पीड़ित महिलाओं को हक दिला रहा आशा ज्योति केन्द्र

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पीड़ित महिलाओं को हक दिला रहा आशा ज्योति केन्द्रसंध्या की मदद के लिए आगे आई समाजसेवी संस्था रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केन्द्र।

राजीव शुक्ला, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

कानपुर। बनारस की रहने वाली संध्या (बदला हुआ नाम) के पति आनंद (बदला हुआ नाम) की मौत कैंसर से लगभग पांच माह पहले क्या हुयी, तमाम खुशियों और परिवार वालों ने उससे मुंह मोड़ लिया। संध्या के सामने दो बच्चों की देखभाल की चिंता सताने लगी। इसके बाद वो इस उम्मीद के साथ अपने मायके गयी की, जहां उसका अपना सगा भाई और भाभी तो उसको आसरा देंगे ही, लेकिन उन्होंने भी उसको आसरा न दिया। इसके बाद संध्या की मदद के लिए आगे आई समाजसेवी संस्था रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केन्द्र, जो संध्या को उसका हक दिलाने में लगी हुई है।

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समाज में पीडि़त महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केन्द्र का संचालन कानपुर नगर में हो रहा है। इस संस्था का मुख्य उदेश्य महिलाओं, बालिकाओं कि सुरक्षा, उत्पीड़न और छेड़खानी जैसी घटनाओं को तुरंत संज्ञान में लेकर उन समाधान करवाना है। जिसकी मॉनिटरिंग जिला स्तर पर जिला प्रोबेशन अधिकारी द्वारा किया जाता है। कुछ मामलों में मौके पर जाकर सच्चाई जानने के लिए 181 नंबर कि काउंसलिंग वाहन भी मौजूद हैं।

17 फ़रवरी को रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योती केन्द्र के पास इस मामले की जानकारी आई। 12 फरवरी को सूचना देने वाले ने बताया कि कानपुर के महिला हॉस्पिटल डफरिन में बनारस की रहने वाली एक विधवा को भर्ती कराया गया है, जिसने रेलवे स्टेशन पर एक बच्चे को जन्म दिया है। आशा ज्योति केन्द्र की टीम को संध्या ने बताया, “वह बनारस के पास के एक गांव रहने वाली है। करीब पांच माह पहले कैंसर से पति की मौत हो गई।

पति की मौत के बाद उसके ससुराल वालों ने उसको घर से निकल दिया था। उसके सगे भाई और भाभी ने भी अपने घर में आसरा नहीं दिया। भटकते हुए वह कानपुर पहुंच गई थी। संध्या ने बताया कि, अब मेरा कोई आसरा नहीं है। मुझे अपने बच्चों को पलना है, जिसके लिए मुझको सहायता चाहिए।“ आशा ज्योति केन्द्र की काउंसलर प्रियांशी पाण्डेय ने बताया, “सूचना मिलते ही काउंसलर की टीम केस स्टडी के लिए गयी और टीम ने महिला को आश्वासन दिया कि उसकी पूरी सहायता की जायेगी। केस की सूचना जिला प्रोबेशन अधिकारी को दी गयी।

     

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