अवैध बूचड़खानों की बंदी चिड़ियाघर के मांसाहारी जानवरों पर पड़ रही है भारी
Diti Bajpai 26 March 2017 1:28 PM GMT
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। योगी सरकार ने अवैध बूचड़खाने बंद करने के निर्देश तो दे दिए, लेकिन इसका सीधा असर चिड़ियाघर में रहने वाले मांसाहारी जानवरों पड़ रहा है। उनके भोजन के लिए चिड़ियाघर प्रशासन को काफी मशक्कत उठानी पड़ रही है।
लखनऊ स्थित नवाब वाजिद अली शाह चिड़ियाघर में बाघ, शेर भालू आदि कई मांसाहारी जानवरों के लिए रोज़ाना 200 किलो मीट की सप्लाई हो रही थी, वहीं अब इसके आधे मीट की सप्लाई भी नहीं हो पा रही है।
चिड़ियाघर के अपर निदेशक डॉ. उत्कर्ष शुक्ला ने बताया, सभी बूचड़खानों को बंद कर दिया है इसलिए थोड़ी सी परेशानी आ रही है। जू में जितने भी मांसाहारी जानवर हैं, उनको भूखा नहीं रखा जा रहा है। जू में बब्बर शेर और टाइगर रोजाना 12 किलो मांस खाते हैं।
वहीं सियार 2 किलो, पैंथर 5 किलो तक कच्चा मांस खाते हैं। जो स्थिति लखनऊ चिड़ियाघर की है, वही कानपुर के चिड़ियाघर का भी हाल है। जहां मांसाहारी जानवरों को भोजन न मिलने की वजह से भूखे रहना पड़ रहा है। बुधवार को कानपुर में चार बूचड़खाने बंद कर दिए, इस वजह से जानवरों को मांस की सप्लाई भी कम हो पा रही है।
बूचड़खानों को बंद कर दिया है इसलिए थोड़ी सी परेशानी आ रही है। जू में जितने भी मांसाहारी जानवर हैं, उनको भूखा नहीं रखा जा रहा है।डॉ. उत्कर्ष शुक्ला, अपर निदेशक, लखनऊ चिड़ियाघर
अवैध बूचड़खाने का बंद होना, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के चुनाव पूर्व वादों में से एक है। इसी तरह घोषणापत्र में किए गए अपने वादे को निभाने के लिए बीजेपी ने सत्ता में आते ही एक्शन लेना शुरू कर दिया है। कानपुर चिड़ियाघर में इस समय शेर अजय और शेरनी नंदनी को मिलाकर कुल 70 मांसाहारी जानवर हैं।
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