अवध में दिखी पहाड़ी संस्कृति और लोककलाओं की झलक

Devanshu Mani TiwariDevanshu Mani Tiwari   21 Jan 2017 6:09 PM GMT

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अवध में दिखी पहाड़ी संस्कृति और लोककलाओं की झलकउत्तरायणी कौथिग मेला लखनऊ जिले के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा पर्वतीय मेला माना जा रहा है। फोटो: देवांशु मणि तिवारी

देवांशु मणि तिवारी/दीपांशु मिश्रा

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। पिछले कई दिनों से पूरा का पूरा उत्तराखंड गोमती नदी के किनारे उतर आया था। पहाड़ों की संस्कृति, रंग और लोककलाओं को समेटे उत्तरायणी कौथिग मेला लखनऊ जिले के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा पर्वतीय मेला माना जा रहा है।

उत्तरायणी कौथिग मेले के बारे में गोपाल जोशी सांस्कृतिक सचिव, मेला बताते हैं,’’ उत्तरायणी कौथिग मेले की शुरूआत सूरज के उत्तरायण दशा में प्रवेश के बाद होती है। मेले में हमने पूरे उत्तराखंड को एक स्थान पर लाने की कोशिश की है, इस मेले में उत्तराखंड की संस्कृति और लोककलाओं को लोग बहुत पसंद कर रहे हैं। अभी पांच लाख से ज़्यादा लोग इस मेले का हिस्सा बन चुके हैं।’’

उत्तरायणी कौथिग मेले की शुरूआत सूरज के उत्तरायण दशा में प्रवेश के बाद होती है। मेले में हमने पूरे उत्तराखंड को एक स्थान पर लाने की कोशिश की है, इस मेले में उत्तराखंड की संस्कृति और लोककलाओं को लोग बहुत पसंद कर रहे हैं। अभी पांच लाख से ज़्यादा लोग इस मेले का हिस्सा बन चुके हैं।’
गोपाल जोशी, सांस्कृतिक सचिव

लखनऊ जिले में गोविन्द वल्लभ पंत पर्वतीय सांस्कृतिक उपवन, गोमती तट पर चल रहे उत्तरायणी कौथिग मेले में 150 से अधिक स्टॉलों में उत्तराखंड राज्य की मशहूर मिठाईयां, कलाकृतियां, परिधान, पहाड़ी दाल, सब्जी, मेवे तथा स्थानीय व्यंजन भी लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं।

मेले को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए उत्तरायणी मेले के प्रचार प्रभारी राजेश भट्ट ने बताया, मेले में उत्तराखंड की लोककलाओं के अलावा हर वर्ग के लिए कोई न कोई प्रतियोगिता और कार्यक्रम रखे गए हैं।

दो वर्ष के बच्चों के लिए बेबी हेल्थ शो, तीन से छह वर्ष के बच्चों के लिए पेंटिंग व सात से सोलह वर्ष के बच्चों के लिए डांसिंग व वाद-विवाद प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा रही हैं।’’ पहाड़ी संस्कृति को उजागर करने वाला यह मेला देश में दिल्ली, जयपुर, मुंबई व उत्तरप्रदेश राज्य के बरेली व लखनऊ जिले में आयोजित किया जाता है।

मेले में उत्तराखंड की लोककलाओं के अलावा हर वर्ग के लिए कोई न कोई कार्यक्रम रखे गए हैं। फोटो: देवांशु मणि तिवारी

उत्तरायणी मेले में दिखा पर्वतीय लोककलाओं का रंग

मेले में अपने छोलिया दल के साथ भाग ले रहे उत्तराखंड के अलमोड़ा क्षेत्र के मशहूर कलाकार चंदनबोरा ने बताया, ‘’हम पूरे भारत में छोलिया नृत्य करते रहते हैं। छोलिया नृत्य की इस विलुप्त होती संस्कृति को दुबारा फिर से जीवित रखने के लिए हमें राष्ट्रपति से सम्मान भी मिल चुका है। हम चाहते हैं कि हमारे राज्य के इस शौर्य गीत को देश के सभी हिस्सों में पसंद किया जाए।’’ उत्तरायणी कौथिग मेले में पर्वतीय छोलिया नृत्य के अलावा छबेली नृत्य, युगल नृत्य, झोड़ा नृत्य, छड़िया नृत्य व पहाड़ी लोकगीतों को खूब पसंद किया जा रहा है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

       

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