सफाईकर्मी करेंगे शौचालयों का सत्यापन, तो कैसे संभलेगी सफाई व्यवस्था?

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सफाईकर्मी करेंगे  शौचालयों का सत्यापन, तो कैसे संभलेगी सफाई व्यवस्था?प्रतीकात्मक फोटो।

नवनीत अवस्थी, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

उन्नाव। जिले में अब शौचालय का सत्यापन भी सफाई कर्मचारी करते हुए दिखाई देंगे। मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में शामिल स्वछता अभियान के तहत जिले में 31 मई तक निर्माणाधीन और निर्मित शौचालयों का सत्यापन किया जाना है। सत्यापन के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। उधर सफाई कर्मचारियों को सत्यापन कार्य में लगा देने से गाँवों में सफाई व्यवस्था फिर पुराने ढर्रे की ओर लौटती दिखाई दे रही है।

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बीघापुर में रहने वाले सुबोध मिश्रा (31वर्ष) बताते हैं, “पहले गाँव में सफाई कर्मचारी आते नहीं थे। कई बार शिकायत की गई तो सफाई कर्मचारी ने आना शुरू किया। इस बीच सफाई कर्मचारी ने फिर से आना बंद कर दिया। पूछने पर बताया गया कि वह सरकारी काम निपटा रहे है।”

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जिले की 1044 ग्राम पंचायतों को 31 दिसंबर तक खुले में शौच से मुक्त कराना है। इसके लिए लगभग 3 लाख 50 हजार शौचालयों का निर्माण कराया जाना है। अभी तक लगभग 2 लाख 97 हजार शौचालयों का निर्माण शेष है। इसी बीच शासन ने शौचालयों के लिए तैयार पात्रों की सूची, निर्मित और निर्माणधीन शौचालयों की सूची का सत्यापन करा जमीनी हकीकत की रिपोर्ट तलब की है। सत्यापन रिपोर्ट 31 मई तक शासन को भेजी जानी है। इससे सत्यापन में रोजगार सेवकों और सफाई कर्मचारियों को भी लगाया गया है।

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सफाई कर्मचारियों के सत्यापन में लग जाने से स्वच्छता मिशन को पलीता लगना तय है। एक तो वैसे ही सफाई कर्मचारी गाँव नहीं जाते इससे स्वच्छ भारत मिशन की मंशा पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में गाँवों में चरमराई सफाई व्यवस्था को ठीक करने के लिए सीडीओ ने एडीओ पंचायत को निर्देश दिया था कि वे रोस्टर बना कर कार्य करें। लेकिन सफाई कर्मचारियों के सत्यापन में लग जाने से सफाई अभियान भी प्रभावित हो गया है।

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सीडीओ संजीव सिंह ने बताया,“ शौचालयों के सत्यापन का कार्य मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में शामिल है इससे सफाई कर्मचारियों और रोजगार सेवकों को लगाकर दस दिन में सत्यापन कराया है।”

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