

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तापमान ऐसे ही  बढ़ता रहा तो देश का दुग्ध उत्पादन घट जाएगाप्रतीकात्मक फोटो।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। मौसम के तापमान में हो रही बढ़ोत्तरी देश के दुग्ध उत्पादन में खासा प्रभाव डालने वाला है। अधिकारियों की माने तो दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देश भारत में 2020 तक सालाना दूध उत्पादन में 30 लाख टन की कमी होने की आशंका है।

हाल ही में भारतीय डेयरी संघ (पश्चिम क्षेत्र) द्वारा आयोजित 45वें डेयरी उद्योग सम्मेलन में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के चेयरमैन दिलीप रथ ने कहा, “जलवायु परिवर्तन से डेयरी क्षेत्र प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके दोनों से प्रभावित होगा। तापमान में परिवर्तन से पशुओं पर प्रभाव की वजह से दूध उत्पादन पर असर पड़ेगा। गर्मी के दबाव से पशुओं की प्रजनन की क्षमता पर भी बुरा असर होता है।” सम्मेलन में उद्योग विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि बढ़ते तापमान की वजह से विशेषरूप से मिलीजुली नस्ल की गायों पर पड़ने वाले असर की वजह से घरेलू मांग को पूरा करना मुश्किल होगा और प्रति व्यक्ति खपत में कमी आएगी।

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भारत अभी सालाना 16 करोड़ (वर्ष 2015-16) लीटर दूध का उत्पादन कर रही है। इसमें 51 प्रतिशत उत्पादन भैंसों से, 20 प्रतिशत देशी प्रजाति की गायों से और 25 प्रतिशत विदेशी प्रजाति की गायों से आता है। शेष हिस्सा बकरी जैसे छोटे दुधारू पशुओं से आता है। देश के इस डेयरी व्यवसाय से छह करोड़ किसान अपनी जीविका कमाते हैं।

शाहजहांपुर जिला मुख्यालय से उत्तर दिशा में 50 किमी दूर बंडा ब्लाक में बिलादपुर गाँव में रहने वाले शमीनाथ सिंह डेयरी चलाते हैं। पिछले पांच वर्षों से डेयरी चला रहे शमीनाथ सिंह (45 वर्ष) के पास छह जर्सी, चार एचएफ गाय हैं। शमीनाथ बताते हैं, “मेरे पास पली विदेशी गायों पर खर्च ज्यादा आता है। गर्मी हो या सर्दी दोनों ही मौसम में इनका खास ख्याल रखना पड़ता है वरना इसका असर दूध पर ही आता है।”

गर्मी अभी से ही शुरू हो गई है इसके लिए मैंने अभी से पंखे और शावर सही करा लिया है। इन गायों देखरेख में काफी खर्चा आता है।
शमीनाथ सिंह, डेयरी संचालक

‘नेशनल डेयरी डेवलेपमेंट बोर्ड’ (एनडीडीबी) के ‘राष्ट्रीय डेयरी प्लान’ में बताए गए अनुमानों के हिसाब से वर्ष 2020 तक देश को 20 करोड़ लीटर दूध की आवश्यकता पड़ सकती है। देश का 25 प्रतिशत दुग्ध उत्पादन संकर प्रजातियों (विदेशी) के पशुओं से होता है, जर्सी और हॉलेस्टाइन फीशियन जैसी गायों से। ऐसे में लगतार बढ़ते तापमान से पशुओं का दुग्ध उत्पादन प्रभावित होना और पशुपालकों का इस तथ्य से अंजान बने रहना एक खामोश खतरा है, जो आने वाले वर्षों में डेयरी उद्योग को नुकसान पहुंचा सकता है।

आजकल जो मौसम चल रहा है दिन में गर्म रात में ठण्ड ये मौसम विदेशी नस्ल के पशुओ में दूध पर असर डालता है। इसलिए डेयरी पालकों को स्वदेशी नस्ल की गाय ज्यादा पालना चाहिए क्योंकि स्वदेशी नस्ल की गाय मौसमी की परिस्थितियों को झेलने में अधिक सक्षम होती हैं। विदेशी नस्लों की गायों में गर्मी की वजह से दूध देने की क्षमता प्रभावित होती है। साथ ही साथ गर्मी के दवाब के कारण इनके गर्भधारण में भी बहुत दिक्कत आती है।
डॉ. टीबी यादव, पशु विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र, शाहजहांपुर

साहीवाल नस्ल में नहीं आती समस्या

19वीं पशुगणना के मुताबिक भारत में इस समय करीब 3 करोड़ क्रास-ब्रीड गायें हैं। हरियाणा में इनकी मौजूदगी करीब 60, पंजाब में 70 और केरल में 80 फीसदी तक हैं। बरेली के मजगवा ब्लाक के अखा गाँव में रहने वाले राजीव कुमार (35 वर्ष) के पास पांच स्वदेशी नस्ल की साहिवाल गाय है, जिससे वह रोज 40-50 लीटर का दूध उत्पादन कर रहे हैं। साहीवाल नस्ल की खासियत के बारे राजीव बताते हैं, ‘‘सर्दी-गर्मी और बरसात सभी में यह आराम से रह लेती हैं इनके लिए कोई खास प्रबंधन नहीं करना पड़ता है। मेरे पास विदेशी नस्ल की भी गाय थी उनके प्रबंधन में ज्यादा खर्चा आता है।”

    

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