बोर्ड परीक्षा का तनाव छात्रों की आत्महत्या का कारण

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
बोर्ड परीक्षा का तनाव छात्रों की आत्महत्या का कारणबोर्ड परीक्षा के तनाव में छात्रों में आत्महत्या जैसा गलत कदम उठाने के मामले सामने आ रहे हैं।

मीनल टिंगल स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। बोर्ड परीक्षा का तनाव छात्रों पर इस तरह से सवार है कि वह आत्महत्या जैसा कदम उठाने में भी झिझक नहीं रहे हैं। कुछ दिनों पहले कानपुर के कल्याणपुर, विनायकपुर में रहने वाले अभिषेक (17 वर्ष) ने फांसी लगाकर अपनी जान सिर्फ इसलिए दे दी क्योंकि उसका भौतिक विज्ञान की परीक्षा खराब हो गयी थी।

यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी बच्चे ने परीक्षा के तनाव के चलते आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया हो। इससे कुछ ही दिन पहले जोधपुर के पाल रोड स्थित कांति नगर में रहने वाले दलपत सिंह (15 वर्ष) जो कि कक्षा 10 का छात्र था ने भी परीक्षा के तनाव के चलते फंदा गले में डालकर फांसी लगा ली थी। ऐसे ही कई और केस भी सामने आये हैं जब बोर्ड परीक्षा के तनाव के चलते छात्र अपनी जान गंवा रहे हैं।

मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. मधु पाठक कहती हैं, “अभिभावकों की अपेक्षाएं बढ़ रही हैं और दूसरी ओर बच्चों का तनाव बढ़ रहा है। समाज और अन्य बच्चों की तुलना करते हुए अभिभावक बच्चों पर ज्यादा से ज्यादा अंक प्रतिशत लाने का दबाव बनाते हैं जो उनकी क्षमता से अकसर बाहर होता है इसलिए भी अकसर बच्चे ऐसा कदम उठाते हैं। कई बार बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता और वह पूरे वर्ष ठीक से पढ़ते नहीं हैं और परीक्षा के समय घबरा जाते हैं और घर से भाग जाने, आत्महत्या करने जैसे गलत कदम उठा लेते हैं।” डॉ. मधु पाठक आगे कहती हैं, “मेरे पास कई ऐसे मामले आये हैं और आ रहे हैं।

बोर्ड परीक्षा में पेपर खराब हो जाने के डर से, फेल हो जाने और कम अंक प्रतिशत लाने के डर से बच्चे अवसाद में चले जाते हैं। उनकी काउंसिलिंग करके मैं उनका डर कम करने की कोशिश करती हूं और उनमें आत्मविश्वास भरती हूं, जिससे वह गलत कदम न उठा सकें। अभिभावकों को ऐसे समय में बच्चों पर दबाव बनाने की अपेक्षा प्यार से काम लेना चाहिये।”

एनसीआरबी की एक रिपोर्ट के अनुसार, आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले में भारत हैं। वर्ष 2014 में आत्महत्या करने वालों में 18 से 30 आयुवर्ग के युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा 44,870 थी। इसके साथ ही 14-18 वर्ष के 9,230 किशोर भी इनमें शामिल थे। इनमें 8032 छात्रों ने परीक्षा में फेल होने के कारण आत्महत्या की।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

       

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.