अयोध्यवासियों ने लिया संकल्प, जापान की तरह चमकेगी राम नगरी

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अयोध्यवासियों ने लिया संकल्प, जापान की तरह चमकेगी राम नगरीनगरपालिका के सहयोग से रामनगरी में चाक चौबंद होगी साफ-सफाई।

रबीश कुमार वर्मा- कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

अयोध्या। अयोध्यावासियों ने अब राम नगरी को साफ-सुथरा रखने की मुहिम छेड़ी है। इसके तहत अब घर के बाहर सड़क पर कूड़ा नहीं फेंका जाएगा। कचरे के निस्तारण के लिए नगरपालिका का वाहन दरवाजे पर आएगा उसी में कूड़ा डाला जाएगा। अगर कहीं गंदगी या कूड़े का ढेर लगा मिलेगा तो इसके लिए हेल्पलाइन नंबर दिया गया है। नगरपालिका के हेल्प लाइन नम्बर-7347735289 पर सूचना देने पर उसे तुरंत साफ कराया जाएगा।

यही नहीं लोगों को जागरूक करने के लिए भी अभियान चलेगा। इसमें माइक आदि के माध्यम से लोगों को सफाई के प्रति जागरूक किया जा रहा है। दुकानदारों से पॉलिथीन की जगह कागज के झोले में सामान बेचने की अपील की गई है।

नगरपालिका कर रही सहयोग

इस मुहिम में नगरपालिका प्रशासन अयोध्या और श्रीसरयू अवध बालक सेवा समिति सहयोग कर रही है। हाल में समिति के सदस्यों और आम नागरिकों की चौपाल हुई। इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने अयोध्या को साफ-सुथरा बनाने का संकल्प लिया गया।

अयोध्या कांशीराम कॉलोनी की चौपाल में अधिशासी अधिकारी पूजा त्रिपाठी ने बताया की इस प्राचीन पौराणिक नगरी को स्वच्छ और सुन्दर बनाने की ज़िम्मेदारी सभी की है। यह कार्य सिर्फ सरकार के भरोसे संभव नहीं है। अयोध्या में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं लेकिन शहर में फैली गंदगी से उनकी आस्था को ठेस लगती है, जिससे गलत संदेश जाता है।

दुकानदार थैले में दे रहे सामान

समिति के सदस्य सुधांशू मिश्र ने कहा की अयोध्या में गंदगी के जिम्मेदार हम स्वयं हैं। जैसे भगवान श्री राम के नाम का जप करने से जो फायदा है उससे अधिक फायदा श्री राम के नगर को साफ़ रखने में है।

अयोध्या के सभी व्यापारी पॉलीथीन के स्थान पर कागज़ के झोले में सामान दे रहे हैं। उसी तरह जब कोई यात्री इस तरह के झोले में सामान ले जाएगा तो उससे गन्दगी और प्रदूषण कम होगा।

सफाई के लिए क्यों मशहूर है जापान

जापान में साफ-सफाई को 'सूजी' कहते हैं। बच्चों को स्कूल स्तर से ही इसका प्रशिक्षण दिया जाता है। जब स्कूल में छुट्टी हो जाती है तो उसके बाद बच्चे साफ-सफाई में हाथ बंटाते हैं। वे कपड़ा उठाकर मेज, कुर्सी और खिड़कियां साफ करते हैं। इसके अलावा नियमित अंतराल पर पूरे स्कूल की भी सफाई होती है। इसमें वैक्यूम क्लीनर आदि का भी इस्तेमाल होता है। बच्चे बड़े होकर इस प्रथा में इतना घुल-मिल चुके होते हैं कि उसे ही अपने जीवन में अपनाते हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

      

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