भिखारी ठाकुर की परम्परा को जिन्दा कर रहे बिहार के जैनेंद्र
गाँव कनेक्शन 3 Feb 2017 7:43 PM GMT

बसंत कुमार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर की रचनाओं को बिहार से देश के अलग-अलग हिस्सों में ले जाने का काम जैनेंद्र दोस्त (32 वर्ष) कर रहे हैं। बिहार के छपरा जिले के रहने वाले जैनेंद्र दोस्त भिखारी ठाकुर के साथ काम कर चुके उन कलाकारों को एकत्रित कर रहे हैं जो भिखारी ठाकुर की मौत के बाद बिखर गए थे। उन्हें एकत्रित कर उनके नाटकों और लिखे गानों का मंचन देश के अलग-अलग हिस्सों में कर रहे हैं।
भिखारी ठाकुर की रचनाओं को लोगों तक पहुंचाने में जैनेंद्र की गायक पत्नी सरिता साज़ भी उनका साथ दे रही हैं। प्रयाग संगीत समिति, इलाहबाद से गायन की पढ़ाई कर रही सरिता भिखारी ठाकुर के लिखे गीतों को गाती हैं। इन्होंने छपरा में लोक कला को लेकर जागरूक लोगों के साथ मिलकर भिखारी ठाकुर रंगमंडल प्रशिक्षण एवं शोध केंद्र की नींव रखी है। इस केंद्र के माध्यम से बच्चों को नाटकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
बिहार के छपरा जिला के रहने वाले जैनेंद्र दोस्त महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा से लौंडा नाच में एमए करने के बाद जेएनयू से बिदेशिया और लौंडा नाच में पीएचडी कर रहे हैं।
जैनेंद्र ने बताया, ‘जब मैं 2006 में दिल्ली थियेटर करने आया तो यहां बिदेशिया नाटक की काफी चर्चा सुनी। जब नाटक देखा तो लगा कि यह हमारे यहां के लौंडा नाच जैसा ही है। फिर मैं गाँव लौट गया और वहां भिखारी ठाकुर के नाटकों और रचनाओं को एकत्रित करना शुरू किया। भिखारी ठाकुर के साथ काम कर चुके लोगों को एकत्रित किया, फिर उनके नाटकों पर रिसर्च करना शुरू किया। इस काम में संगीत नाटक अकादमी ने हमारी खूब मदद की।’
हर लोकनाट्य परम्परा से जुड़े कलाकारों को संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड मिल चुका है, लेकिन भिखारी ठाकुर के साथ काम करने वाले और लौंडा लोक नृत्य से जुड़े किसी भी कलाकार को कोई अवॉर्ड नहीं दिया गया। हम कोशिश कर रहे हैं कि भिखारी ठाकुर के साथ किए रामचन्द्र मांझी और शिवपाल मांझी आदि लोगों को सरकार सम्मानित करे।जैनेंद्र दोस्त
फेस्टिवल के जरिए किया भिखारी ठाकुर को याद
पिछले साल 18-22 दिसम्बर में भिखारी ठाकुर जयंती पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय रंग महोत्सव का आयोजन बिहार के छपरा में कराया गया था। जैनेंद्र दोस्त बताते हैं कि तीन दिनों में भिखारी ठाकुर के गबर घिचोर, बिदेशिया, बेटी बेचवा और पिया निसाइल नाटक का मंचन हमने किया था।
कौन हैं भिखारी ठाकुर
बिहार के छपरा जिला में जन्मे भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का शेक्सपियर कहा जाता है। भिखारी ठाकुर ने लौंडा नाच और नाटकों को लोगों के बीच चर्चित बनाया था। इनका लिखा बिदेशिया नाटक काफी चर्चित है। भिखारी ठाकुर ने बिदेशिया नाटक में पलायन के दर्द का सुंदर चित्रण किया है। बिदेशिया के अलावा उन्होंने गबर घिचोर, बिदेशिया, बेटी बेचवा और पिया निसाइल नाम से मशहूर नाटक लिखा है। उन्होंने कई गीत भी लिखे हैं। भिखारी ठाकुर गायक, नाटककार और नर्तक हर चीज़ में पारंगत थे।
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