सत्ता जाते ही थारुओं के गाँव का विकास ठप, ग्रामीणों को नई सरकार से उम्मीद 

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सत्ता जाते ही थारुओं के गाँव का विकास ठप, ग्रामीणों को नई सरकार से उम्मीद गाँव के लोगों को नहीं मिले सरकारी आवास, ऐसी ही झोपड़ियों में रहने को मजबूर।

दिवेन्द्र सिंह, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

श्रावस्ती। पूर्व मुख्यमंत्री ने जब गाँव को गोद लिया तो थारू जनजाति के लोगों को लगा कि उन्हें रोजगार की तलाश में बड़े शहरों की ओर नहीं जाना पड़ेगा। हालांकि गाँव में विकास कार्य जिस गति से शुरू हुआ था, सरकार जाते ही उतनी ही तेजी से कार्य रूक गया।

श्रावस्ती जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी. नेपाल सीमा से सटे सिरसिया ब्लॉक के मोतीपुर ग्राम पंचायत को पिछले वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पोषण मिशन के तहत गोद लिया था। मोतीपुर के ग्राम प्रधान रामजी (26 वर्ष) बताते हैं, “पिछले साल हमें पता चला कि हमारे गाँव को मुख्यमंत्री गोद ले रहे हैं। मुख्यमंत्री ने गाँव के प्राथमिक विद्यालय में हौसला पोषण मिशन की शुरुआत भी की थी, जब तक मुख्यमंत्री थे तभी तक सब ठीक था। अब जो पहले से काम शुरू हुआ है वही चल रहा है।”

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गाँव की घनश्याम राणा (18 वर्ष) कहते हैं, “गाँव के लोग नौकरी के लिए करने के लिए मुम्बई, दिल्ली जाते हैं, मुख्यमंत्री आए बड़ी-बड़ी बातें करके चले गए, लेकिन हुआ कुछ नहीं। पूरे गाँव में सोलर से लाइट जानी थी वो भी अभी तक नहीं हुआ।” मोतीपुर ग्राम पंचायत में 11 मजरों में थारू लोगों की लगभग आठ हजार जनसंख्या है। गाँव में एक प्राथमिक विद्यालय है, आगे की पढ़ाई के लिए लड़कियों को बीस किमी दूर जंगल से होकर जाना पड़ता है।

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कोमल राणा (13 वर्ष) इस बार नौवीं में पढ़ रहीं हैं। पढ़ने के लिए साइकिल से भिनगा तक जाती हैं। यहां की ज्यादातर लड़कियों की पढ़ाई छूट जाती है। ग्राम प्रधान रामजी कहते हैं, “यूपीनेडा की तरफ से सभी मजरों में बिजली की व्यवस्था करने के लिए सोलर पावर ग्रिड लगाया जा रहा है। इसका बजट पास हो तो गया लेकिन काम बहुत धीरे चल रहा है।

अभी मुझे यहां ज्वाइन किए हुए कुछ ही दिन हुए हैं, इसलिए गाँव का विजिट नहीं कर पाया हूं, लेकिन जितना पता चला है उसमें कुछ बजट पास हो गया, जिससे काम शुरू भी हो गया है। जल्द ही मैं गाँव का विजिट करके देखता हूं।
दीपक मीणा, जिलाधिकारी, श्रावस्ती

पावर ग्रिड दो महीने पहले ही शुरू हो जाना था, लेकिन अभी जिस तरह से काम चल रहा है अभी चार महीने से भी ज्यादा समय लग जाएगा।” आठ हजार की जनसंख्या में 33 लोहिया व 17 प्रधानमंत्री आवास मिल पाएं हैं, जबकि गाँव में अभी और भी आवास बनने थे। गाँव की मालती देवी बताती हैं, “यहां ज्यादातर हैण्डपम्प खराब पड़े हैं। कुएं से पानी भरकर प्यास बुझाना पड़ता है। कई बार इसकी शिकायत ग्राम प्रधान से की गई पर उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया।”

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थारू हेरिटेज वर्कशॉप और म्यूजियम भी अधर में

मोतीपुर कला गाँव में हौसला पोषण मिशन के तहत थारू हेरिटेज वर्कशाप और म्यूजियम भी बनने थे, इसके लिए बार्डर एरिया डेवलेपमेंट कार्यक्रम के तहत 53.80 लाख रुपए मंजूर किए गए थे। इसका मकसद आदिवासी थारू समुदाय की लोक कला को तराश कर उसके देश व दुनिया में फैलाना था। थारू शिल्प प्रशिक्षण केंद्र के साथ उनके उत्पाद की बिक्री के लिए विक्रय केंद्र तथा प्रदर्शन केंद्र, नृत्य संगीत केंद्र के साथ ही बाजार की भी स्थापना होनी है।

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