बहराइच: एएनएम की कमी, कैसे पहुंचे जरूरतमंदों तक स्वास्थ्य सेवाएं

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बहराइच: एएनएम की कमी, कैसे पहुंचे जरूरतमंदों तक स्वास्थ्य सेवाएंबहराइच में शिवपुर ब्लॉक के उप स्वास्थ्य केंद्र में छह एएनएम की कमी। 

प्रशांत श्रीवास्तव, स्वयं कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

बहराइच। हर साल सरकार अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती है। लाखों गर्भवती महिलाओं को उपचार के लिए विभिन्न प्रकार की सहायता दी जाती है। मगर जमीनी स्तर पर समस्याएं कुछ और ही कहती हैं। आलम यह है कि एएनएम की कमी से काफी समस्याएं खड़ी हो रही हैं।

जिला मुख्यालय बहराइच से 40 किलोमीटर दूर स्थित शिवपुर ब्लॉक में बने प्राथिमक स्वास्थ्य केंद्र के तहत 23 उपस्वास्थ्य केंद्र हैं, जिन पर लगभग 68 ग्राम सभाओं के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी हैं। मगर कई उपस्वास्थ्य केंद्र में एएनएम ही मौजूद नहीं है। आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले दो वर्षों से ग्रामसभा में 6 एएनएम की कमी है जो अब तक पूरी नहीं की जा सकी है।

शिवपुर ब्लॉक के तिगड़ा उपकेंद्र में तैनात एएनएम कमलेश्वरी बाजपई बताती हैं, “हर उपस्वास्थ्य केंद्र में एक एएनएम की तैनाती होती है, मगर हमारे यहां 6 उप स्वास्थ्य केंद्र में एएनएम ही नही हैं। ऐसे में हमें दूसरे के एरिया में जाकर टीकाकरण करना पड़ता है, साथ ही रजिस्टर बनाने पड़ते हैं। इस बारे में कमलेश्वरी आगे बताती हैं कि हमारा ही एरिया इतना बड़ा है कि हमें घाघरा नदी के पार भी जाना पड़ता है। चाहे बाढ़ का समय हो या गर्मी, हमें जाना ही पड़ता है। अपने केंद्र पर काम करने के बाद हमें दूसरे के केंद्र पर भी जाकर काम करना पड़ रहा है। हमारा समय और रुपये दोनों का नुकसान होता है। वह कहती हैं कि ऐसा नहीं है अधिकारियों को जानकारी नहीं है, मगर कोई इस ओर ध्यान नहीं देता।

ब्लॉक के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के सहायक शोध अधिकारी आरएन पांडेय का कहना है कि ब्लॉक में 6 एएनएम की कमी होने की वजह से कई समस्याएं आती हैं। हमें दूसरी एएनएम से जबरदस्ती रिक्त पड़े उप केंद्रों का काम भी कराना पड़ता है। ऐसे में खाली पड़े उप केंद्रों में गर्भवती महिलाओं या नसबंदी कराने वाले व्यक्तिओं के सही आंकड़े प्राप्त नही हो पाते हैं। संविदा पर तैनात नर्स ही इन सभी गाँव में डिलीवरी का कार्य देखती हैं और टीकाकरण का कार्य भी करती हैं।

आरएन पांडेय आगे बताते हैं कि एएनएम के न होने से विभाग से मिलने वाला लाभ सही समय से लाभार्थियों को नहीं मिल पाता है और कागजी कार्यवाही होकर खाना पूर्ति कर दी जाती है। हम मजबूर हैं कि हमारे यहाँ पूर्ण रूप से स्टाफ नहीं है। हम अपनी इस समस्या को लिखित में कई बार मुख्य चिकित्सा अधिकारी बहराइच को दे चुके हैं और उन्होंने हमें यही बताया है कि जब नई भर्तियां होंगी, तब ही रिक्त पड़े स्थानों को भरा जाएगा।

यह भी होती हैं समस्याएं

रिक्त पड़े पदों से गाँव की जनता को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्हें समय से दवाई उपलब्ध नहीं हो पाती है और समय से टीकाकरण नहीं हो पाता है। वहीं, गर्भवती महिलाओं को समय से उपचार नही मिल पाता है। इसके अलावा गर्भवती को समय से दवाई व टीके उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। स्वास्थ्य विभाग को जानकारी नहीं मिल पाती है कि कितनी महिलाएं गर्भवती हैं या नहीं। इसके अलावा बच्चों के उम्र की भी सही जानकारी नहीं मिल पाती।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

       

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